तीन दिवसीय साहित्यिक महोत्सव जश्न-ए-ज़बाँ का शानदार समापन -

सौ से अधिक साहित्यकारों एवं कलाकारों ने मंच से अपनी प्रस्तुति दी -
 
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तीन दिवसीय साहित्यिक महोत्सव जश्न-ए-ज़बाँ का शानदार समापन -

हज़ारों लोगों ने कार्यक्रम का विभिन्न माध्यमों से आनंद लिया शीघ्र ही चौथे संस्करण की तैयारी

प्रदेश की प्रतिष्ठित संस्था श्री साईंनाथ फाउंडेशन द्वारा शहर के मायाराम सुरजन स्कूल कैम्पस के वीरांगना ऑडिटोरियम में 20 से 22 जनवरी तक आयोजित कला संस्कृति साहित्य एवं संगीत के रंगारंग महोत्सव जश्न-ए-ज़बाँ के तीसरे संस्करण का शानदार समापन हुआ।

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महोत्सव का शुभारंभ कलमकार की खोज प्रतियोगिता के ग्रैंड फिनाले के रूप में चयनित कवियों के मंचीय काव्यपाठ एवं विजेताओं के पुरस्कार वितरण से हो कर पुणे से आये इलेक्ट्रिक पियानो वादक सुमेध बगाईतकर तक पहुंचा जिन्होंने अपने पियानो वादन से श्रोताओं को उत्साहित कर दिया और युवा कविसम्मेलन में शिवांगी शर्मा प्रेरणा एवं प्रियंका मिश्रा (मध्यप्रदेश), रायपुर से रिक्की बिंदास,इमरान अब्बास, खैरागढ़ से भावेश देशमुख, बीजापुर से पुरुषोत्तम चंद्राकर की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं में जोश और उमंग का संचार कर दिया कविसम्मेलन का संचालन कवर्धा के युवा कवि एवं वक़्ता अभिषेक पांडेय कृष्णम ने किया।

बिलासपुर के सूफ़ी गायक नरिंदर पाल सिंह निंदर ने अपनी सूफ़ी गायकी से महोत्सव को एक नया रंग दे दिया और देर रात तक श्रोता संगीत की तान पर झूमते रहे।

महोत्सव में परिचर्चा का सत्र उप पुलिस अधीक्षक एवं लेखक अभिषेक सिंह तथा अंतरराष्ट्रीय रंगोली चित्रकार प्रमोद साहू के नाम रहा, उक्त सत्र में छत्तीसगढ़ में कला एवं साहित्य की वर्तमान स्थिति पर सार्थक चर्चा हुई, सत्र का संचालन फेस्टिवल डायरेक्टर आशीष राज सिंघानिया ने किया।

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प्रशासनिक अधिकारियों के कवि सम्मेलनीय सत्र में SDM अरुण वर्मा एवं एम. राजीव ने अपनी शानदार रचनाओं से अपने साहित्यिक एवं संवेदनशील व्यक्तित्व को उजागर कर श्रोताओं की तालियां बटोरी।
युवा पंडवानी गायिका दुर्गा साहू एवं साथियों ने भरथरी एवं पारम्परिक पंडवानी गायन प्रस्तुत किया,दुर्गा साहू की ऊर्जावान प्रस्तुति ने दर्शकों को विस्मृत कर दिया और भावविभोर हो कर दर्शकों ने पंडवानी गायन का आनंद लिया।

रायपुर की "रूपक" नाट्य संस्था ने जया जादवानी द्वारा लिखित नाटक "अर्मीनिया की गुफ़ा" की धारदार प्रस्तुति दी जिसका निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी कुंज बिहारी शर्मा ने किया।

शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियों के अंतर्गत सरोद वादन सत्र में पुणे के अभिषेक बोरकर ने देर रात तक शमां बांधा तबले पर उनका साथ भिलाई के सुप्रसिद्ध तबला वादक रामचंद्र सरपे ने दिया।
महोत्सव के अंतर्गत युवा प्रतिभाओं को स्थान देने हेतु ओपन माइक पोएट्री एवं सिंगिंग का भी आयोजन किया गया जिसमें 15 चयनित प्रतिभागियों को प्रस्तुति का मौका मिला जिसमें पोएट्री विधा से ईशान शर्मा व पल्लवी चांद विजेता रहे।
पुस्तक परिचर्चा सत्र में डॉ सारिका सिंघानिया,डॉ प्रियंका त्रिपाठी व बलजीत कौर उबेजा ने साहित्य में महिलाओं की भूमिका,उपलब्धि व चुनौती पर बातचीत की इस परिचर्चा सत्र का सुगठित संचालन वरिष्ठ आकाशवाणी उद्घोषिका अनु चक्रवर्ती ने किया।

बनारस के युवा प्रतिभावान गायक अक्षत प्रताप सिंह ने अपने शास्त्रीय व उपशास्त्रीय गायन के दौरान राग शंकरा,हंस ध्वनि व रागदेश कि मधुर तान छेड़कर पूरे महोत्सव को एक नई ऊंचाई प्रदान की तबले पर रामचंद्र सरपे व हारमोनियम पर लालाराम लोनिया ने उनका बख़ूबी साथ दिया।

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इस तीन दिवसीय महोत्सव के समापन सत्र में उपस्थित अतिथी डॉ हिमांशु द्विवेदी, डॉ स्मित श्रीवास्तव, योगेश अग्रवाल व डॉ भरत सिंघानिया ने पूरे आयोजन की विविधता व प्रबंधकीय कौशल की मुक्त कंठ से सराहना की साथ महोत्सव अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं, आमंत्रित कलाकारों, सहयोगी संस्थाओं,व आयोजन समिति के सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका सम्मान किया।

तत्पश्चात आयोजित अखिल भारतीय कविसम्मेलन एवं मुशायरा में देश के नामचीन कवियों शायरों सूरज राय सूरज(जबलपुर), अज़हर इक़बाल (नई दिल्ली), मणिका दुबे(सिहोरा), डॉ सतीश सत्यार्थ (ग्वालियर), स्वयं श्रीवास्तव (उन्नाव) व हर्षराज हर्ष (रायगढ़) ने देर रात तक श्रोताओं को अपनी विभिन्न शायरियों के रंग में रंगाए रखा,प्रत्येक प्रस्तुति के पश्चात श्रोताओं ने कवि-शायरों को खड़े हो कर अपनी भावा भिव्यक्ति प्रदान की।अंत ने भावेश देशमुख ने महोत्सव से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े व्यक्ति, संस्था व छत्तीसगढ़ शासन के प्रति आभार जताया व शीघ्र ही जश्न-ए-ज़बाँ के चौथे संस्करण के आयोजन की जानकारी प्रदान करने की बात कही।