एमबीए छात्र ने छोड़ी परीक्षा: 4 जिंदगी बचाई, निभाया मानवता का फर्ज और बन गया रियल हीरो

एमबीए छात्र ने छोड़ी परीक्षा
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File photo

एमबीए छात्र ने छोड़ी परीक्षा: 4 जिंदगी बचाई, निभाया मानवता का फर्ज और बन गया रियल हीरो
 

एमबीए छात्र ने छोड़ी परीक्षा: 4 जिंदगी बचाई, निभाया मानवता का फर्ज और बन गया रियल हीरो

बुलंदशहर: जब किसी को मदद करने का जुनून उठता है तो फिर वह अपना जरूरी काम नहीं देखता है और ना फिर धर्म-जाति की दीवार को देखता है. बुलंदशहर में भी यही हुआ. कल जब एक सड़क हादसे में एक मुस्लिम परिवार घायल हो गया तो वहां आसपास के लोग तो वीडियो बनाने में लग रहे थे, लेकिन एमबीए का एग्जाम देने जा रहे अनुज चौधरी ने अपने पेपर की चिंता ना कर उस परिवार की मदद में लग गया और उनको एक वाहन रोककर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया.

हालांकि इस मदद में अनुज का एमबीए का पेपर छूट गया लेकिन अनुज की मदद की सब जगह तारीफ हो रही है. हुआ यूं कि जनपद के खुर्जा मौजपुर निवासी नूर मोहम्मद अपनी पत्नी फरजाना का इलाज कराने बाइक से दिल्ली जा रहे थे. उनके साथ में छोटी बेटी और बेटा भी थे. जैसे ही उनका वाहन सिकंदराबाद क्षेत्र में एक मैरिज होम के पास पहुंचा. पीछे से आ रहे एक वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी. टक्कर लगने पर बाइक से उनकी पत्नी, दोनों बच्चे और वे खुद सड़क पर गिर गए.

नूर मोहम्मद मदद की गुहार लगाते रहे. पहले तो कोई आया नहीं बाद में मौके पर भीड़ तो जमा हो गई और लोग मदद की बजाय घायलों की वीडियो बनाने लगे. किसी ने उनकी मदद के लिए वाहन आदि की व्यवस्था नहीं की और न ही अपने ही वाहन से उनको अस्पताल तक छोड़ने की हिम्मत जुटाई. इसी दौरान क्षेत्र के गांव प्राणगढ़ निवासी अनुज चौधरी भी वहां से बाइक से गुजर रहा था. उसने लोगों को वीडियो बनाने के लिए रोका और उनकी मदद करने के लिए आह्वान किया.

लेकिन कोई आगे नहीं आया, जिस पर अनुज ने एक ई-रिक्शा रोककर चारों घायलों को सरकारी अस्पताल सिकंदराबाद भेजा और उनका इलाज वहां पहुंचकर शुरू हुआ. बताया जा रहा है कि इलाज के दौरान नूर मोहम्मद की पत्नी फरजाना की मौत हो गई. इस पूरे प्रकरण में लगभग एक घंटा लग गया जिसके चलते अनुज पेपर एमबीए का पेपर देने दादरी जा नहीं पाया और उसका एग्जाम छूट गया.

अनुज चौधरी का कहना था कि एग्जाम तो भविष्य में कभी भी दे दिया जाएगा, बैक पेपर के माध्यम से दिया जा सकता है, लेकिन यदि किसी का जीवन बच गया तो उसका पूरी जिंदगी बच जाती है. अनुज को भी अफसोस है कि वह परिवार की एक महिला सदस्य की इस हादसे में जान नहीं बचा पाया.

इस हादसे में घायल हुए नूर मोहम्मद का कहना था कि सड़क दुर्घटना के बाद 10 मिनट तक वे जमीन पर ही पड़े रहे, वहां से लोग गुजरते भी रहे लेकिन किसी ने उन्हें मदद करने की कोशिश नहीं की. बाद में आए लोगों ने फोटो खींचना-वीडियो बनाना शुरू कर दिया तभी अनुज ने आकर उनका हौसला बढ़ाया और वाहन रोककर अस्पताल तक पहुंचाया.