बंद खदान में हुई सात मौतों का सूत्रधार जिलाबदर आरिफ फिर सक्रिय

बंद खदान में हुई सात मौतों का सूत्रधार जिलाबदर आरिफ फिर सक्रिय
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बंद खदान में हुई सात मौतों का सूत्रधार जिलाबदर आरिफ फिर सक्रिय

शहडोल। बीते साल जिले के धनपुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत बंद पड़ी धनपुरी भूमिगत खदान में सात लोगों की लाशें निकली थी, सभी युवा थे और नशे की गिरफ्त में आने के बाद कबाड़ चोरी करने के लिए इन बंद माइंस के अंदर घुसे थे, इस मामले में पुलिस और प्रशासन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था, हालांकि पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए स्थानीय कबाड़ी पप्पू टोपी और अन्य पर मामला दर्ज किया था, वही सोहागपुर एरिया के बुढार ग्रुप के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था,अभी यह जांच में ही है। इसी बीच इस पूरे मामले का सूत्रधार रहा आरिफ नामक कबाड़ी एक बार फिर अंचल में सक्रिय नजर आ रहा है, आरिफ का नाम हालांकि पुलिस की जांच में सामने नहीं आया था लेकिन उसे पूछताछ में शामिल किया गया था। कोयलांचल में कबाड़ के कारोबार से जुड़े सूत्र इस बात का दावा करते हैं कि बंद खदानों में मजदूरों और युवाओं को भेजने वाला आरिफ ही था, जो स्थानीय पप्पू टोपी के अलावा अन्य लोगों को कबाड़ यहां से एकत्रित करके सप्लाई करता था, हालांकि बाद में पुलिस ने आरिफ के ऊपर कबाड़ के कई मामले कायम किये और उसका जिला बदर भी कर दिया, लेकिन जिला बदर होने के बाद भी आरिफ कुछ ही समय पड़ोस के जिले में रहा और बीते कुछ महीनो से वह काफी सक्रिय हो चुका है, दोपहिया वाहन में हेलमेट लगाकर आरिफ दिनभर धनपुरी ….अमलाई… बुढार और कोल माइंस में घूमता है, इसकी खबर स्थानीय पुलिस को भी है, लेकिन पुराने मैनेजमेंट को आरिफ ने एक बार फिर जिंदा कर दिया है। उक्त माइंस के साथ ही अन्य माइंस से कबाड़ लेकर बुढार के उसी ठीहे पर पहुंचता है जहां से उसके तार पहले से जुड़े थे, आरिफ को पुलिस ने उसे समय सात लोगों की मौत की जांच से बाहर रखा था, उसके द्वारा पुलिस को कुछ शिकायत और ज्ञापन भी सौंपे गए थे लेकिन लगातार उसकी जानकारी इस मामले में शामिल होने की पुलिस को मिलती रही, एक बार फिर सात मौतों वाली अंधी खदान में आरिफ की गैंग उतरने लगी है, बीते पखवाड़े ही यहां पर रखा लगभग 40 से 50 टन का लोहे का एक बड़ा पिरामिड उसने काट काट कर बुढार स्थिति ठीहे में पहुंचा दिया है, यही स्थिति रही तो एक बार फिर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कब दर्जन भर और मौत हो जाएं और  उसका पानी खामियाजा अपनी जान देकर निरिहों को चुकाना पड़े और जिला प्रशासन एक बार फिर  कटघरे में खड़ा नजर आए।