मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने चार मामलों में संज्ञान लिया
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मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने चार मामलों में संज्ञान लिया
भोपाल। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष ¼कार्यवाहक½ श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवस के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित प्रथम दृष्टया मानव अधिकार उल्लंघन के ''चार मामलों में'' संज्ञान लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।
आदिवासी छात्रावास नौनिहालों को भेज रहा नदी में नहाने
डिंडोरी जिले के वनग्राम बौना में स्थित 50 सीटर आवासीय आदिवासी बालक आश्रम में छात्रावास प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां रहने वाले बच्चों को बढ़ती ठंड में नदी में नहाने को मजबूर किया जा रहा है, जिससे बच्चे सर्दी-जुकाम से पीड़ित हो रहे हैं। बीते बुधवार को सुबह 9 बजे आश्रम के पास नदी में छोटे-छोटे बच्चों को ठंडे पानी में नहाते देखा गया। इस दौरान कुछ बच्चे ठंड से कंपकंपा भी रहे थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि छात्रावास के सर के कहने पर नदी में नहाने आए हैं। नदी के आसपास जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा रहता है। वहीं नहाते समय बच्चों के गहरे पानी में चले जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। परंतु प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, डिंडोरी से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है। तथा क्या ? बच्चों को नदी में नहाने भेजना उनकी सुरक्षा के लिए उचित है और छात्रावास की व्यवस्थाएं और अधीक्षक व अन्य स्टाफ की छात्रावास में ही उपस्थिति रहती है। रात्रि में सुरक्षा की क्या व्यवस्था है। इन सभी बिन्दुओं पर भी स्पष्ट प्रतिवेदन मांगा है।
नसबंदी के बाद महिला को ठेले पर घर ले जाना पड़ा
शिवपुरी जिले के बदरवास स्वास्थ्य केंद्र से नसबंदी आपरेशन के बाद महिला हितग्राही को घर तक छोड़ने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने न तो एंबुलेंस उपलब्ध कराई और न ही कोई अन्य वाहन। ऐसे में दर्द से कराह रही महिला हितग्राही को उसके स्वजन हाथ ठेले से घर ले जाने को विवश हुए। इसका वीडियो भी बहुप्रसारित हो रहा है। वीडियो बीते बुधवार की रात का बताया जा रहा है। शासन द्वारा नसबंदी के बाद महिला को सम्मान के साथ वाहन से घर तक छोड़ने के लिए धनराशि दी जाती है। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया। बीएमओ का कहना है कि नसबंदी के बाद महिला के परिवहन के लिए शासन की तरफ से 100 रुपये का प्रविधान है, लेकिन 100 रुपये में कोई भी निजी वाहन हितग्राही को छोड़ने नहीं जाता है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य सेवाएं (म.प्र.), मंत्रालय, भोपाल एवं आयुक्त/संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं (म.प्र.), संचालनालय, भोपाल से मामले की जांच कराकर शासन द्वारा नसबंदी के बाद महिलाओं को सम्मान के साथ वाहन से घर तक छोड़ने के लिए दी जा रही राशि 100/- प्रति महिला वर्तमान परिस्थितियों में अपर्याप्त होने से ऐसी महिलाओं को घर तक पहुंचाने में आ रही बाधा के संबंध में की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन दो माह में मांगा है।
बीमारी से जूझ रहे रहवासियों ने चेताया, नहीं पहुंचा अमला
राजगढ़ जिले के एक नगर में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, जगह-जगह पानी का भराव होने से मच्छर पनप रहे हैं, जो बीमारियों का कारण बने हुए हैं। मच्छरों के भारी प्रकोप से बुखार, डेंगू, सर्दी-जुकाम सहित अनेक बीमारियों का प्रकोप बना हुआ है। यहां प्याप्त सफाई व्यवस्था के बिगड़े हालातों एवं डेंगू सहित अन्य महामारी के फैलने संबंधी जानकारी सोशल मीडिया पर देने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग का अमला मौके पर नहीं पहुंचा। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं सीएमएचओ, राजगढ़ तथा सीएमओ, नगर पालिका, राजगढ़ से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
मानसिक रूप से बीमार लड़की को अज्ञात आरोपी ने किया गर्भवती
रतलाम जिले की आलोट तहसील में एक वीभत्स घटना घटी, जिसमें एक 16 वर्षीय मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़की को कुछ अज्ञात आरोपियों ने गर्भवती कर दिया था। मामला तब सामने आया जब 11 नवंबर को रतलाम मेडिकल कॉलेज में पीड़िता ने एक बच्ची को जन्म दिया। पीड़िता की मां ने बताया कि 9 फरवरी 2024 को जब वह और उसका पति खेत में काम कर रहे थे, तब पीड़िता घर पर अकेली थी। मौके का फायदा उठाकर आरोपी घर में घुस आया और उसके साथ मारपीट की। चूंकि वह मानसिक रूप से विकलांग थी, इसलिए शुरू में वह अपनी पीड़ा साझा नहीं कर पाई। बच्चे को जन्म देने से पांच दिन पहले ही पीड़िता ने प्रसव पीड़ा की शिकायत की थी। परिवार के सदस्यों को लगा कि यह फूड पॉइजनिंग या किसी अन्य कारण से पेट दर्द है और वे उसे रतलाम मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि पीड़िता नौ महीने की गर्भवती है और बच्चे को जन्म देने वाली है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, रतलाम से मामले की जांच कराकर :-
1.) पीडि़त बालिका की देखभाल, ईलाज परामर्श एवं विधिक सहायता,
2.) नवजात बालिका की देखभाल व सुरक्षा,
3.) नवजात बालिका के जन्म पर शासन की योजना के अन्तर्गत 'लाड़ली लक्ष्मी' के लिए देय आर्थिक सहायता,
4.) दोषी व्यक्ति की तलाश और उसके विरूद्ध की गई कार्यवाही के संबंध में प्रतिवेदन छह सप्ताह में मांगा है।