मौखिक आदेश के मकड़जाल में उलझ गई प्रदेश की ग्राम पंचायतें
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सरकार की नीति जान बूझकर प्रदेश के सरपंचों को फंसा दिया
भोपाल। महेंद्र सिंह बुंदेला सरपंच, राष्ट्रीय सचिव अखिल भारतीय पंचायत परिषद नई दिल्ली ने सरकार से मांग करते हुए, सरपंचों को अवगत कराया है कि साथियों आप सबको विदित है कि लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं, जहा की बूथ व्यवस्था पंचायत के हवाले कर दी गई है, सरकार द्वारा सरपंचों को जो राशि प्राप्त हुई हैं, अपने अपने पंचायत अंतर्गत ग्राम विकास के लिए मिली है, लेकिन मौखिक रूप से मिली राशि को चुनाव बूथ व्यवस्था में खर्च करने के लिए कहा जा रहा है,जिसका किसी प्रकार का कोई लिखित में आदेश नहीं दिया जा रहा है, वही पंचायत सचिवों से व्यवस्था बनाने के लिए कहा जा रहा है। जबकि चुनाव व्यवस्था के लिए लाखो रुपए जिला प्रशासन को प्राप्त होता है।
पूर्व के विधान सभा चुनाव कि खर्च राशि अभी तक पंचायतो को उपलब्ध नहीं हो सकी है। इसी प्रकार विधानसभा चुनाव का पैसा भी पंचायत को उपलब्ध नहीं हुआ था। पंचायते ग्राम विकाश की अपनी ही राशि खर्च की थी। दूसरी तरफ सरकार ने गाइड लाइन है कि पांचवें वित्त की जो राशि है उसकी कार्य योजना पंचायत दर्पण पर बना कर दिया जय, लेकिन आपका कार्य स्वीकृत 4 जून 2024 के पहले संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में ऐसा लगता है कि सरकार कि नीति ने जान बूझकर सरपंचों को फंसा दिया है।
प्रदेश के सभी सरपंचों की मांग है कि जिला प्रशासन चुनाव व्यवस्था हेतु पंचातो को राशि उपलब्ध कराए। या जिला पंचायत, जनपद पंचायत मुख्यकार्यपान अधिकारियों के द्वारा लिखित में आदेश दिया जाए किस मद कि राशि से राशि खर्च किया जाए और बाद में सरकार से चुनाव बजट प्राप्त होते ही उसमें सम्मिलित कर दिया जाएगा।
पंचायतो कि शिकायत नही एक समस्या है जिसका निदान किया जाना अति आवश्यक है। वैसे भी पंचायते चुनाव जैसे पुनीत कार्य के व्यवस्था को पूर्व में किया है, आज भी करने के लिए तैयार है।