अपने समय में संपन्न रहा सोहागी गाँव यहाँ हैं प्राचीन बावली व 12 तालाब -

सोहागी में मिल रहे प्राचीन अवशेष -
 
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File photo

अपने समय में संपन्न रहा सोहागी गाँव यहाँ हैं प्राचीन बावली व 12 तालाब -

चाकघाट। (रामलखन गुप्त) समीपस्थ ग्राम सोहागी में मिल रहे प्राचीन अवशेषों से लगता है कि यह क्षेत्र प्राचीन समय में काफी महत्वपूर्ण एवं दूरस्थ यात्रियों के आवागमन का प्रमुख रास्ता था। यहाँ  से प्रारंभ होने वाले विंध्य पर्वत से लोग पहाड़ चढ़कर अपनी दक्षिण की यात्रा पूरी करके रहे होंगे।

सुहागी ग्राम को वैसे भी प्राचीन समय में वेनवंशी राजाओं की के इतिहाससे जोड़ा जाता रहा है। यहाँ  सोहागी ग्राम के वार्ड क्रमांक 2 में बने  देवान तालाब से प्रतीत होता है की प्राचीन काल के  राजाओं के समय में यहाँ किसी दीवान द्वारा तालाब खुदवाया गया था। जिसके बारे में बताया जाता है कि सोहागी में जो शुक्ला परिवार है कभी उनके पूर्वज वेनवंशी राजाओं के यहां दीवान हुआ करते थे। 

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इसी क्रम में सुहागी ग्राम के भगली मोहल्ले में पहाड़ के समीप एक प्राचीन बावली देखने को मिली। हमारे संवाददाताएवं जिला पुरातत्व  संघ के सदस्य पत्रकार राम लखन गुप्त ने स्थल  निरीक्षण के दौरान देखा कि सुहागी ग्राम के भगली मोहल्ले में एक प्राचीन बावली बनी हुई है।जो जीर्ण अवस्था मेंहै। उस कुएं से पानी लेने के लिए बगल से सीढीदार एक रास्ता बना हुआ है जिसे के माध्यम से पानी के पास  तक पहुँचा जाता रहा होगा। यह बावली देखकर लगता है कि प्राचीन समय में यह क्षेत्र काफी संपन्न रहा होगा और यहाँ से लोगों का आवागमन होता रहा है। अवकाश प्राप्त शिक्षक छोटेलाल बरहोलिया एवं जूनियर हाई स्कूल सुहागी के पूर्व प्रधानाचार्य स्वमीशरण चतुर्वेदी ने चर्चा में बताया कि इस क्षेत्र से होकर पहले व्यापारी समुदाय एवं दक्षिण दिशा की ओर जाने वाले लोग इसी बावली के बगल से  जाते थे तथा पहाड़ चढ़के  लक्ष्य की ओर पहुंचे थे। इस बावली से प्राचीन समय में बर्तनों के मिलने की भी बात बताई जाती है।

 बताया जाता है कि पहले लोग जल स्थान पर बर्तन छोड़ दिया करते थे जिससे आने वाले राहगीर पानी पीते थे तथा बर्तनों का उपयोग करके उसे  वहीं छोड़ दिया करते थे। यह रास्ता लमेहों का रास्ता बताया है जिसे यहाँ की बोलचाल की भाषा में व्यापारियों के समूह को कहा जाता है, जो व्यापार के सिलसिले में इस रास्ते से गुजरा करते थे।

 मिली जानकारी के अनुसार सोहागी पंचायत क्षेत्र में 12 तालाब होने का वर्णन मिलता है।  वार्ड क्रमांक 9 में स्थित बड़ा तालाब (रानी तालाब )एवं छोटा तालाब, सुहागी पहाड़ पर सीता सरोवर एवं पहाड़ पर स्थित है पोखरा तालाब। वार्ड क्रमांक 2 में स्थित देवान तारा  तालाब,वार्ड क्रमांक 1  में जंजलिया तालाब, बलुआ तालाब, शुक्ला तालाब, नवबंधा तालाब, खटखरिहा तालाब। वार्ड क्रमांक 13 भगली में पोखरी तालाब एवं वार्ड क्रमांक 7में वैद्य जी की पोखरी तालाब का जिक्र आज भी किया जाता है।

 सोहागी ग्राम में स्थित12 तालाबों की जानकारी से प्रतीत होता है कि सोहागी गांव काफी संपन्न रहा होगा। वैसे भी सोहागी गाँव की सीमा सबसे बड़ी मानी जाती है सोहानी गाँव की सीमा पहाड़ के ऊपर कटरा के समीप से लेकर  चंदई के पास तक है। उधर मझगवां और त्योथर के रास्ते में काफी दूर तक सुहागी की सीमा है।  सोहागी ग्राम में कई टीले एवं प्राचीन अवशेष मूर्तियों के भी मिलते हैं जिससे प्रतीत होता है कि सोहागी गाँव काफी संपन्न रहा होगा। सोहागी चौराहे से पश्चिम उत्तर, बाईपास रोड़ के पूर्व,शुकुला तालाब के दक्षिण तीन चार टीले थे,जिनपर बर्तमान समय में खेती की जाती है और धीरे-धीरे अपने स्वरुप बदल दिए हैं। निश्चित रूप से यहाँ पर पुरानी बस्ती थी। 

यद्यपि आज टिकुरी अलग ग्राम है, किन्तु सोहागी के इन्हीं टीलों से दक्षिण पश्चिम में एक काफी ऊँचा टीला है, जिस पर बर्तमान समय में मिक्सर प्लांट लगा है, यहां पर प्राचीन बस्ती थी।देवान तारा के नाम से ही ज्ञात होता है का यह किसी दीवान का बनवाया हुआ है।यह आज भी पुरानी सड़क के पूर्व में तिवारी गैस गोदाम से दक्षिण अपने स्वरुप में स्थित है। इसके पास ही पुरानी सड़क से पश्चिम में बर्तमान बाईपास तिराहे पर एक प्राचीन कूप स्थित था, जिससे स्पष्ट है कि यह ब्यापारियों के बिश्राम हेतु था। रानी तालाब निश्चित रूप से राजघराने की कृपा से बना रहा होगा जिसके कारण इसे रानी तालाब कहा जाता है ।सोहागी के प्रमुख चौराहे को पुराने समय में पड़ाव कहा जाता रहा जिससे लगता है पहाड़ के पहले यहाँ यात्रियों का पड़ाव पड़ता रहा जिससे उस स्थान को आज भी पुराने लोग पड़ाव ही कहते हैं