श्री नेमिनाथ दिगंबर जैसवाल जैन मंदिर समिति दानाओली के द्वारा सिद्धचक्र विधान हो रहा है आयोजित
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विधान में इंद्रा - इंद्राणियो ने मिलकर की सिद्धों की आराधना, भक्ति नृत्य कर समर्पित करे महाअर्घ्य
ग्वालियर। श्री नेमिनाथ दिगंबर जैसवाल जैन मंदिर प्रबंक समिति दानाओली के तत्वाधान में नई सड़क स्थित जैसवाल जैन धर्मशाला में चल रहे 09 से 17 नंबवर तक नौ दिवसीय श्री सिद्ध चक्र महा मण्डल विधान के दूसरे दिन आज रविवार को इंद्रा इंद्राणियो ने मिलकर सिद्धों की आराधना के साथ महा अर्घ्य समर्पित करे।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि विधान के विधानचार्य वाणी भूषण पंडित अजीत कुमार शास्त्री ने मंत्रो का उच्चारण कर सौधर्म इंद्रा बालचंद्र जैन सहित इंद्रो ने कलशों से भगवान जिनेंद्र का अभिषेक किया। भगवान जिनेंद्र की प्रथम शांतिधारा सौरभ संजीव जैन और दूसरी प्रेमचंद्र अजय कुमार जैन पांडवीय परिवार ने की। विधान के मुख्य विद्वान आमंत्रित विधानचार्य पंडित अजीत कुमार शास्त्री को साफा माला और अंगवस्त्र से मंदिर समिति के अध्यक्ष सुमत चंद्र जैन, सचिव शैलेन्द्र जैन, सौधर्म इंद्रा बालचंद्र जैन, कुबेर नवीन जैन, यज्ञ नायक संजय जैन, श्रीपाल वीरेंद्र जैन भेंटकर आमंत्रित किया। वही इंद्रा इंद्राणियो सहित सैकडों श्रद्धालुओ अष्ट द्रव्य से पूजा कर 16 महाअर्घ्य भगवान जिनेंद्र के समक्ष विधान के मड़प पर समर्पित किए। सिद्धचक्र मण्डल विधान की मधुर भक्तिमय संगीत कर विक्की के भजनों से महा अर्चना नृत्य भी किया। इसमें प्रथम बार इंद्रा इंद्राणियो ने एक साथ महा आराधना की। रात्रि में महाआरती कुशलचंद्र पारस जैन परिवार की ओर से की गई।
अपने अपने कर्मो का फल सबको मिलता है-: अजीत शास्त्री
विधानचार्य पंडित अजीत कुमार शास्त्री ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भगवान की पूजा अर्चना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सुख दुःख तो आते जाते हैं। अपने अपने कर्मो का फल सबको मिलता है। धर्म करने का उद्देश्य सांसारिक सुखों की प्राप्ति का नहीं होता बल्कि आत्मा की सिद्धि करने का होता है । धर्म करने वाली धर्मात्मा का उद्देश्य परमात्मा बनने का होता है।