Pensioners Pension : सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश, इस तरह मिलेगा पारिवारिक पेंशन का लाभ, यह नहीं होंगे पात्र -

इस तरह मिलेगा पारिवारिक पेंशन का लाभ, यह नहीं होंगे पात्र -
 
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Pensioners Pension : सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश, इस तरह मिलेगा पारिवारिक पेंशन का लाभ, यह नहीं होंगे पात्र -

कर्मचारी पेंशनर्स को मिलने वाले पारिवारिक पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। इसी आदेश के तहत पारिवारिक पेंशन का लाभ पात्रों को उपलब्ध कराया जाएगा।

Pensioners Pension : कर्मचारी पेंशनर्स के लिए बड़ी खबर है। सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पारिवारिक पेंशन को लेकर अब नई अपडेट सामने आई है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इससे कुछ कर्मचारियों को बड़ा झटका लग सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि पति की मृत्यु के बाद विधवा द्वारा गोद ली हुई संतान को पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं दिया जाएगा। केंद्रीय सिविल सेवा नियम 54(14) बी और 1972 के सीसीएस पेंशन नियम के तहत गोद लिया हुआ बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा है कि यह जरूरी है कि पारिवारिक पेंशन के लाभ के दायरे सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने जीवन काल में रूप से गोद लिए हुए तक ही सीमित किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
इस संबंध में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस वी वी नागरत्ना की पीठ द्वारा 30 नवंबर 2015 को बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को भी बरकरार रखा गया है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि यह प्रावधान पूरी तरह से विस्तृत नहीं हो सकता, जितना अपीलकर्ता के वकील द्वारा बताया गया है। वही सीसीएस पेंशन नियम के तहत परिवार की परिभाषा पारिवारिक पेंशन की पात्रता के संदर्भ में और सरकारी कर्मचारी के संबंध में संकीर्णता से की गई है। ऐसे में पति की मृत्यु के बाद गोद लिए हुए बच्चे को पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।

गोद लिया बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि शासकीय कर्मचारियों के मौत के बाद यदि बच्चा गोद लिया जाता है तो वह पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होगा। इस संबंध में सूचना अदालत द्वारा हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 का जिक्र करते हुए फैसला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अधिनियम की धारा 8 और 12 एक हिंदू महिला जो नाबालिग और मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं है, उसे अपने अधिकार में बच्चे और बेटी को गोद देने की अनुमति दी जाती है। हालाकि अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि हिंदू महिला, जिसका पति भी है। अपने पति की स्पष्ट सहमति के बिना बच्चा गोद नहीं ले सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि वही वैसी महिला, जिनके पति की मृत्यु हो चुकी है, वैसी महिला के संबंध में ऐसी कोई शर्त पूर्व में लागू नहीं होती है। साथ ही इस तरह की कोई पूर्व शर्त तलाकशुदा हिंदू विधवा या उस हिंदू महिला के बारे में भी लागू नहीं होती है। जिसके पति ने शादी के बाद अंतिम रूप से दुनिया को त्याग दिया हो। ऐसी स्थिति में पति की मृत्यु हो जाने के बाद पत्नी द्वारा ली गई संता ने किसी भी सूरत में पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं होगी। क्रेडिट MP ब्रेकिंग