जुड़वा भाइयो की कहानी: अपराध पहला करता और पुलिस दूसरे को पकड़ती,आखिर खत्म हुआ पुलिस का इन्तजार,गिफ्तार

हमशक्ल होने का फायदा उठाकर 9 सालों से गिरफ्तारी से बच रहा था
 
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जुड़वा भाइयो की कहानी: अपराध पहला करता और पुलिस दूसरे को पकड़ती,आखिर खत्म हुआ पुलिस का इन्तजार,आरोपी गिफ्तार।

छत्तीसगढ़ ।  दुर्ग आपने बहुत सी हिंदी फिल्मों में जुड़वा भाइयों और बहनों के किरदार जरूर देखे होंगे जिसमें एक शरीफ और दूसरा बदमाश होता है पुलिस कई बार गलती से अपराध करने वाले की जगह उसके सीधे-साधे भाई को पकड़ लाती हैं लेकिन फिल्मी पर्दे के बाहर दुर्ग में पुलिस ने एक ऐसे ही ठग को गिरफ्तार किया है जो जुड़वा और हमशक्ल होने का फायदा उठाकर 9 सालों से गिरफ्तारी से बच रहा था।

पुलिस ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 9 सालों से पुलिस को चकमा दे रहा था। पता चला है कि आरोपित जुड़वा होने का फायदा उठाकर यहां से वहां भाग जाया करता था, जब पुलिस उसे पकड़ने जाया करती थी। तब वो नहीं उसका जुड़वा भाई पकड़ में आया करता था, लेकिन आखिरकार पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने बताया कि आरोपित के साले के बयान के बाद उसे पकड़ा गया है। दरअसल, ये मामला मितानिन के साथ लगभग 2 लाख रुपये की ठगी से जुड़ा है। इस मामले में मुख्य आरोपित राम सिंह पोरते अब गिरफ्तार कर लिया गया है। मामला पुलगांव थाना क्षेत्र का है। जानकारी के मुताबिक, राम सिंह ने मितानिन सुभद्रा से जड़ी बुटी और झाड़फूंक से बीमारी और भूत प्रेत की बाधा दूर करने का झांसा देकर लगभग 2 लाख रुपए की ठगी की थी।

पीछेगांव निवासी 35 वर्षीय मितानिन सुभद्रा ने इस मामले में राम सिंह पोरते ,निवासी बोरी, जिला राजनांदगांव, उसके साथी राजमल नेताम निवासी छेरीखेड़ा,सौरांग सिंह और राहुल के खिलाफ केस दर्ज कराया था।

पुलिस ने 2012 से 2015 के बीच इस मामले में राजमल, राहुल और सौरांग सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। मुख्य आरोपित राम सिंह फरार चल रहा था। पुलिस ने कई बार उसके भिलाई इलाके के दिेए गए ठिकाने भाठेगांव में दबिश दी थी। हर बार पुलिस को उसका हमशक्ल भाई लक्ष्मण मिलता था, जबकि राम भी वहीं रहता था। पुलिस को लक्ष्मण भी राम का सही ठिकाना नहीं बताता था। पुलिस भी गलत आदमी को न गिरफ्तार कर ले, इसलिए रियायत बरतती थी। राम ने पुलिस को बताया कि एक बार उसने खुद को लक्ष्मण बताकर घर पहुंचे पुलिस वालों को गुमराह भी किया था। इसी बीच पुलिस का संपर्क राम के साले से हुआ।उसने पुलिस को राम सिंह का सही ठिकाना बताया और राम को राजनांदगांव के बोरी गांव से पकड़ लिया गया।