बड़ी खबर: LG के पूर्व सलाहकार के घर पर छापा, IAS और IPS भी CBI की राडार पर -

छापा, IAS और IPS भी CBI की राडार पर -
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LG के पूर्व सलाहकार के घर पर छापा, IAS और IPS भी CBI की राडार पर -

श्रीनगर। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों ने मंगलवार को श्रीनगर शहर में जम्मू-कश्मीर सरकार के पूर्व सलाहकार बसीर अहमद खान के घर पर छापा मारा। सीबीआई अधिकारियों की एक टीम ने स्थानीय पुलिस की सहायता से मंगलवार सुबह बसीर अहमद खान के बुलबुल बाग बघाट बरजल्ला स्थित घर पर छापा मारा। 

सूत्रों ने कहा कि छापेमारी फर्जी बंदूक लाइसेंस रैकेट के सिलसिले में की जा रही है जिसमें उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के पूर्व सलाहकार कथित रूप से शामिल हैं।

जांच एजेंसी ने नई दिल्ली और मध्य प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्सों में 40 जगहों पर छापेमारी की। सीबीआई से जानकारी मिली थी कि खान फर्जी बंदूक लाइसेंस रैकेट का एक आरोपी है। पदोन्नत आईएएस अधिकारी खान को इस महीने की शुरुआत में सलाहकार के पद से मुक्त कर दिया गया था। बशीर को पिछले साल मार्च में सलाहकार बनाया गया था, उस वक्त जी सी मुर्मू जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल थे। मुर्मू के बाद सिन्हा उप राज्यपाल बने और खान उनके सलाहकार के पद पर कार्यरत रहे।

पिछले साल, एक अन्य आईएएस अधिकारी, राजीव रंजन और जम्मू-कश्मीर कैडर के एक वरिष्ठ अधिकारी, इतरत हुसैन रफीक को सीबीआई ने घाटी के कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर के रूप में अपने आधिकारिक पद के दुरुपयोग के लिए उसी जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। यह रैकेट भारत का सबसे बड़ा फेक गन लाइसेंस रैकेट माना जाता है। जिसमें जम्मू-कश्मीर के बाहर रहने वाले लोगों को भी हजारों बंदूक लाइसेंस मौद्रिक विचार पर जारी किए गए थे। कहा जा रहा है कि लगभग ढाई लाख फर्जी लाइसेंस जारी किए गए।

आरोप है कि तत्कालीन लोक सेवकों ने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर राज्य के गैर निवासियों को नियमों का उल्लंघन कर शस्त्र लाइसेंस जारी किया और रिश्वत ली। राजस्थान आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने 2017 में इस घोटाले का खुलासा किया था और अवैध रूप से शस्त्र लाइसेंस जारी करने में संलिप्तता के आरोप में 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। एटीएस के अनुसार, कथित रूप से सेना के जवानों के नाम पर 3,000 से अधिक परमिट दिए गए थे। एटीएस के निष्कर्षों के आधार पर, जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल एन एन वोहरा ने मामले में जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया था।