8 वर्ष कोमा में रहने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल ने ली आखिरी सांस साथी को बचाने में जबड़े पर लगी थी गोली

8 वर्ष कोमा में रहने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल ने ली आखिरी सांस  साथी को बचाने में जबड़े पर लगी थी गोली 
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भारतवर्ष में एक से बढ़कर एक वीर हुए हैं ये मिट्टी ही ऐसी है जो कि जांबाजों को जन्म देती हैं बताते चलें कि अपने साथी की जिंदगी बचाने के लिए खुद को आगे करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल अंततः सम्मानपूर्वक इस लोक से विदा हो गए हैं|

जालंधर -अपनी साथी की जिंदगी बचाने के लिए अपने सीने को बंदूक के नली के सामने करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह आखिर जिंदगी की जंग हार गए वे जालंधर कैंट स्थित आर्मी अस्पताल में भर्ती थे जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में एक ऑपरेशन के दौरान अपने साथी को बचाने के लिए दुश्मनों की गोली खाने वाले कि रणवीर सिंह ने रविवार को अंतिम सांस ली उन्होंने अपने शरीर का त्याग कर दिया|

हमेशा के लिए हो गए अमर

अपने बहादुरी भरे काम से लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह ने  हमेशा के लिए अमर हो गए हैं बताते चलें कि उनका जन्म 18 मार्च 1976 को हुआ था उनका परिवार गुरदासपुर के बटला में रहता है अस्पताल के एक रिकॉर्ड के मुताबिक जम्मू &कश्मीर  में आतंकवादियों के हमले के दौरान उनके जबड़े पर गोली लग गई थी जिसके बाद उनके दिमाग की कई नसों  ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था और वह कोमा में चले गए थे गोली ने उनके जीभ को पूरी तरह नुकसान पहुंचा दिया था उनके चेहरे का आधा हिस्सा  चला गया था इसके बाद वह बिस्तर पर लेटते थे तो उनका जीभ  पीछे लटक जाती थी वह 160 प्रादेशिक सेना जम्मू कश्मीर के सेकंड इन कमांड 2 आइसी में तैनात थेऔर इससे पहले ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स की 19 वीं बटालियन में भी तैनात रहेकरणवीर को उनकी बहादुरी के लिए सेना मेडल से भी नवाजा गया था|

साथी को बचाने के लिए खुद को किया था आगे

12 नवंबर 2015 को कश्मीर घाटी में कुपवाड़ा बॉर्डर से सात किलोमीटर दूर घने जंगल में ऑपरेशन चल रहा था जहाँ पर अचानक गोलीबारी होने लगी जब आतंकवादी गोलियां बरसा रहे थे तब कारणवीर सिंह ने अपने साथी सैनिकों को बचाने के लिए उसे धक्का मार दिया इसी दौरान गोली करणवीर सिंह के जबड़े में आकर लग गई उन्हें रोजाना खाने में सूप और जूस दिया जाता था उन्हें यह तरल खाना देने के लिए फूड पाइप का इस्तेमाल होता था उनके कमरे में पूरा दिन गुरबाणी की अमृत वर्षा होती थी और अंत मेंयह भारत माता का वीर सपूत भारत माता की गोद में हमेशा के लिए सो गया इनके जैसे महापुरुष सदियों में एक बार जन्म लेते हैं|