सोने-चांदी के सिक्के : फटी रह गईं सबकी आंखें ? जानें पूरा मामला ! सड़क की खुदाई में निकले सोने-चांदी के सिक्के

फटी रह गईं सबकी आंखें
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महिला मजदूर को फावड़े से कुछ टकराने की आवाज सुनाई दी. जब थोड़ा और खुदाई की तो उसकी आंखें फटी रह गईं. दरअसल, जमीन के नीचे एक घड़े में सोने-चांदी के सिक्के और गहने छिपाए गए थे.

खास बातें ।

  • जमीन के नीचे घड़े में सोने-चांदी के सिक्के और गहने छिपाए गए थे।
  • घड़े में सोने के 57 सिक्के, चांदी का एक सिक्का और एक कान की एक बाली थी।
  • प्राथमिक जांच में 12वीं और 13वीं शताब्दी के लग रहे हैं सिक्के।

नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में सड़क निर्माण के लिए खुदाई के दौरान जो हुआ उसे सुनकर आप चौंक जाएंगे. यहां मजदूर खुदाई कर रहे थे. कोरकोटी व बेड़मा गांव के बीच सड़क निर्माण के लिए मजदूर खुदाई कर रहे थे, इसी दौरान एक महिला मजदूर को फावड़े से कुछ टकराने की आवाज सुनाई दी. जब थोड़ा और खुदाई की तो उसकी आंखें फटी रह गईं. दरअसल, जमीन के नीचे एक घड़े में सोने-चांदी के सिक्के और गहने छिपाए गए थे. जिला कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम ने बताया कि घड़े में सोने के 57 सिक्के, चांदी का एक सिक्का और एक कान की एक बाली रखी हुई थी. ये सभी 12वीं शताब्दी के हैं और 10 जुलाई को खुदाई के दौरान मिले. कोरकोटी के सरपंच नेहरूलाल बघेल ने घड़े और सिक्कों को मुझे सौंपा है. कलेक्टर ने कहा कि घड़ा जमीन में कुछ फीट नीचे छिपाकर रखा गया था.

एक महिला मजदूर को खुदाई के दौरान यह मिला. इसके बाद अन्य मजदूरों को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने गांव वालों को इसकी सूचना दी. प्राथमिक जांच में लग रहा है कि ये सिक्के 12वीं और 13वीं शताब्दी के हैं. सिक्कों में उस दौरान प्रचलित लिपि में लेखन भी है. यह लिपि उस कालखंड में यादव वंश के साम्राज्य में प्रचलित थी. जिनका तत्कालीन विदर्भ (अब महाराष्ट्र) क्षेत्र में राज्य था. इसके अलावा यादव वंश के साम्राज्य का विस्तार दंडकारण्य में भी था, जिसका अब छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के 7 जिलों में विस्तार है. जिला कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम ने बताया कि पुरातात्विक महत्व के सभी सिक्कों के मिलने की जानकारी शासन और पुरातत्व विभाग को दे दी गई है. अब राज्य का पुरातत्व विभाग इन सिक्कों की जांच करेगा. ताकि इससे संबंधित और जानकारी सामने लाई जा सके और इन सिक्कों के वास्तविक कालखंड आदि का पता लगाया जा सके.