आस्था : कलेक्टर SP ने चढ़ाई देवी को मदिरा,तहसीलदार,पटवारियों का दल झूमते हुए निकला -

कलेक्टर SP ने चढ़ाई देवी को मदिरा
 
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देशी,विदेशी मदिरा की बोतलें रखी जाती हैं। नगर पूजा प्रारंभ होने के बाद कलेक्टर नगर पूजा के लिए तहसीलदार,पटवारियों एवं कोटवारों के दल को ढोल के साथ रवाना करते हैं।

उज्जैन, 13 अक्टूबर (हि.स.)। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र की महाष्टमी पर बुधवार प्रात: कलेक्टर आशीष सिंह एवं एसपी सत्येंद्र शुक्ल ने चौबीस खंबा माता मंदिर पहुंचकर देवी महामाया और महालया की पूजा की तथा मदिरा का भोग लगाया। सम्राट विक्रमादित्य के समय से चली आ रही इस परंपरा के तहत आपदाओं से मुक्ति एवं जनता की सुख समृद्धि की कामना करते हुए चैत्र एवं शारदीय नवरात्र की महाष्टमी पर नगर पूजा सम्पन्न होती है।

बुधवार सुबह कलेक्टर एवं एसपी ने पूजा सम्पन्न की। इस पूजा की खास बात यह है कि तत्कालीन रियासतों के समाप्ति और देश की आजादी के बाद से तहसीलदार के कोष से नगर पूजा हेतु राशि प्रदान की जाती है। इसे शासकीय पूजा भी कहते हैं। इस पूजा में नगर के तहसीलदार,सभी पटवारी,कोटवार आदि चंदा करते हैं और पूजा की तैयारी करते हैं। एक दिन पूर्व रात्रि में बरबाकल (पूड़ी,भजिये,खाजे आदि)तैयार की जाती है। इन्हें टोकनों में भर दिया जाता है। साथ ही देशी, विदेशी मदिरा की बोतलें रखी जाती हैं। नगर पूजा प्रारंभ होने के बाद कलेक्टर नगर पूजा के लिए तहसीलदार,पटवारियों एवं कोटवारों के दल को ढोल के साथ रवाना करते हैं।

नगर पूजा की शुरूआत देवी महामाया और महालया को मदिरा के भोग लगाने से होती है। वहीं नगर पूजा के लिए प्रस्थान से पूर्व पीतल के लोटे के पेंदे में छेद किया जाता है और उसमें 27 किमी लम्बी नगर पूजा के दौरान सतत मदिरा डाली जाती है। लोटे से मदिरा की धारा 27 किमी तक चलती है। पटवारी टोकनों से बरबाकल डालते जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि रास्ते भर भूत,प्रेत आदि इस भोजन को करते हैं तथा मदिरा का सेवन करते हैं। ऐसा होने से वे नगर की प्रजा को परेशान नहीं करते हैं तथा नगरवासी खुशहाल रहते हैं।

नगर पूजा के दौरान 27 किमी मार्ग पर देवी मंदिर,हनुमान मंदिर,भैरव मंदिर आते हैं। देवियों को श्रृंगार सामग्री,हनुमान जी को जनेऊ तथा सिंदूर और भैरव को सिंदूर से चोला चढ़ाया जाता है। साथ ही प्रमुख मंदिरों पर पूजा के दौरान प्रशासन के अधिकारी उपस्थित रहते हैं। पूजा के समापन के बाद यह दल महाकाल मंदिर आता है। यहां शिखर का ध्वज बदला जाता है। यह पूजा उज्जैन में प्रारंभ हो चुकी है। पूजा का समापन बुधवार शाम को हो हुआ।