बाबा उमाकान्त जी महाराज: कुदरत के कहर से बचने-बचाने के लिए समाज को बनाये शाकाहारी - नशामुक्त
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बाबा उमाकान्त जी महाराज: कुदरत के कहर से बचने-बचाने के लिए समाज को बनाये शाकाहारी - नशामुक्त
ऐतिहासिक जम्बूरी मैदान भोपाल से बाबा उमाकान्त जी महाराज की देश-प्रदेश सरकार से अपील- कुदरत के कहर से बचने-बचाने के लिए समाज को बनाये शाकाहारी - नशामुक्त
भोपाल। विश्वविख्यात परम् संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी और देश दुनियां में शाकाहार, सदाचार, नशामुक्ति,शराब बंदी,युवा चरित्र निर्माण के साथ जयगुरुदेव नाम से लोगों की दुख तकलीफ दूर कर जीते जी ईश्वर का दर्शन कराने वाले नाम का दान देने वाले उज्जैन के पूज्य संत बाबा उमा कान्त जी महाराज द्वारा मप्र की राजधानी भोपाल के ऐतिहासिक जम्बूरी मैदान में लाखों लोगों को सतसंग और नामदान और शाकाहार,नशामुक्त और जीवों पर दया करने का संकल्प दिलाया और सभी लोगों से देश प्रदेश की सरकारों से समाज में शाकाहार, सदाचार, नशामुक्त वातावरण बनाने की अपील प्रार्थना की।
गुरु दक्षिणा में अपनी बुराइयां यही छोड़ जाओ।
महाराज जी ने सतसंग सुनाते हुए बताया कि कर्मों की सज़ा से कोई बच नही सकता।आप ये सोचो कि मैं छुपकर कुछ कर रहा हूँ कोई देख नही रहा तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है जिसको आप देख नही पा रहे हो वो आपके सारे अच्छे बुरे कर्मों को देख रहा है। इस लिए बुरे कर्मो से बचो। और हम आपको वो नाम बताएंगे जिससे आपकी जीवात्मा की आंख खुल जाएगी और आप देवी देवताओं के दर्शन कर सकते है। और आप हमें कुछ दक्षिणा देना चाहते हो तो दक्षिणा में अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ अब तक जो आपने मांस खाया,अंडा खाया,शराब पी, नशा किया, दुसरो के साथ बुरा कर्म किया तो अब मत करना,आज उसकी माफ़ी मांग लो।
जयगुरुदेव जयगुरूदेव जयगुरूदेव जयजय गुरुदेव नामध्वनि बोलने से दूर होंगे घर परिवार की दुख तकलीफ
बाबा उमाकान्त जी महाराज ने सतसंग सुनाते हुए बताया कि आज घर-घर में झगड़ा,घर-घर में लड़ाई, घर-घर में बीमारी लगी हुई है सब परेशान है बड़े नहीं तो बच्चे ही आपस में लड़ रहे है। कमाते बहोत है पर बचता नहीं है तो आपको प्राथमिक उपचार बता देता हूँ। आप सब लोग शाकाहारी रहकर जब सुबह-शाम परिवार के साथ जयगुरुदेव नाम की धुनि बोलोगे तो इन तकलीफों, बीमारी,झगड़े से मुक्ति मिलेगी।
लोगों के पाप कर्म की गठरी भारी हो रही है, दबने, मरने का समय आ रहा इसलिए बचाने के लिए शाकाहारी नशामुक्ति का करो प्रचार
