शासकीय कर्मचारी से मारपीट करने वाले आरोपी को सजा व जुर्माना
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शासकीय कर्मचारी से मारपीट करने वाले आरोपी को सजा व जुर्माना
विशेष न्यायाधीश,(एट्रोसिटीज)पन्ना (म.प्र.) श्री आर.पी.सोनकर द्वारा प्रकरण में फैसला सुनाते हुये, शासकीय कर्मचारी को जातिगत गालियां देकर मारपीट करने वाले आरोपी नारायण पटेल को कारावास एवं जुर्माना से दंडित किया गया।
पन्ना - कार्यालय जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना के सहा.मी.प्रभा./सहा.जि.लो.अभि.अधि.कपिल व्यास ने बताया कि,अभियोजन कथा अनुसार दिनांक 25.08.2016 को 21.40 बजे फरियादी जगदीश प्रसाद अहिरवार ने थाना अमानगंज में रिपोर्ट की कि, वह शासकीय माध्यमिक शाला बम्हौरी में प्रभारी प्रधान अध्यापक के पद पर पदस्थ है दिनांक 24.08.2016 के 3.45 बजे दिन में अपने स्कूल में शासकीय कार्य कर रहा था तभी नारायण पटेल पिता नत्थू पटेल आया और जातिगत गाली देते हुये बोला कि मेरे बच्चे का चैक क्यो नहीं काट देता है तब मैने बोला उसके बच्चे का दाखिला उनके स्कूल में नही है इतना सुनते ही नारायण पटेल ने मेरी कॉलर पकडकर पीठ व पेट में हाथ-घूसों से मारपीट किया। और अश्लील गाली देते हुये बोला कि मेरे बच्चे का चैक काट देना नहीं तो जान से खत्म कर दूंगा। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाना अमानगंज के अपराध क्रमांक 229/16 पर धारा 294,353,332,506 भा.द.वि. एवं धारा 3(2-9) का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया अन्वेषण उपरांत धारा 3(2-10) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का इजाफा कर अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण का विचारण न्यायालय श्रीमान् विशेष न्यायाधीश,(एट्रोसिटीज)पन्ना (म.प्र.) श्री आर.पी.सोनकर के न्यायालय में हुआ। शासन की ओर से प्रकरण की पैरवी श्री जितेन्द्र सिंह बैस, विशेष लोक अभियोजक,पन्ना द्वारा करते हुये न्यायालय के समक्ष अभियोजन साक्षियों के साक्ष्य को बिन्दुवार तरीके से न्यायालय के समक्ष अभिलिखित कराकर आरोपी के विरूद्ध अपराध संदेह से परे प्रमाणित किया गया तथा आरोपी के किए गए कृत्य को गंभीरतम श्रेणी का अपराध मानते हुये अधिक से अधिक दंड से दंडित किये जाने का निवेदन किया गया,जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा अभिलेख पर आई साक्ष्यों,अभियोजन के तर्को तथा न्यायिक-दृष्टांतो से सहमत होते हुए:-अभियुक्त-नारायण पटेल पुत्र नत्थू पसाद पटेल आयु-45 वर्ष निवासी बम्हौरी,थाना-अमानगंज,जिला-पन्ना को धारा 3(1)(ध) एवं 3(2)(5क) एससीएसटी एक्ट में क्रमश: 01 वर्ष व 03 वर्ष का कठोर कारावास एवं 01 एवं 02 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया ।
प्रकरण में फरियादी जगदीश प्रसाद अहिरवार एवं प्रत्यक्षदर्शी साक्षी रामप्रसाद बेडिया एवं रामलखन प्रजापति ने शासकीय सेवक (शिक्षक) होते हुये प्रकरण में राजीनामा हो जाने के कारण अभियुक्त् से मिलकर उसे बचाने के लिये न्यायालयीन कार्यवाही में अपने असत्य कथन किये जिस पर न्यायालय द्वारा संज्ञान लेते हुये फरियादी एवं साक्षियों के विरूद्ध उचित जांच की जाकर धारा 340/344 दंप्रसं एवं धारा 193 भा.द.सं. के अन्तर्गत परिवाद पत्र तैयार कर दंडात्मक कार्यवाही करने हेतु मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर प्रेषित किये जाने का निर्देश प्रदान किया गया।