प्रयागराज महाकुंभ क्षेत्र से लगे चाकघाट नगर में तीर्थ यात्रियों के लिए नहीं है कोई व्यवस्था -

नगर में तीर्थ यात्रियों के लिए नहीं है कोई व्यवस्था -
 
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प्रयागराज महाकुंभ क्षेत्र से लगे चाकघाट नगर में तीर्थ यात्रियों के लिए नहीं है कोई व्यवस्था -

चाकघाट। (रामलखन गुप्त) विश्व के सबसे बड़े मेले में शुमार तीर्थराज प्रयाग का महाकुंभ मेला 2024 के अंतिम एवं 2025 के प्रथम माह में लगेगा। इस महाकुंभ मेले से ठीक 1 वर्ष पहले प्रयागराज में लगने वाले वार्षिक माघ मेले की तैयारी जोर-जोर से शुरू हो गई है। मेले का पहला स्नान मकर संक्रांति पर  होगा उसके साथ ही एक माह का कल्पवास प्रारंभ हो जाएगा। वैसे तो इस मेले का मुख्य केंद्र बिंदु स्थल प्रयागराज के गंगा तट पर रहता है, लेकिन गंगा स्नानार्थियों एवं तीर्थ यात्रियों का प्रभाव आसपास के नगरों में भी रहता है। चाकघाट से गंगा स्नान करने वाले तीर्थ यात्रियों को मात्र 40 किलोमीटर की यात्रा पूरी करनी पड़ती है। 

मध्य प्रदेश की अंतिम सीमा पर चाकघाट वसे होने के कारण तीर्थयात्रियों का दबाव चाकघाट नगर में  रहता है। मध्य प्रदेश की अनेक यात्री बसें चाकघाट तक आती हैं और यहां से यात्रियों को उत्तर प्रदेश के दूसरे बसों के माध्यम से यात्रा करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में चाकघट नगर में मेले का प्रभाव और दबाव दोनों देखने को मिलता है। किंतु इस मेले के लिए यहां के प्रशासन की ओर से कोई तैयारी नहीं हो रही है। तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए चाकघाट में अभी तक न तो अस्थाई बस स्टैंड का निर्माण कराया गया है और न ही रात में  ठहरने के लिए रैन बसेरे की व्यवस्था की गई। महाकुंभ मेले के एक वर्ष पूर्व ट्रायल के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार कार्य कर रही है किंतु मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित चाकघाट में कुछ भी ऐसा नहीं दिख रहा है कि यहां पर माघ मेला तीर्थ यात्रियों का आगमन और दबाव बढ़ेगा। 

चाकघट में मुख्य मार्ग नेशनल हाईवे 30 पर ही रोड के किनारे अनेक यात्री बसें खड़ी होती हैं और यात्री वहीं पर चढ़ते उतरते हैं। यात्रियों के लिए बने नगर परिषद की बस स्टैंड में बसें नही आती  और न ही यहां से बसें जाती हैं इसके लिए प्रशासन ने कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की है कि यात्रियों को बस स्टैंड से चढ़ने उतरने की सुविधा मिल सके। जिसके कारण बॉर्डर पर सड़क के किनारे यात्रियों के चढते उतरते समय आए दिन दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
 
यहां शुद्ध पेयजल एवं शौचालय यादि की व्यवस्था भी उस स्थान पर नहीं है। वर्तमान में चाकघाट से यात्रियों का आना-जाना होता है वहां रैन बसेरा की आवश्यकता है। प्रशासन द्वारा अस्थाई रैन बसेरा की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सस्ते दाम पर यात्रियों को भरपेट भोजन मिल सके इसके लिए भी दीनदयाल रसोइ की यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है। नेशनल हाईवे में लगे स्ट्रीट लाइट कई महीनो से  बंद रहते हैं उसको भी सही समय पर चालू नहीं किया जा रहा है। पेयजल का संकट, सुलभ शौचालय का संकट यात्रियों के ठहरने का अभाव यहां अभी भी बना हुआ है। गत दिवस बघेड़ी क्षेत्र के नागरिकों का एक प्रतिनिधिमंडल नगर परिषद के सी.एम. ओ.से मिलकर बघेडी क्षेत्र जहां वार्ड क्रमांक 13, 14, 15 के निवासी निवासरत हैं  वहां भी सोनौरी और सतपुडरा तरफ की बसें जाती हैं जहां यात्रियों का उतरना चढ़ाना होता है किंतु बघेडी क्षेत्र में एक भी  सार्वजनिक शौचालय  की व्यवस्था नहीं है। ऐसी स्थिति में व महिला यात्रियों के सामने भारी शंकट उत्पन्न होता है।

एक प्रकार से देखा जाए तो यहां से 40 किलोमीटर दूर गंगा के तट पर भव्य मेले की आयोजन के लिए पूरा प्रशासन जुटा है वही चाकघाट नगर क्षेत्र में कोई भी ऐसी व्यवस्था नहीं हो रही है जिससे तीर्थ यात्रियों को कोई सुविधा मिल सके । जिला प्रशासन एवं मध्य प्रदेश शासन से में अपेक्षा की जाती है चाकघाट जो मध्य प्रदेश का अंतिम छोर है यहां पर यात्रियों के ठहरने आदि की व्यवस्था के लिए शीघ्र ही प्रबंध किया जाए जिससे भारत की धार्मिक जनता को प्रयागराज यात्रा के लिए संकट न उठाना पड़े।