मिठाई दुकान, ठेले खोमचे में नकली पनीर की भरमार
Photo by google
मिठाई दुकान, ठेले खोमचे में नकली पनीर की भरमार
नकली पनीर 150 रुपए किलो बिक रहा है और लोग खा भी रहे हैं परिवार के साथ आमजनता के स्वास्थ्य के साथ कर रहे खुले आम खिलवाड़ कारण यह है कि लोगों को असली और नकली पनीर की पहचान का तरीका नहीं पता बाजार में शादी -समारोह में नकली पनीर की सप्लाई बढ़ी, जिसे खाते ही बिगाड़ सकता है.सेहत बाजार में बिक रहा मिलावटी पनीर कर सकता है बीमार, ऐसे करें असली की पहचान ठेले में सस्ते पनीर पकौड़ा, चिल्ली खाते है तो हो जाओ् सावधान
समझो पैसे देकर घर ला रहे है कैंसर, हाईबीपी, स्लो पाइनज आरारोठ- यूरिया केमिकल से डेयरी में बन रहा नकली पनीर असली-नकली की पहचान टिंचर आयोडिन से करें- पनीर में टिंचर डाले काला पडग़ए तो नकली और लाल रहा तो असली रायपुर। अगर आप भी पनीर खाने के शौकीन हैं तो अब आपको सावधान हो जाना चाहिए, और अगली बार बजार से पनीर खरीदने से पहले उसे परखने की कोशिश करें कि कहीं ये पनीर रिफाइंड ऑयल से बना मिलावटी तो नहीं है.। जनता से रिश्ता की टीम ने 18 अलग अलग जगहों से पनीर के सैंपल्स कलेक्ट किए और उन्हें लैब टेस्ट के लिए भेजा तो हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है, पता चला है कि पनीर को बनाने में इस्तेमाल होने वाले दूध से नेचुरल फैट निकाल लिया जाता है और उसमें चिकनाई बरकरार रखने के लिए अरारोठ- केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है.
सडक़ों में लगी गुमटियों, चौपाटी, फूड कार्नर, हलवाई और छोटी-मोटी मिठाई की दुकानों में सभी जगह में नक़ली पनीर का उपयोग किया जा रहा है नक़ली पनीर जो सिंथेटिक पाउडर आरॉरौट पाउडर-कैमिकल मिलाकर नक़ली पनीर बनाया जाता हैऔर सफेद कलर के लिए पानी वाला डिस्टेंबर पेंट मिलाया जाता है। जो शरीर के लिए बेहद ख़तरनाक केमिकल कॉम्बिनेशन है । लगातार नकली पनीर खाने से शरीर में कैंसर, बीपी, सुगर हार्ट जैसी गंभीर बीमारी से आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। नक़ली पनीर इसलिए भी खपाया जाता है कि इस बाज़ार में असली पनीर का भाव इस वक़्त साढ़े 4 सौ रुपया प्रतिकिलो के आस पास होना बताया जा रहा है । वही नक़ली पनीर बाजार में डेढ़-दो सै रुपये किलो मैं आसानी से घर पहुँचाकर दिया जाता है । मोमोस ,पकोड़ा , ब्रेड, सैंडविच, पनीर पकोड़ा, पनीर चिल्ली और तमाम तरह के पनीर से बनी हुई चीज़ें रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है। प्रदेश के स्वास्थ्य अमले ने नक़ली पनीर बेचने वालों पर कार्रवाई नहीं की जिसका परिणाम यह हुआ कि नक़ली पनीर बनाने वालों का कलेजा खुलकर छत्तीसगढ़वासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है जिसकी वजह से नक़ली पनीर बनाने वालों ने अपना जाल पूरे प्रदेश में फैला दिया और पूरे प्रदेश में नक़ली पनीर की फै़क्टरी लगातार खुलते जा रही है । तिल्दा-नेवरा, भाटापारा, रायपुर, नया पारा, राजिम के साथ रायपुर के नयापारा, गोल बाज़ार, मोवा, पंडरी, कालीवाड़ी नकली पनीर बनाने की फैक्ट्री है। पूरे प्रदेश में नकली पनीर से बनी तमाम खाने की चीजें धड़ल्ले से बिक रही है.। जिस पर खाद्य एवं औषधि विभाग ने संज्ञान लेकर कार्रवाई नहीं की है। जिसके फलस्वरूप नकली पनीर खाने वाले लोग अनेक बीमारियों से ग्रसित होकर अस्पताल पहुंच रहे है। नकली पनीर बेचने वाले जनता को सस्ते मोल में मौत की ओ्ंर ढकेल रहे है। वहीं स्वास्थ्य अमला कुंभकरणीय गहरी नींद में सोया हुआ है। नक़ली पनीर बनाने वाले मालामाल हो रहे है और खाने वाले लोग कैंसर हार्ड अटैक, पीबी, शुगर जैसी गंभीर बीमारियों के जद में आ रहे है।
सेहत को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है इस तरह का मिलावटी पनीर आपकी सेहत को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. नकली पनीर खाने की वजह से पेट की सेहत बिगड़ सकती है. ऐसे उल्टी आना और अपच की समस्या हो सकती है. इस समय बाजार में असली पनीर 420-450 रुपये प्रति किलो बिक रहा है जबकि नकली पनीर जिसे अरारोठ -केमिकल से बनाते हैं वो डेढ़ सौ रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. ज्यादातर शादियों, रेस्टॉरेंट्स या बल्क ऑर्डर में मिलावटी पनीर धड़ल्ले से चलाया जा रहा है और लोग इसे खा भी रहे हैं. शादियों का मौसम हो या त्योहारों का समय ऐसे पनीर सप्लायर्स द्वारा धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं.
बेधडक़ सप्लाई होता है दूसरे जिलों और राज्यों में रायपुर संभाग में नकली पनीर और घी का गोरखधंधा चल रहा है। नकली पनीर बनाने के लिए बेहद खतरनाक यूरिया, शैंपू, रिफाइंड तेल व अन्य पदार्थों को मिलाकर बनाया जा रहा नकली पनीर बनाकर मध्यप्रदेश के अलावा उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड और कोलकाता तक जा रहा है। नकली पनीर प्रतिदिन लग्जरी बसों से भेजा जा रहा है। लेकिन खाद्य विभाग द्वारा कोई बड़ी और ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से नकली पनीर का कारोबार करने वाले बेखौफ हैं। छोटे शहरों और कस्बों में जांच लैब नहीं नकली पनीर की पहचान करने के लिए छोटे शहरों और कस्बों में जांच लैब नहीं है, न ही जरूरी संसाधन हैं। यदि टीम मिलावटी खाद्य पदार्थ पकड़ती है तो अन्य राज्यों में जांच के लिए भेजा जाता है। इसकी रिपोर्ट आने में कई महीने लग जाते हैं। इससे कोई व्यक्ति मिलावट की शिकायत ही नहीं कर पाता। शिकायत से जांच तथा उसके बाद सजा होने तक की प्रक्रिया काफी लंबी है, इस कारण लोग आवाज उठाने से हिचकते हैं।
बच्चों के शरीर पर मिलावट का सबसे ज्यादा असर आता है। मिलावटी खानपान से बच्चों को पेट, स्कीन, त्वचा के साथ तरह-तरह की एलर्जी हो सकती है। बच्चों की लेट्रीन में खून भी आने लगता है। जिससे गुर्दे और लिवर भी बच्चों का खराब हो सकता है। इसके चलते बच्चे कम ही स्वस्थ्य रहते है और उनकी ग्रोथ भी रुक जाती है। -डॉ. धनश्याम दास, बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ|jsr