बड़ी खबरी : यहां बीमार बूढ़े मां-बाप को मार देती है अपनी ही औलाद, पढ़े भारत में कहां होता है ऐसा?

यहां बीमार बूढ़े मां-बाप को मार देती है अपनी ही औलाद
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यहां बीमार बूढ़े मां-बाप को मार देती है अपनी ही औलाद, पढ़े भारत में कहां होता है ऐसा?

नई दिल्ली: मशहूर शायर मुनव्वर राणा का एक शेर है- "हमीं गिरती हुई दीवार को थामे रहे वरना, सलीके से बुज़ुर्गों की निशानी कौन रखता है." भारतीय समाज हमेशा ही लोगों को अपने घर के बड़े-बुजुर्गों की इज्जत करना सिखाता है. भारतीय लोग जानते हैं कि इंसान भले ही बूढ़ा हो जाए मगर उसके अनुभव कभी पुराने नहीं होंगे. मगर भारत में ही एक ऐसी जगह है जहां बुजुर्गों (Indian State where Old People are Killed by family) को उनके ही परिवार के लोग मार डालते हैं. इस बेहद हैरान करने वाली प्रथा (Weird Custom to kill elderly people) के पीछे विचित्र कारण है.

तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी (South Districts of Tamil Nadu) हिस्से में 'थलाईकूथल' (Thalaikoothal) नाम की एक प्रथा (Killing Old People Tradition in Tamil Nadu) पिछले काफी वक्त से मानी जा रही है. ये प्रथा जितनी हैरान करने वाली है उतनी ही खौफनाक भी है. इस प्रथा के अंतर्गत लोग अपने घर के बुजुर्गों को जान से मार डालते हैं. मगर इस प्रथा के पीछे एक कारण है. हालांकि ये कारण इस प्रथा का समर्थन नहीं कर सकता.

जहां-जहां थलाईकूथल प्रथा का पालन होता है, वहां लोग किसी भी बुजुर्ग को जान से नहीं मारते. बल्कि उन बुजुर्गों को मारा जाता है जिनकी बीमारी असाध्य है. असाध्य रोग (Elderly with incurable diseases killd in Indian State) से पीड़ित होने के कारण मौत की इच्छा रखने वाले किसी व्यक्ति की जान ली जाती है. कई बार परिवार या आस पड़ोस के लोग खुद ही ये फैसला कर लेते हैं, तब जब उन्हें लगता है कि बुजुर्ग अब बेहोशी या कोमा की अवस्था में चला गया या फिर बिल्कुल अपनी मौत के मुंह तक वो पहुंच चुका है.

पहला तरीका- इस प्रथा में मौत देने के लिए पहले तेल से बुजुर्ग शख्स को नहलाया जाता है. फिर उसे जबरन कच्चे नारियल का रस पिलाया जाता है. उसके बाद तुलसी का रस और दूध पिला दिया जाता है. ऐसा करने के पीछे खास कारण है. तेल से नहलाने के बाद तुरंत ये चीजें पिलाने से शरीर का तापमान 92-93 डिग्री फैरेनहाइट तक चला जाता है जो सामान्य तापमान से काफी कम हो जाता है. ऐसे में शरीर का तंत्र बिगड़ने लगता है और दिल का दौरान पड़ने से मौत हो जाती है.

दूसरा तरीका- बेहद बीमार और बिस्तर पर पड़े बुजुर्गों को कई बार कड़ी चकली जैसी डिश मुरुक्कू दी जाती है. उसे जानबूझकर उनके गले में डाला जाता है जिससे कड़ी चीज गले में फंस जाए और उनकी दम घुटने से मौत हो जाए.

तीसरा तरीका- एक और तरीका ये होता है कि मिट्टी को पानी में मिलाकर मरते हुए आदमी को पिला दिया जाता है. इससे अधमरे आदमी का पेट खराब हो जाता है और मौत हो जाती है.

गरीबी के चलते लोग अपनाते थे ये तरीका

रिपोर्ट्स के अनुसार जब थलाईकूथल की प्रथा जारी रहती है, उसी वक्त अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. हैरानी की बात ये है कि इस मामले में पुलिस केस भी नहीं हो पाता क्योंकि ये सारी मौतें बुढ़ापे में नेचुरल डेथ की तरह देखी जाती है और डॉक्टर भी डेथ रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर देते हैं. जब चिकित्सा की सुविधा देश में काफी खराब थी, तब इस प्रथा को ज्यादा अपनाया जाता था. उस दौरान गरीब लोग, जिनके पास इलाज के पैसे नहीं होते थे, इस प्रथा का पालन करते थे.