अंतिम बजट ने साबित किया घोषणापत्र था झूठे वादों का पुलिंदा,भूपेश बघेल 5 वर्षों से छत्तीसगढ़ की जनता की आँखों में धूल झोंक रहे हैं- मिश्रा

5 वर्षों से छत्तीसगढ़ की जनता की आँखों में धूल झोंक रहे हैं
 
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अंतिम बजट ने साबित किया घोषणापत्र था झूठे वादों का पुलिंदा,भूपेश बघेल 5 वर्षों से छत्तीसगढ़ की जनता की आँखों में धूल झोंक रहे हैं- मिश्रा

रायपुर। भूपेश बघेल सरकार के अंतिम बजट को भजो नेता और पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी गणेश शंकर मिश्रा ने पूर्णतः निराशा जनक बजट बताया है। उन्होंने कहा घोषणापत्र की तरह फिर एक आँखों में धूल झोंकनेवाला दस्तावेज़ आया है। ज्वलंत मुद्दे, जो जनता को परेशान कर रहे हैं, उनकों नज़रंदाज़ करते हुए खोखली घोषणाएं मात्र की गई हैं|  शराबबंदी, नियमितिकरण, पत्रकारों की सुरक्षा और गरीबों के लिए आवास के बारे में एक शब्द नहीं बोला मुख्यमंत्री ने| भूपेश बघेल के अंतिम बजट से स्पष्ट है कि कांग्रेस के घोषणापत्र सिर्फ एक धोकेबाज़ी का जमाखाता था जिसे वे ख़ुद संजीदगी से नहीं लिए, जो भी उसमें कहा गया, बड़े-बड़े वादे किये गए थे उसपर आखरी बजट तक में घोषणा नहीं कर रहे तो यह जनमत का घोर अपमान नहीं तो और क्या है? घोषणापत्र से लेकर आज का बजट सिर्फ और सिर्फ खोखले एलानो का दस्तावेज़ हैं| 

वरिष्ठ आईएएस रहे मिश्रा ने सिलसिलेवार ढंग से भूपेश सरकार के अंतिम बजट को ठगनेवाला करार देते हुए उसकी कमियाँ गिनायी। उन्होंने कहा, “बेरोजगार युवाओं को दो वर्षों के लिए 2,500 रु प्रतिमाह भत्ता दिया उसमे अहर्ता रख दिया कि उन्हीं को मिलेगा जो पंजीकृत हैं, जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख से कम है| भई बीते 4 साल का कंपनसेशन  देगा। आपने होर्डिंग लगवाए थे राज्य में 0.04% बेरोज़गारी दर हैं, रिवर्स कैलकुलेशन करेंगे तो 2लाख के क़रीब बेरोज़गार कैसे आ गए!? इसका मतलब आप आँकड़े भी फ़र्ज़ी छपवाते हैं!!”

मिश्रा ने कहा, संपत्ति कर माफ़ करने का वादा किया, कोई राहत नहीं मिली| 200 फ़ूड पार्क का वादा किया, एक नहीं बना| नियमितीकरण के संदर्भ में कोई बात नहीं हुईं । मद्यनिषेध पर चुप्पी साध ली, बिक्री भी बढ़ गई है, शराबबंदी पर कोई बात नहीं की| सिंचाई क्षमता दुगुनी करने की बात कर रहे थे, वो आज राज्य बनने के दिनांक की तुलना में भी दुगुना नहीं हो सका, ना कोई प्रावधान किया है । सन् 2000 में 13.28 लाख है. था, आज 21.47 लाख है पर है| आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नियमितीकरण की मांग की, घोषणापत्र बड़ा वादा भी था, उनको केवल मानदान बढ़ा दिया, नियमतिकरण नहीं किया| मिश्रा ने कहा कि, “क्या इससे वे उनके मांगों का अपमान नहीं कर रहे? यह किसी की भावनाओं से कितना बड़ा उपहास है! सोचिये!! सरकारी कर्मचारियों को क्या दिया आपने?”

बड़े-बड़े वादा करके वोट बटोर लिए फिर एक भी पूरा नहीं किया, भूपेश बघेल जी सारे वादे तोड़ के कौन सा भरोसे का बजट पेश कर रहे हैं आप??- मिश्रा

भूपेश बघेल की लोकनीति पर प्रश्न उठाते हुए मिश्रा में कहा सबसे बड़े-बड़े वादा करके वोट बटोर लिए फिर एक भी पूरा नहीं किया| उन्होंने कहा कि तीन नये मेडिकल कॉलेज खोलेंगे बोलते हैं| कांकेर,महासमुंद और कोरबा में मेडिकल कॉलेज की अनुमति केंद्र से आकर पड़ी है उसपर क्यूँ काम शुरू नहीं हो रहा है? रायपुर-दुर्ग मेट्रो लाइट रेल की बातें करते हैं, 4 साल में गाँव की सीसी रोड तक तो बना नहीं पा रहे, शहर की सड़कों के गड्ढे नहीं भर पा रहे हैं| तो ऐसी घोषणाएँ तो लोगों  लिए चुटकुले जैसी हैं।

कैग की रिपोर्ट्स में स्पष्ट है कि वित्तीय कुप्रबंधन के कारण छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति निहायत चिंतनीय हो गई है; पेंशन योजना में अपना योगदान ना देकर वित्तीय घाटा कम दिखाते हैं‘।

CAG के प्रतिवेदन का हवाला देते हुए मिश्रा ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने बताया कि 2019 से लगातार छत्तीसगढ़ के भारी क़र्ज़ लेने की फ़ितरत को चिंताजनक बताया है। बीते वर्ष 58% क़र्ज़ा तो उससे पहले जो इन्होंने क़र्ज़ लिया उसको चुकाने  किए उपयोग किया था। वित्तीय कुप्रबंधन से छत्तीसगढ़ क़र्ज़ पहाड़ बनता जा  है, उसपर मुख्यमंत्री चुप हैं। 

नवीन पेंशन योजना में अपना योगदान ना देकर अपना वित्तीय घाटा कम दिखाते हैं और फिर लोगों को पुरानी पेंशन स्कीम की ग़लत बातें बताकर कर्मचारियों के महनत की कमाई के साथ खिलवाड़ करने की गंदी राजनीति करते हैं। केंद्र से ख़ुद की तुलना करते हैं, पिछले 9 वर्षों में भारत में प्रति व्यक्ति आय दुगुनी हुई और छत्तीसगढ़ में इनके कार्यकाल में 10% की वृद्धि पर ख़ुशियाँ मना रहे हैं।