घर में हवालातनुमा कमरा: 30 साल से सलाखों के पीछे कैद है ये शख्स, जानें वजह

30 साल से सलाखों के पीछे कैद है ये शख्स
 
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30 साल से सलाखों के पीछे कैद है ये शख्स, जानें वजह
 

बिहार। गुनाह की सजा काटने के लिए बंदी सलाखों में रहते हैं, लेकिन बिहार में एक शख्स अपने ही घर में 30 साल से सलाखों के पीछे कैद है. यह शख्स कैद में ही नित्यक्रिया को अंजाम देता है और खाली समय में सलाखों के बाहर झांकता रहता है. यह मामला भागलपुर जिले का है. यह कहानी पीड़ित की 90 वर्षीय मां से सुनकर हैरान रह जाएंगे. भरोसा करना मुश्किल है कि कोई चंद रुपयों के इलाज से वंचित होकर 30 साल तक अपने ही घर में कैदी की तरह रह सकता है.

केंद्र सरकार सहित राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं पर करोड़ों खर्च करती है. हर आम आदमी को मुफ्त में इलाज का दावा किया जाता है. कई योजनाएं शहरी और ग्रामीण लोगों के लिए चल रही हैं, लेकिन धरातल पर हकीकत क्या है. भागलपुर शहर में अपने घर में एक शख्स बीते 30 साल से कैद है. दरअसल, ये शख्स सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) यानी मानसिक बीमारी से पीड़ित है, जिसका इलाज संभव है. बिहार में कई सरकारी डॉक्टरों के अलावा निजी क्लीनिक हैं, जो ऐसे मरीजों का इलाज करते हैं, लेकिन गरीब मां के पास ये सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं.

अपने ही घर में कैद शख्स का नाम अली हसन है, जो मानसिक रूप से बीमार है. अली हसन कहीं चला न जाए, इसके लिए मां ने उसके लिए घर में हवालातनुमा कमरा बनवा दिया. उसी में अली हसन को बंद कर बाहर से ताला लगा दिया. मां बुजुर्ग हैं. खाना बनाकर हवालात में ही दे देती हैं. बेटा तीस साल से अंदर बैठा है. देखने में स्वस्थ्य है, बस अदद इलाज न मिलने से कैद में रहने को मजबूर है.

बुजुर्ग मां हुसना आरा कहती हैं कि वो अपने बेटे की हालत देखकर रोती रहती हैं, उनसे देखा नहीं जाता. वो बाहर आने पर मारपीट करता है, हंगामा करता है. डर की वजह से बंद कर रखा है. पड़ोसियों का कहना है कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और अली हसन का इलाज जरूर कराना चाहिए. पड़ोसी मीडिया के माध्यम से सोनू सूद तक बात पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं, ताकि अली हसन का इलाज हो सके.साभार