बताया कि शाकाहारी सदाचारी नशामुक्ति का प्रचार करना जरूरी है क्योंकि लोगों के कर्म का बोझा बड़ा भारी हो रहा है। जैसे जब सिर पर गठरी हल्की होती है तो आदमी चलता रहता है और जब भारी हो जाती है तो दबने लगता है और अगर ज्यादा भारी गठरी रख दिया जाए तो दब के मर जाएगा। ऐसे ही कर्मों की गठरी होती है। कर्म का, पाप का बोझा बहुत बड़ा बोझा होता है। पाप समुद्र में भी नहीं समाता है। बुरे कर्म का बोझा बहुत बड़ी गठरी होती है। पाप की गठरी जब बड़ी होने लगती है, आदमी के दबने, मर जाने का समय जब आने लगता है तब इसी तरह का आयोजन करना पड़ता है, जिस तरह से आप प्रचार-प्रसार करते हुए टोली निकाल करके लोगों को समझाते हुए यहां पर आए हो।
सच्चे सन्तों का सतसंग न मिलने से अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं हो रहा
आदमी को जब सतसंग नहीं मिलता है तो उसको अच्छे-बुरे कर्मों का ज्ञान नहीं हो पाता है तब वह जान-अनजान में अच्छा-बुरा कर्म करता चला जाता है। जहां रहता है, वहां जैसा परिवार समाज के लोग हाथ-पैर आंख- कान शरीर से करते हैं उसी तरह से वह भी करता जाता है, लेकिन जब सतसंग मिलता है तो हर तरह की जानकारी होती है। लेकिन कुछ चीज ऐसी होती है जो सन्त महात्मा नियम बना करके, बता करके चले जाते हैं। उसको परिवार समाज के लोग लागू रखते हैं तो उससे कर्म कटते हैं।
अबकी बार मौका मिला है, एक पैर उधर बढ़ा दो तो चौरासी से मुक्त हो जाओगे
शरीर को चलने वाली शक्ति जीवात्मा का कर्म काटना जरूरी है। इसका कर्म अगर नहीं काटा तो लौट-लौट चौरासी में आना पड़ेगा। चौरासी किसको कहते हैं? चौरासी लाख योनियां है। कीड़ा-मकोड़ा, सांप, गोजर, बिच्छू आदि जमीन पर रहने, चलने वाले, आसमान में उड़ने वाले पक्षी, जल के अंदर के जीव आदि यह सब चौरासी लाख योनियां है। जीवात्मा के ऊपर जो मैल लगी हुई है अगर नहीं साफ कराओगे तो लौट-लौट करके चौरासी में आना पड़ता है। लख चौरासी भटककर पग में अटके आय। अबकी पासा न पड़ा, फिर चौरासी जाय। आपको मनुष्य शरीर मिला है, अबकी बार मौका मिला है, एक पैर अगर उधर नहीं रख पाए तो फिर चौरासी में चक्कर काटना, उसमें आना- जाना पड़ेगा। आपको बस एक पैर रखना रहेगा, बताई गई साधना आप करने लगोगे तो चौरासी से मुक्त हो जाओगे।
भगवान को लोग भूलते चले जा रहे हैं
आजकल तो लोग भगवान को ही भूलते चले जा रहे हैं। यह जो पूजा-पाठ हो रही, लोग कुछ धार्मिक तो हैं, भगवान को याद तो करते हैं। इस समय पर बहुत से भगवान है, चाहे राम कृष्ण, लाख नाम कृष्ण के केशव करोड़ नाम, तो जो लोग याद करते हैं वो दुनियादारों से, हिंसा-हत्या करने वाले, मारने-काटने वाले, अन्य अपराध करने वालों से तो अच्छे हैं।
आत्महत्या, जीव हत्या बहुत बड़ा पाप, कभी मत करना
आदमी को आत्महत्या नहीं करना चाहिए। जीव हत्या और आत्महत्या बहुत बड़ा पाप होता है। जिस काम के लिए इस मनुष्य शरीर में जीवात्मा को बैठाया गया, वह काम पूरा न हो और इस मनुष्य शरीर को नष्ट खत्म कर दो तो इसका बहुत बड़ा पाप लगता है। जो भी आप लोग यहां बैठे हो या ऑनलाइन सुन रहे हो या यूट्यूब वगैरह पर सुनो, कोई भी आत्महत्या मत करना।