पंचायत दिवस समारोह का औचित्य... शीतला शंकर विजय मिश्र

राज्य सरकारें वित्तीय अधिकारों पर डाका डाल रही हैं 
 
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पंचायत दिवस समारोह का औचित्य... शीतला शंकर विजय मिश्र 

राज्य सरकारें पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय अधिकारों पर डाका डाल रही हैं 

दिल्ली। विगत 2016 वर्षों से 24 अप्रैल को पंचायत दिवस समारोह परंपराओं से हट कर सरकार राजनीतिक लाभ के लिए किसी न किसी चुनावी प्रदेश में आयोजित कर रही है। विगत समय में पंचायत दिवस समारोह रीवा, मध्य प्रदेश में आयोजित किया गया था।जिसमें समस्त त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित पदाधिकारियों प्रतिनिधियों, स्वायत्तशासी संस्थाओं के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आमंत्रित किया गया था लेकिन उनको यथोचित सुविधाएँ नहीं दी गयीं। इस अवसर पर राजनीतिक भाषण हुए और मा० प्रधान मंत्री जी ने कोरा आश्वासन दिया गया और पंचायतों को ढेर सारे सब्ज बाग दिखाए गए परंतु 73वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों के कार्यान्वयन एवं राज्य सरकारों की भूमिका पर कोई चर्चा नहीं की गयी। राज्य सरकारें पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय अधिकारों पर डाका डाल रही हैं और उनके विकास के मदों की धनराशियों में कटौती करके ग़ैर पंचायती राज के अन्य मदों में खर्च करने के लिए बाध्य कर रही हैं जो अन्याय पूर्ण एवं ग़ैर संवैधानिक है।

ऑल इंडिया पंचायत परिषद एवं बलवंत राय मेहता पंचायती राज फ़ाउंडेशन की अपील है कि भारत सरकार समीक्षा करे कि पंचायतों ने क्या खोया, क्या पाया ? राज्य सरकारों ने शक्ति विकेंद्री करण के तहत पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए क्या संवैधानिक शक्तियों का हस्तानांतरण पंचायतों के पक्ष में किया है ? या एकाधिकार क़ायम कर रखा है ।

अखिल भारतीय पंचायत परिषद ( All India Panchayat Parishad)के अनवरत संघर्षों एवं राष्ट्रीय स्तर पर बलवंत राय मेहता पंचायती राज संस्थान (Foundation)के तत्वावधान में प्रत्येक राज्य में पंचायती राज के विशेषज्ञों, न्यायविदों, पंचायती राज के निर्वाचित प्रतिनिधियों एवं पंचायती राज में रुचि रखने वाले लोगों की आयोजित संगोष्ठियों , सम्मेलनों के उपरांत पारित प्रस्तावों के अनुक्रम में परिषद के दबाव में भारत सरकार ने बलवंत राय मेहता पंचायती राज संस्थान ( ट्रस्ट ) के अध्यक्ष न्यायविद श्री लक्ष्मी मल सिंघवी के नेतृत्व में संवैधानिक संशोधन समिति का गठन किया था। अखिल भारतीय पंचायत परिषद की अनुसंशॉ के अनुरूप गांधी के ग्राम स्वराज की प्राप्ति एवं देश में तीसरी सरकार पंचायती राज क़ायम करने के लिए संविधान संशोधन समिति ने प्रारूप प्रस्तुत किया था जिसको तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी की सरकार ने पूर्ण रूपेण स्वीकार करते हुए 64वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक लोक सभा में प्रस्तुत करके 73वें, 74वें संविधान संशोधन की पृष्ठ भूम तैयार की थी और कालांतर में तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री पींवी नरसिंह राव की सरकार ने 22 एवं 23 दिसम्बर 1992 में 73 वाँ एवं 74वाँ  संविधान संशोधन अधिनियम पारित कराया और 24 अप्रैल 1993 में राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया था।
73वें संविधान संशोधन के दशकों बाद भी अधिकांश राज्य सरकारों ने त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के पक्ष में उनके संवैधानिक शक्तियों का हस्तानंतरण आज तक नही किया है।

73वें, 74वें संविधान संशोधन के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में क्रमशः ग्राम पंचायत , क्षेत्र पंचायत, ज़िला पंचायत एवं नगरीय निकाय क्रमशः नगर पंचायत, नगर पालिका , नगर निगमों के निर्वाचन में परिसीमन के उपरांत चक्रानुसार मात्र सदस्यों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है किसी पद का आरक्षण नही किया गया है । खेद है कि राज्य सरकारों ने राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से अपने- अपने प्रदेश के पंचायती राज अधिनियम में पंचायतों में प्रधान ,प्रमुख अध्यक्ष , चेयर मैन, महापौर आदि पद को भी आरक्षित कर दिया है जो संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है ।

भारत सरकार से आग्रह है कि पंचायती राज क़ायम करने के लिए स्वायत्त शासी संस्थाओं , पंचायतों को राज्यसरकारों के चंगुल से मुक्ति प्रदान करे और राष्ट्रीय स्तर पर पंचायतों के लिए एक समान माडल क़ानून बनाए तभी भविष्य में पंचायत दिवस समारोह आयोजित करने का औचित्य सिद्ध होगा।
ऑल इंडिया पंचायत परिषद एवं बलवंत राय मेहता पंचायती राज फ़ाउंडेशन, त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए संकल्प बद्ध है।
जय पंचायती राज 

शीतला शंकर विजय मिश्र 
मुख्य महामंत्री 
ऑल इंडिया पंचायत परिषद 
न्यासी सचिव 
बलवंत राय मेहता पंचायती राज संस्थान ( ट्रस्ट )