बिजली दरें तय करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,तीन माह के भीतर मानदंड तैयार करने होंगे -

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला  -
 
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बिजली दरें तय करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,तीन माह के भीतर मानदंड तैयार करने होंगे -

नई दिल्ली । देश में अब सभी राज्य बिजली की दरें तय करने के नियम बनाएंगे। दरअसल, कम लागत वाली बिजली दरों की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। इस संबंध में कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्य बिजली नियामक आयोगों को राष्ट्रीय बिजली नीति और राष्ट्रीय टैरिफ नीति के अनुरूप टैरिफ निर्धारण के लिए एक मानदंड तैयार करने का आदेश दिया है। इसके अंतर्गत सभी राज्य बिजली नियामक आयोगों को तीन माह के भीतर मानदंड तैयार करने होंगे।

क्या है कोर्ट के इस आदेश का उद्देश्य ?
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का उद्देश्य पूरे देश में लागत प्रभावी टैरिफ सिस्टम सुनिश्चित करना है, जो इंट्रा-स्टेट पावर ट्रांसमिशन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में आता है।

कैसे चर्चा में आया यह विषय ?
दरअसल, हुआ यूं कि टाटा पावर ने अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एक ट्रांसमिशन का लाइसेंस दिए जाने को चुनौती दी थी। इसी मामले को लेकर दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिजली अपीलीय ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती देने वाली टाटा पावर कंपनी की अपील खारिज करते हुए ये आदेश दिए। कोर्ट ने इसी मामले में निर्णायक फैसला सुनाया है। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा जो देश में कम लागत वाली बिजली दरों की दिशा में अहम कदम बनने जा रहा है…

• यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने टाटा पावर कंपनी लिमिटेड की एक अपील को खारिज करते हुए दिया है, जिसमें अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई इंफ्रा लिमिटेड ट्रांसमिशन को 1000MW हाई-वोल्टेज डायरेक्ट करंट (HVDC) लिंक स्थापित करने के लिए लाइसेंस देने के महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग के 21 मार्च, 2021 के फैसले को चुनौती दी गई थी।

• शीर्ष अदालत ने इस संबंध में कहा कि अडानी-टाटा मुकदमेबाजी ने राज्य पारेषण उपयोगिता के कामकाज की तदर्थ प्रकृति यानि ad-hoc nature of the functioning of the State Transmission Utility को उजागर किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कंपनी बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए एचवीडीसी तकनीक पर अपना रुख बदल रही है।

निजी क्षेत्र को बढ़ावा -
• खंडपीठ ने आगे कहा कि यदि विनियम पहले से ही तैयार किए जा चुके हैं, तो आयोग उपयुक्त संशोधनों को प्रभावी करेगा “ताकि टैरिफ निर्धारित करने के लिए तौर-तरीकों को चुनने के लिए मानदंडों पर प्रावधानों को शामिल किया जा सके, यदि वे पहले से ही शामिल नहीं किए गए हैं।”

• राज्य आयोगों को संबंधित राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में, पीठ ने कहा कि बनाए जाने वाले मानदंडों और संशोधनों का उद्देश्य बिजली क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देना होना चाहिए ताकि टैरिफ निर्धारण की एक स्थाई और प्रभावी प्रणाली तैयार की जा सके जो कि लागत प्रभावी हो ताकि इस तरह के लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचें।
क्रेडिट प्रजा परखी