रम्भा तृतीया व्रत : कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए करती हैं ये व्रत, इस दिन लक्ष्मी जी की करते हैं पूजा…

कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए करती हैं ये व्रत
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कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए करती हैं ये व्रत, इस दिन लक्ष्मी जी की करते हैं पूजा…

रायपुर. हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार रम्भा तृतीया व्रत (रंभा तीज व्रत) शीघ्र फलदायी माना जाता है. मान्यतानुसार सागर मंथन से उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक रम्भा थीं. यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को किया जाता है. कुंआरी कन्याएं यह व्रत अच्छे वर की कामना से करती हैं. तो विवाहिता स्त्री घर में सुख, समृद्धि एवं स्वास्थ्य की कामना से यह व्रत करती हैं. रम्भा तृतीया व्रत के दिन गेहूं, अनाज और फूल से लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं. इस दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. इस दिन चूड़ियों के जोड़े की भी पूजा करती हैं. जिसे अप्सरा रम्भा और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. कई जगह इस दिन माता सती की भी पूजा की जाती है.

रम्भा तृतीया व्रत का फल

रम्भा तृतीया का व्रत शीघ्र फलदायी माना जाता है. इस दिन प्रात: दैनिक नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान सूर्य के लिए दीपक प्रज्वलित करें. पूजन में ऊं महाकाल्यै नम:, महालक्ष्म्यै नम:, महासरस्वत्यै नम:, आदि मंत्रों का जाप करते हुए पूजा करें. इस दिन घर पर ही शिव, पार्वती और गणेश जी की आराधना करके व्यंजन और वस्त्र भेंट किए जाते हैं. रम्भा तृतीया व्रत विशेषत: महिलाओं के लिए है. रम्भा तृतीया को यह नाम इसलिए मिला, क्योंकि रम्भा ने इसे सौभाग्य के लिए किया था.साभार