महामृत्युंजय मंत्र शिव जी का नहीं यह भगवान श्रीराम का मंत्र है -जगद्गुरु रामभद्राचार्य

श्री राम कथा सियाराम कुटीर गौरी मर्यादपुर 
 
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महामृत्युंजय मंत्र शिव जी का नहीं यह भगवान श्रीराम का मंत्र है -जगद्गुरु रामभद्राचार्य

सम्पति दास गुप्ता द्वारा-

रीवा हनुमना -महामृत्यंजय मंत्र शिव जी का नहीं यह मंत्र भगवान श्रीरामजी का मंत्र है। अधिकांश लोग इसे शिवजी का मंत्र मानते हैं यदि शिवजी का मंत्र होता तो अपना ही मंत्र शिव जी क्यों जपते। स्तोत्र रत्न आलवन्दार के स्रोतों से भी किया प्रमाणित। रामजी को वनवास के समय सूपनखा बनी थी कैकेई रावण बना था दशरथ और मंदोदरी मंथरा बनी थी। 

उपरोक्त बातें रीवा जिले के हनुमना तहसील अंतर्गत ग्राम गौरी मर्यादपुर में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के सातवें दिन कथा ब्यास तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य पद्मभूषण स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने खचाखच भरे सियाराम कुटीर में कहीं। विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि त्रय: अम्बा: यस्य से त्रयम्बक,:। अर्थात जिनकी कौशल्या, कैकई और सुमित्रा तीन माताएं है वही श्री राम जी के लिए त्रयम्बक शब्द आया है । 

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 यामुनाचार्य स्वामी द्वारा रचित आलवन्दार  स्तोत्र के "निवास शैय्यासनपादुकांशुको पधानवर्षातपवारणाधिभि:........." की ब्याख्याकरते हुए शेषावतार लक्ष्मण जी द्वारा वन में भी आवश्यकता अनुसार निवास केलिए कुटिया, सोने हेतु शैय्या रूप में फेंटा मारकर शरीर को फैला लेने ,आनन की आवश्यकता पर आशन रूप में तथा पादुका की आवश्यकता पर खड़ाऊ भी बनकर पंचोपचार सेवा के साथ ही सीताजी को उत्कृष्ट परिचारिका निरूपित किया।सूपनखा के कैकैयी का रूप धरने के कारण ही लक्ष्मण ने उसका नाक कान काटा था।श्री राम द्वारा जानते हुए भी कि मेरे रूप में रावण ने वनवास दिया था फिर भी पिता के नकली स्वरूप का भी इतना सम्मान करने के कारण श्रीराम के विना जीवन त्याग दिया। भरत के त्याग से शिक्षा ले ने का आह्वान करते हुए भरण को हंश जैसा त्यागी और श्रीराम को सिंह निरूपित करते हुए कहा कि आज भारत व श्रीराम के आदर्श से शिक्षा लेने की आवश्यकता है कोर्टों में चल रहे भाई भाई के मुकदमे अपने आप समाप्त हो जायेंगे।कथा के प्रारंभ में आयोजक मृगेंद्र सिंह ने सम्बोधित करते हुए पूज्य जगद्गुरु एवं समस्त विशिष्ट अतिथियों सहित जनता जनार्दन का स्वागत वंदन किया। 

उसके बाद बाद विशेष रूप से शारदा धाम मैहर के निवर्तमान प्रधान पुजारी देवी प्रसाद जी ने भजन गाकर गुरुदेव की वंदना कर चरणों में प्रणाम कर जल्दी ही चले गए। उनके साथ वर्तमान पुजारी पवनजी भी रहे उनका भी मृगेंद्र सिंह ने स्वागत वंदन किया। 

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कथा में विशिष्ट श्रोताओं में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलपति प्रो राजकुमार आचार्य, मध्य प्रदेश शासन खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष जितेंद्र लिटोरिया भाजपा जिलाध्यक्ष अजय सिंह,एस डी एम ए के सिंह, राजेंद्र मिश्रा जिला पंचायत सदस्य भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुभाष शर्मा बोली कौशलेंद्र तिवारी त्योथर योगेन्द्र सिंह लाल बहादु रविभा शर्मा जिला महामंत्री भाजपा अंजू पाठक जिला भाजपा उपाध्यक्ष सिंह जिले के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र पाण्डेय सम्पति दास गुप्ता पूर्व नगरपरिषद अध्यक्ष क्रमशः शैलजा गुप्ता, चंद्र प्रभा गुप्ता संतोष सिंह चौहान सुरेंद्र सिंह कंचन सिंह प्रदीप मुद्रिका पटेल विवेक मिश्रा आदि की विशिष्ट उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही तथा माल्यार्पण व आरती में सम्मिलित हुए।

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