महिमा मंडन और छवि मर्दन का नया दौर -

उन प्रवृत्तियों से अपने आपको बचाएगी जो आत्मघाती हैं -
 
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महिमा मंडन और छवि मर्दन का नया दौर -

सचमुच हम भारतीय बहुत फ़ुर्सत में हैं। यही वजह है कि हम हर रोज मगजमारी के लिए नये मुद्दे की प्रतीक्षा करते हैं। अब हमारे सामने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर बीबीसी द्वारा बनाया गया एक वृत्तचित्र है। कुछ लोग इस अप्रदर्शित वृतचित्र के खिलाफ गाल बजा रहे हैं तो दूसरी तरफ कुछ लोग इस वृत्तचित्र के समर्थन में ढाल बनकर खड़े हैं। सरकार ने इस वृत्तचित्र के प्रदर्शन पर कुछ जगह रोक लगाकर विवाद शुरू किया है।

गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डाक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड शेयर करने वाले कई यूट्यूब वीडियो को ब्लॉक कर दिया गया है. शनिवार (21 जनवरी) को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, इस डाक्यूमेंट्री का एपिसोड शेयर करने वाले यूट्यूब वीडियो को ब्लॉक किया गया। साथ ही केंद्र ने ट्विटर को संबंधित यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 से अधिक ट्वीट्स को ब्लॉक करने का भी निर्देश दिया है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू इस मामले में कुछ ज्यादा आक्रामक हैं। किरेन ने कहा  है कि देश में कुछ लोग बीबीसी को भारत के सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानते हैं। वह अपने नैतिक मूल्यों को खुश करने के लिए देश की गरिमा और छवि को किसी भी हद तक कम करने को तैयार हैं। सवाल ये है कि भारत में महिमा मंडन और छवि मर्दन के मौजूदा दौर में सरकार एक वृत्तचित्र से हलकान क्यों  हो रही है ?

भाजपा मानती है कि भारत के प्रधानमंत्री अघोषित विश्व गुरु हैं। यदि हैं तो फिर उनका मानमर्दन भला किसी एक वृत्तचित्र से कैसे हो सकता है ? प्रधानमंत्री मोदी जी को गोधरा काण्ड में सबसे बड़ी अदालत दोषमुक्त कर चुकी हैं बावजूद देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस फैसले पर भरोसा नहीं करता। बीबीसी भी नहीं करता ऐसे में यदि बीबीसी ने यदि कोई बात रखी हैं तो उसे गौर से देखिए, प्रतिवाद कीजिए या समर्थन कीजिए। लेकिन प्रतिक्रियाएं दबाकर आप क्या हासिल करना चाहते हैं।

मैंने पहले भी कहा था कि देश में जैसे गोदी मीडिया है उसी तरह गोदीवुड भी है। मोदी के कथित मानमर्दन की कोशिश नेताओं के खिलाफ पहले भी की जा चुकी है। बीबीसी भी कोई अलग नहीं है, हां उसकी विश्वसनीयता अभी भी बची हुई है। मोदी के पहले इंदिरा गांधी के मानमर्दन के लिए अनेक फिल्मों का निर्माण किया गया। किताबें लिखीं गई। लेकिन इंदिरा गांधी का कुछ नहीं बिगड़ा। बीबीसी पर वृत्तचित्र चलने से भी मोदी जी का कुछ नहीं बिगड़ने वाला। दि कश्मीर फाइल से कांग्रेस का क्या बिगड़ा आखिर ? ऐसे में फिल्म पर की जाने वाली प्रतिक्रियाओं को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए।

भाजपा को लगता है कि देश में अल्पसंख्यक या हर समुदाय सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हैं। इन चीजों से भारत के अंदर या बाहर चलाए गए दुर्भावनापूर्ण अभियानों से भारत की छवि कभी खराब नहीं हो सकती है। भाजपा प्रधानमंत्री मोदी की आवाज को पूरे देश की आवाज मानती है। है।

भाजपा को लगता है कि भारत में कुछ लोग अभी भी औपनिवेशिक नशे से नहीं उतरे हैं। ये लोग बीबीसी को भारत के सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानते हैं। इससे पहले रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व चीफ संजीव त्रिपाठी भी भाजपा के सुर में सुर मिला चुके हैं। त्रिपाठी को लगता है कि वृत्तचित्र पक्षपाती और मनगढ़ंत तथ्यों की गलतियों से भरा हुआ है। वृत्तचित्र में 2002 के गुजरात दंगों और गोधरा ट्रेन जलाने की घटना को शामिल किया गया है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मामले में मोदी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी। वृत्तचित्र में भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव की जांच करने का दावा करती है।

इस मामले में भारत सरकार और भाजपा ने वृत्तचित्र को लेकर जो रवैए अख्तियार किए हैं वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसे हैं। भाजपा भूल चुकी है कि समस्याओं की सुरसा जितना बदन बढाती है, प्रतिकार के हनुमान का बदन भी दोगुना बढ़ता है। इस समय मोदी जी के विरोध के हनुमान अतिलघु रूप धारण करने वाले नहीं हैं। बेहतर हो कि भाजपा लोकतांत्रिक तरीके से राजनीति करे।

भाजपा घबड़ाहट में समूचे प्रतिपक्ष के साथ पूरी तौर पर अलोकतांत्रिक व्यवहार करती आ रही है। इसका खमियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ रहा है, किंतु भाजपा राहुल गांधी की टीशर्ट में ही फंसकर रह गई है। भाजपा के रुख से मृतप्राय कांग्रेस को नवजीवन मिल रहा है। मुझे लगता है कि भाजपा वक्त की नजाकत समझेगी और उन प्रवृत्तियों से अपने आपको बचाएगी जो आत्मघाती हैं।
@ राकेश अचल