मिर्च की खेती किसानों को देगी कम समय में ज्यादा मुनाफ़ा, ये है मिर्च की खेती करने का बेहद आसान तरीका
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मिर्च की खेती किसानों को देगी कम समय में ज्यादा मुनाफ़ा, ये है मिर्च की खेती करने का बेहद आसान तरीका
मिर्च भारत की एक महत्तवपूर्ण फसल है। मिर्च को कड़ी, आचार, चटनी और अन्य सब्जियों में मुख्य तौर पर प्रयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से तीन तरह का होता है- मसालों वाली साधारण, आचार वाली व शिमला मिर्च। मिर्च खाने के लिए बेहद अच्छी लगती है। कैप्साइसिन रसायन मिर्च को तीखा बनाता है, इसलिए यह अक्सर मसाले में प्रयोग किया जाता है। मिर्च में विटामिन ए, सी, फास्फोरस और कैल्शियम बहुत हैं। मिर्च एक नगदी उत्पाद है। इसे किसी भी जलवायु में लगाया जा सकता है। मिर्च की उन्नत खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो आइये जानते है मिर्च की खेती कैसे की जाती है।
मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
मिर्च हल्की से भारी हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। अच्छे विकास के लिए हल्की उपजाऊ और पानी के अच्छे निकास वाली ज़मीन जिस में नमी हो, इसके लिए अनुकूल होती है। पोषक तत्वों से भरपूर बलुई-दोमट मिट्टी इसके लिए आदर्श है। मिर्च के अच्छे विकास के लिए मिट्टी का पी एच 6-7 अनुकूल होना चाहिए। मिर्च की खेती के लिए 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना सही रहता है। इसकी खेती के लिए गर्म आर्द जलवायु उपयुक्त है क्योंकि पाला फसल को नुकसान पहुंचाता है। अच्छी वृद्धि तथा उपज के लिए उष्णीय और उप उष्णीय जलवायु की आवश्यकता होती है।
मिर्च की किस्में
मिर्च की कुछ प्रचलित उन्नत किस्मे इस प्रकार है – पूसा ज्वाला, पन्त सी- 1, एन पी- 46 ए, आर्को लोहित, पंजाब लाल, पूसा सदाबहा, आंध्र ज्योति, पूसा दीप्ती, अर्का मोहिनी, अर्का गौरव आदि।\
खेत की तैयारी
खेत को तैयार करने के लिए 2-3 बार जोताई करें और प्रत्येक जोताई के बाद कंकड़ों को तोड़ें। बिजाई से 15-20 दिन पहले रूड़ी की खाद 150-200 क्विंटल प्रति एकड़ डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। खेत में 60 सैं.मी. के फासले पर मेंड़ और खालियां बनाएं।
रोपाई की विधि
मिर्च के बिचड़ों को 4-8 सप्ताह की रोपाई समतल खेत में अथवा मेढ़ों पर किया जा सकता है। पंक्तियों के बीच की दुरी 2 फुट तथा पौधों व बीच की दूरी डेढ़ फुट रखते हैं। हाइब्रिड किस्मों के लिए बीज की मात्रा 80-100 ग्राम और बाकी किस्मों के लिए 200 ग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए। नर्सरी में बुवाई के 4 से 6 सप्ताह बाद पौधे रोपने योग्य हो जाती है। गर्मी की फसल में कतार से कतार की दूरी 60 सेन्टीमीटर तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 30 से 45 सेन्टीमीटर रखें।
सिंचाई
यह फसल अधिक पानी में नहीं उग सकती इसलिए सिंचाई आवश्यकतानुसार ही करें। रोपाई के बाद शुरूआती दिनों में नमी की कमी उपज में काफी कमी लाती है। दो सिंचाइयों के बीच का अंतराल मौसम व मृदा के प्रकार पर निर्भर करता है।
फलों की तुड़ाई
मिर्चों की तुड़ाई हरा रंग आने पर करें या फिर पकने के लिए पौधे पर ही रहने दें। मिर्चों का पकने के बाद वाला रंग किस्म पर निर्भर करता है। सूखे लाल मिर्च हेतु तुड़ाई हरे से लाल रंग होने पर प्रायः रोपाई से साढ़े तीन महीनें बाद करते है।साभार - betul samachar