संत की खुदकुशी का मामला, राज्य सरकार ने दिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश

संत की खुदकुशी का मामला
 | 
1

File photo

संत की खुदकुशी का मामला, राज्य सरकार ने दिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश 

राजस्थान। राजस्थान में अवैध खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत विजय दास बाबा की शनिवार तड़के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है. उनका शरीर 80 प्रतिशत जल गया था. उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया गया था. वहीं अशोक गहलोत ने शनिवार को उनकी मौत के मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की घोषणा कर दी.

उन्होंने कहा, ''मुझे दुख है कि जब सरकार ने उनकी मांगों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी तो उन्हें किन परिस्थितियों में यह दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाना पड़ा. इस घटना की जांच प्रमुख शासन सचिव स्तर के अधिकारी से करवाने का निर्णय लिया गया है. साथ ही, श्री विजय बाबा के परिजनों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष से दी जाएगी. राजस्थान के बृज क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ विजय दास 500 से ज्यादा दिन तक धरने पर बैठे थे. उन्होंने 501वें दिन खुद को आग लगा ली थी, जिसमें वो गंभीर रूप से झुलस गए थे और उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया था. हालत गंभीर होने के बाद उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल और फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया.

भरतपुर की बीजेपी सांसद रंजीता कोली ने विजय बाबा की मौत पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि विजय बाबा ने 500 से ज्यादा दिन तक विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन इस मामले में संज्ञान क्यों नहीं लिया गया. वो जनता के लिए लड़ रहे थे, अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं. रंजीता कोली ने साधु विजय बाबा की मौत की सीबीआई जांच की मांग भी की. ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ एक और संत नारायण दास भी धरने पर हैं. नारायण दास बाबा 19 जुलाई से मोबाइल टावर पर चढ़े हुए हैं. पुलिस-प्रशासन के अधिकारी नारायण दास की मान-मनौव्वल में जुटे हैं. प्रशासन की ओर से संत नारायण दास को मनाने के लिए की जा रही कोशिशें भी बेअसर होती दिख रही हैं.

प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी संत नारायण दास मोबाइल टावर से नीचे उतरने को तैयार नहीं. साधु-संतों की मांग है कि ब्रज क्षेत्र में खनन को तत्काल रोका जाए. संत समाज इसे लेकर डेढ़ साल से भी अधिक समय से धरने पर है.साभार