हमेशा जवां रहने का खजाना है सहजन, जानिए क्यों आयुर्वेद में कहा गया है अमृत समन -

क्यों आयुर्वेद में कहा गया है अमृत समन -
 
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हमेशा जवां रहने का खजाना है सहजन, जानिए क्यों आयुर्वेद में कहा गया है अमृत समन -

नई दिल्ली। खाने में स्वादिष्ट और सेहत के लिए पोषक तत्वों से भरपूर ऐसा खाना मिले तो दिन अच्छा बन जाता है, क्योंकि हमें अपने खाने में सिर्फ हेल्थी फूड नहीं बल्कि टेस्ट भी पूरा चाहिए होता है और सच मानिए तो हमारे देश में ऐसी बहुत सी सब्जियां हैं, जो कई गुणों से भरपूर होती हैं. आसानी से बाजार में उपलब्ध होती है. हम ऐसी ही एक सब्जी के बारे में बता रहे हैं जिसके फूल, पत्तियां और फल गजब का फायदेमंद माना जाता है. इसके लगातार सेवन से व्यक्ति हमेशा चुस्त-दुरुस्त और जवां रह सकता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ‍िट इंड‍िया डायलॉग में सहजन का या फ‍िर कहें ड्रमस्‍ट‍िक के बारे में बताया था. आप भी अक्सर अपने घर में इस सब्जी को बनाते होंगे. ये कई औषधीय गुणों से युक्त होती हैं, जिसका इस्तेमाल सदियों से रोगों के इलाज में किया जाता है. एक्सपर्ट्स की माने तो सहजन के तने, पत्ते, छाल, फूल, फल और कई अन्य भागों का अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि सहजन का पेड़ जड़ से लेकर फल तक बहुत ही गुणकारी होता है. सहजन में एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटी डिप्रेसेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं।

इसके अलावा सहजन कई तरह से खनिजों से भरपूर होता है. यह कैल्शियम का नॉन-डेयरी स्रोत है. इसमें पोटैशियम, जस्ता, मैग्नीशियम, आयरन, तांबा, फास्फोरस और जस्ता जैसे कई पोषक तत्व भी शामिल होते हैं, जो हमारे शरीर को फिट ही नहीं रखता बल्कि सही विकास में भी सहायक होता है।

सहजन को आहार में कैसे शामिल करें ? 

सहजन के फल और पत्तियों का इस्तेमाल तीन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है. पत्तियों को कच्चा, पाउडर या जूस के रूप में सेवन किया जा सकता है. सहजन के पत्तियों को पानी में उबालकर इसमें शहद और नींबू मिलाकर भी पिया जा सकता है।

सहजन का इस्तेमाल सूप और करी में भी हो सकता है. नियमित एक चम्मच या लगभग 2 ग्राम सहजन की खुराक लेनी चाहिए. रोगियों को सही खुराक जानने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. औषधीय गुणों से भरपूर सहजन ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है. डायबिटीज रोगियों को नियमित इसका सेवन करना चाहिए. यह अलग-अलग प्रदेशों में अलग नाम से जाना जाता है. कहीं इसे सहजन, कहीं मोरिंगा, कहीं सूरजन की फली तो मुनगा भी बोला जाता है।

सहजन को आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है क्योंकि सहजन को 300 से ज्यादा बीमारियों की दवा माना गया है. इसल‍िए आयुर्वेद में इसे अमृत समान मानते हैं. इसकी नर्म पत्तियां और फल, दोनों ही सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं. सहजन की फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्‍प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

सहजन की खूब‍ियां -

इसकी पत्तियों में विटामिन-सी होता है इसका सेवन बीपी कम करने वाला माना जाता है. यहां तक कि वजन घटाने में भी ये सहायक होता है. दक्षिण भारतीय घरों में सहजन का प्रयोग बहुत ज्यादा होता है।

सहजन खाने के फायदे -

सहजन आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी मदद करता है.
रोग प्रत‍िरोधक क्षमता मजबूत होती है।

कैल्‍श‍ियम में भरपूर होने की वजह से साइटिका, गठिया में सहजन का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है।

सुपाच्‍य होने की वजह से सहजन लि‍वर को स्वस्थ रखने में भी ये बहुत कारगर होता है.
पेट दर्द या पेट से जुड़ी गैस, अपच और कब्ज़ जैसी समस्‍याओं में सहजन के फूलों का रस पीएं या इसकी सब्जी खाएं. या इसका सूप पीएं. ज्यादा फायदा चाहिए तो दाल में डालकर पकाएं।

आंखों के ल‍िए भी सहजन अच्‍छा है. जिनकी रोशनी कम हो रही है हो तो सहजन की फली, इसकी पत्तियां और फूल का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए.
कान के दर्द को दूर करने में भी सहजन बहुत काम आता है. इसके लिए इसकी ताजी पत्तियों को तोड़ कर उसका रस की कुछ बूंदें कान डालने से आराम मिलता है।

जिन्हें पथरी की समस्या हो उन्हें सहजन की सब्जी और सहजन का सूप जरूर पीना चाहिए. इससे पथरी बाहर निकल जाती है.
छोटे बच्चों के पेट में यदि कीड़े हों तो उन्हें सहजन के पत्तों का रस देना चाहिए।

दांतों में कीड़े हों तो इसकी छाल का काढ़ा पीना चाहिए. सहजन ब्लडप्रेशर को सामान्य करता है.
दिल की बीमारी में भी यह बहुत फायदेमंद होता है. कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है. इस तरह सहजन आपकी सेहत के ल‍िए फायदेमंद साब‍ित हो सकता है. हालांक‍ि आपको डॉक्‍टर से भी सलाह जरूर लेनी चाह‍िए।