सचमुच खुशनसीब हैं अदाणी बाबू

सचमुच खुशनसीब हैं अदाणी बाबू
 
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सचमुच खुशनसीब हैं अदाणी बाबू

राहुल गांधी ने भले ही गौतम शान्ति लाल अदाणी को जेबकतरा कहा हो,लेकन वे हैं सचमुच खुशनसीब। गौतम जैसा नसीब मुमकिन है बहुत कम लोगों को मिलता हो। गौतम शान्ति लाल अदाणी के एक मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अदाणी को बड़ी राहत दी है ।  इतनी बड़ी राहत कि गौतम शान्ति लाल अदाणी अपने घर में मित्रों के साथ एक और दीवाली मना सकते हैं।

 सर्वोच्च न्यायालय ने हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप मामले को लेकर  है कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को सत्‍य बयान के तौर पर नहीं मान सकते। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्‍यता परखने का कोई साधन नहीं है, जिस कारण उसने  सेबी से इस मामले की जांच करने को कहा है। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।

आपको याद होगा कि अमेरिकी फॉरेंसिक फ़ाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग ने अदानी समूह को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए थे। अदानी ग्रुप ने रिपोर्ट को निराधार बताते हुए कुछ सवालों के जवाब भी दिए, लेकिन इसके बावजूद निवेशकों में घबराहट का माहौल बन गया था 'अदानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज़ पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कॉर्पोरेट हिस्ट्री' नाम की यह रिपोर्ट 24 जनवरी को प्रकाशित हुई थी।
  
जनता की जेब से हर तरीक़े से रुपया निकालने में माहिर गौतम अडानी जी के कारोबार के बारे में इस रिपोर्ट के आने के दो दिन बाद ही 27 जनवरी को गौतम अदानी की कंपनी शेयर बाज़ार में सेकेंड्री शेयर जारी करने वाली थी। ये कोई छोटा-मोटा इश्यू नहीं था बल्कि अब तक का सबसे बड़ा 20 हज़ार करोड़ रुपये का एफ़पीओ था। 

आपको पता ही होगा कि हिंडनबर्ग छुपी हुई बातों को बाहर निकलने वाली रिपोर्ट तैयार करते हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में शामिल वो 88 सवाल, जो उसने अरबपति कारोबारी गौतम अदानी के नेतृत्व वाले अदानी ग्रुप से पूछे थे इसमें कई सवाल बेहद गंभीर हैं और सीधे-सीधे अदानी ग्रुप की कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर निशाना साधते हैं। अडानी जी प्रधानमंत्री मोदी जी के पक्के  अनुयायी हैं इसीलिए वे भी किसी के किसी सवाल का जबाब नहीं देते। उन्होंने हिंडनबर्ग द्वारा किये गए  सवालों का भी कोई जबाब नहीं दिया।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर न अडानी को भरोसा है और न सर्वोच्च न्यायालय को। जनता को भरोसा है लेकिन जनता के भरोसे से किसी को क्या लेना-देना ।  जनता के भरोसे का तो रोज सरेराह कत्ल होता है इस देश में।सर्वोच्च न्यायालय कि पीठ ने कहा कि हमें ह‍िंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्‍यात्‍मक तौर से सही मानने की आवश्‍यकता नहीं है. सेबी इसकी जांच कर रही है। वहीं दूसरी ओर याचिका दायर करने वालों का कहना है कि बाजार नियामक सेबी की गतिविधियां संदिग्‍ध हैं, क्‍योंकि उनके पास 2014 से ही पूरा विवरण है। उनका दावा है कि खुफिया निदेशालय ने 2014 में सेबी अध्यक्ष के साथ पूरा विवरण दे दिया था।

बड़ी अदालत सचमुच बड़ी अदालत होती है। हर बात पर आँख बंद कर भरोसा नहीं कर लेती । सर्वोच्च न्यायालय ने बेंच ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि सेबी की जांच पर संदेह करने वाले साक्ष्य कहां हैं? यह सवाल तब कोर्ट ने किया जब याचिकाकर्ताओं ने अदालत से   कहा कि सेबी ने जांच पूरी कर ली है, लेकिन खुलासा नहीं किया है।  इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच से पहले ही सेबी की जांच का आंकलन कैसे कर सकते हैं ? 

कुल 33 साल में दुनिया के छह नंबर के सबसे अमीर बनने वाले गौतम जी देश में मंदिर बनाने वाले बिड़ला जैसे नहीं है। वे और उनका अदानी समूह कोयला व्यापार, कोयला खनन, तेल एवं गैस खोज, बंदरगाहों, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक, बिजली उत्पादन एवं पारेषण और गैस वितरण में फैले कारोबार को सम्भालने वाला सांगठन है वो भी विश्व स्तर का। 33 वर्षों के व्यापार अनुभव के साथ गौतम अदाणी जी ने बहुत कम समय में 2000 अरब अमरीकी डालर का कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया है।  

गौतम जी की उन्नति में एक दशक का समय मोदी युग का भी है और उसी को सबसे महत्वपूर्ण माना  जाता है। आज गौतम अडानी जी को व्यापार - परिवहन एवं परिवहन सम्बंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विश्व भर के 100 सबसे प्रभाव शाली व्यवसायियों में गिना जाता है।
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि कमेटी के कुछ सदस्यों में हितों का टकराव है, वो अडानी ग्रुप से जुड़े हैं। उन्होंने ओपी भट्ट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा वह ग्रीनको के चेयरमैन हैं, उनका अडानी ग्रुप से करीबी संबंध है।बहरहाल हमें अदालत के अंतिम फैसले तक इन्तजार करना होगा। अदालतें इन्तजार तो कराती ही हैं। इन्तजार का अपना मजा है, केवल मजा लेने वाला चाहिए।

 अब सब गौतम जी जैसे खुश नसीब तो नहीं हो सकत। आम आदमी पार्टी का एक भी नेता खुश नसीब नहीं है। आप के नेता सांसद संजय सिंह ,उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अदालतों के दरवाजे पर लगातार दस्तक दे रहे  हैं लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही। ये उनकी बद नसीबी है, इसके लिए आप किसी अदालत को दोषी नहीं ठहरा सकते।
मुझे भी लगता है कि इतने बड़े आदमी को जेबकतरा कहकर राहुल गांधी ने ठीक नहीं किया। केंचुआ अब उनकी ऐसी - तैसी  कर सकता है। केंचुआ उसी की ऐसी-तैसी करता है जिसके लिए उसके यहां जाकर अर्जी दी जाती  है, शिकायत की जाती है। केंचुआ सर्व्वोच्च न्यायालय की भाँती राहत देने वाली संस्था नहीं है ।  केंचुआ आहत करने वाली संस्था है। केंचुआ खुद कभी आहत नहीं होता भले ही आप उसके द्वारा जारी आदर्श आचार सन्हिता को चाहे झारखंड में बैठकर तोड़ो या मथुरा में। हमें अपने केंचुआ पर गर्व है। जिसे न हो वो कहीं और जाकर गर्व कर ले। 

गौतम अडानी जी के नसीब को देख कर मै अनुमान लगा सकता हूँ कि जब तक मोदी युग है तब  तक तो कोई उनका बाल - बांका  नहीं कर सकता, फिर चाहे वो हिंडनबर्ग हो या कोई और। वैसे अडानी जी की मेरी रसोई तक घुसपैठ है। रसोई में तेल से लेकर बेसन तक अडानी जी का बनाया हुआ मौजूद है।  
@ राकेश अचल