जिला विपणन अधिकारीयों के निलंबित के बाद मार्कफैड में मचा हड़कंप.चपरासी तक बने करोड़पति

मार्कफैड में मचा हड़कंप चपरासी तक बने करोड़पति
 
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जिला विपणन अधिकारीयों के निलंबित के बाद मार्कफैड में मचा हड़कंप.चपरासी तक बने करोड़पति

सिवनी। मार्केफेड विभाग जिसका कार्यालय डूंडा सिवनी के छिड़िया पलारी में स्थित है विगत कई बर्षो से चले आ रहे  करोङों रुपये के बंदरबाट पर अभी विराम लगता नजर नहीं आ रहा है।  गवन भ्रस्टाचार अनियमितताओं के सहारे जल्द करोड़पति बनने की चाहत में सरकारी विभाग में सेवारत कर्मचारी मोटी तनख्वाह के बाबजूद जमकर लूट मचा रखी है जिसकी परत दर परत जाँच के बाद मामले सामने आने ओर भी बाकी है। विभागीय जांच की इसी कड़ी में सिवनी में पदस्थ  विपणन अधिकारी सिवनी शिशिर सिन्हा, लेखाधिकारी दीपक साहू  व उपार्जन प्रभारी राहुल वाडीवा जिसके सम्बंध में उक्त तीनों विभाग में पदस्थ कर्मचारियों को जाँच उपरांत दोषी पाए जाते हुये निलंबित कर जबलपुर कार्यालय अटैच कर दिया गया है।  

साथ ही बात करते हुए  सिवनी संयुक्त किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष राजेश पटेल ने बताया कि  विपणन विभाग के ओपन अनाज भंडारण केंद्र देवरी के अलावा अन्य केम्पों में भी भारी गवन भ्रस्टाचार लूट के सबूत सामने आ रहे है चूंकि विभागीय जाँच की गति बहुत धीमी है जिसे तेज किया जाना चाहिए और दोषियों पर दंडात्मक कार्यवाही भी होना चाहिए। जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।बगैर भय डर के शासकीय सेवा में कार्यरत रहते हुए जो कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से नहीं कर रहे ऐसे कर्मचारियों को सीधे सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए और वर्तमान में पढ़े लिए योग्य युवाओं को सेवा में लिए जाने की जरूरत है।

 भंडारण केंद्रों में भण्डारित दर्जनों ट्रक अनाज प्रभारियों द्वारा बेचा गया।ओर खाना पूर्ति के लिए मोटर पंप लगाकर अनाज को पानी डालकर सड़ाया तक गया। जिससे घोटाले के पाप दवाएं जा सके। नरेरा कैम्प 2 के प्रभारी जितेंद्र राजपूत जैसे कर्मचारी जो कहने को तो चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारी है। इनके द्वारा भी दर्जनों ट्रक अनाज के साथ उसकी सुरक्षा में लगने वाली नई नई तिरपाल  कैप जिसका मूल्य 18 से 20  हजार होता है नए के नए आधे कीमत में बेच दिया जाता है और सुरक्षा में फ़टे टूटे तिरपाल लगाकर जानबूझ कर अनाज सड़ाया जाता रहा है  जिसकी जाँच अभी बाकी है वहीँ विभाग में एकतरफा राज कर रहे दिलीप अवधिया के कारनामों पहुँच पकड़ के चलते जिस प्रकार उक्त तीनों निलंबित कर्मचारी शिकायतों के बाद चुप्पी साधे रहे निलंबन से स्पष्ट हो गया है भ्रष्टाचार में यह भी बराबर के भागीदार है। कई मामले में जांच होना अभी बाकी है या क्रियाशील है। 

सरकारी सेवा दे रहे कर्मचारियों के भ्रस्ट कारनामों किसानों के साथ हो रहे शोषण व राष्ट्र का अहित के विरुद्ध मुखर होकर  अनियमितताओं  को लेकर किसान मोर्चा लंबी लड़ाई लड़ रहा है यहां पर विशेष उल्लेखनीय है कि 2 माह पूर्व ही संविदा में कार्यरत खाद कक्ष व ओपन कैम्प  प्रभारी दिलीप अवधिया को सेवा से बर्खास्त किया गया था जिनके भ्रस्ट कारनामों की आंच अभी कई समिति प्रबंधकों व खरीद केंद्र प्रभारियों तक पहुँचने की उम्मीद लगाई जा रही है। जिन्होंने खुल कर किसानों ओर शासकीय संपति का दोहन किया है खटमल की तरह मौका मिलते ही खून चूसा है।

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