BREAKING : पति- पत्नी ने अपने हाथों से बनाया मिट्टी का घर, 700 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल,जनिये

पति- पत्नी ने अपने हाथों से बनाया मिट्टी का घर
 
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पति- पत्नी ने अपने हाथों से बनाया मिट्टी का घर, 700 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

पुणे: हर पति-पत्नी की ख्वाहिश होती है कि उसका अपना घर हो जिसे वो अपने हाथों से सजाए और उसकी देखभाल करे. अपना घर बनाना आसान काम नहीं है. कई बार तो लोगों के पास घर खरीदने के पैसे नहीं होते जबकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके पास पैसे तो होते हैं मगर इच्छा नहीं होती. पर एक कपल ने अपना घर इस तरह बनाया है कि हर कोई दंग है और उनसे इंस्पायर भी हो रहा है. इस कपल ने अपने हाथों से मिट्टी का घर बनाया जो दो फ्लोर का है.

पुणे के रहने वाले कपल युगा अखारे और सागर शिरुडे ने प्लान कि वो महाराष्ट्र के वाघेश्वर गांव में अपना एक फार्महाउस बनाएंगे जो बांस और मिट्टी से बनेगा. मगर गांव के लोगों ने उन्हें ये कहते हुए मना कर दिया कि उस इलाके में बहुत बारिश होती है, उनका घर पानी के साथ बह जाएगा. युगा और सागर हार मानने वाले नहीं थे. उन्होंने लोगों को पुराने जमाने के बने हुए किले और मकानों का उदाहरण दिया जो महाराष्ट्र के कई हिस्सों में आज भी बने हुए हैं.

आर्किटेक्ट हैं पति-पत्नी

द बेटर इंडिया वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में युगा और सागर ने साथ में पुणे के कॉलेज से पढ़ाई पूरी की और फिर साथ में मिलकर सागा एसोसिएट्स नाम का एक फर्म शुरू किया. दोनों ही आर्किटेक्ट थे तो उन्होंने मिलकर कई इमारतों और संस्थानों का डिजाइन तय किया. मगर उनका मिट्टी से बना ये घर बेहद खास है जिसका नाम उन्होंने 'मिट्टी महल' रखा है. रिपोर्ट के मुताबिक तौकते तुफान के वक्त उनके घर को जरा भी मुश्किल नहीं हुई. ना ही घर के अंदर पानी घुसा.

बेहद सस्ती है घर की कीमत

आप जानकर दंग हो जाएंगे कि कपल के इस घर को बनाने में सिर्फ 4 लाख रुपये का खर्च आया है. उन्होंने घर के लिए लोकल मटीरियल का इस्तेमाल किया और कई चीजों को रीसाइकल भी किया. कपल ने बताया कि इस घर को बनाने के लिए उन्होंने बांस, लाल मिट्टी और घास का इस्तेमाल किया है. घर के लिए मिट्टी को खास तरह से तैयार किया गया. इसमें भूसी, गुड़ और हरड़ के पौधे के रस को मिलाया गया. इसके बाद नीम, गऊ मूत्र और गोबर को भी मिलाया गया. तब जाकर ऐसी मिट्टी तैयार हुई जिसे ईंटों और बैंबू को चिपकाया गया.

700 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल

कपल ने घर को भीषण मौसम से बचाने के लिए बॉटल और डॉब तकनीक का इस्तेमाल किया. इस 700 साल पुरानी तकनीक में लड़की या बांस की पट्टियों को गीली मिट्टी के साथ जोड़ा जाता है जिससे वो आसानी से जुड़ जाते हैं और उनमें थर्मल इंसुलेशन और साउंड इंसुलेशन भी आसानी से हो सकता है. घर की दीवारें भी ऐसी बनाई गई हैं कि वो गर्मी में ठंडी रहती हैं और सर्दी में गर्मी सोखकर कमरों को गर्म बनाती हैं. इसे कॉब वॉल सिस्टम कहते हैं.