रामलला कहिन,बेफिक्र रहिन -

मै कभी मोबाइल की बैटरी को कोस रहा था और कभी अपने नसीब को -
 
 | 
3

Photo by google

रामलला कहिन,बेफिक्र रहिन -

अक्सर मै भी ख्वाब देखता हूँ।  मेरे ख्वाबों में भी न जाने कौन-कौन आता है,जाता है। बतियाता है। कभी-कभी ख्वाबों में चिर-परिचित लोग मिलते हैं ,कभी एकदम अपरिचित ,अगर सभी ख्वाब याद रह पाते तो मै उन्हें लिपिबद्ध कर एक बड़ा साहित्यकार बन सकता था। मुझे हैरानी है कि अभी तक मुझे ख्वाबों में आकर रामलला ने 'डिस्टर्ब ' नहीं किया जबकि मै रोज स्नान-ध्यान के बाद उन्हें ' डिस्टर्ब ' करता हूँ । उनका सुमरन करता हूँ। वे मुझे बचपन से आकर्षित करते हैं, इसलिए मै हमेशा उनके प्रति सतर्क और चिंतित रहता हूँ।

कल दोपहर अचानक मोबाइल पर अनाम नंबर से घंटी बजी तो मै चौंका। उत्सुकतावश फोन उठाया तो दूसरी और से आवाज आई-' का हो पहचाना की नहीं ?'
मै तनिक अचकचाया और फिर अपना अज्ञान छिपाते हुए कहा-' एकदम से याद नहीं आ रहा लेकिन आपकी आवाज सुनी- सुनाई लग रही है, दूसरी तरफ से खनकती हंसी सुनाई दी ,फिर फोनकर्ता ने कहा -अयोध्या से बोल रहा हूँ ,तुम्हारा रामलला ' मुझे भी हंसी आ गयी । लगा कोई अपना मजाक कर रहा है ,किन्तु सामने वाले ने  मेरी हंसी को गंभीरता से नहीं लिया। कहा -' मत हंसो बेटा मै ही बोल रहा हू।  तुम्हारा लिखा रोज पढता हूँ । तुम्हारी चिंताओं से वाकिफ हूँ, इसलिए तुम्हें फोन किया कि - घबड़ाओ नहीं ,भारतवर्ष में धर्मनिरपेक्षता का बाल-बांका नहीं होने वाला। अब मुझे भी गंभीर  होना पड़ा । मैंने कहा -'नहीं हुजूर ! आजकल आपकी अयोध्या में जो काण्ड चल रहा है उससे मै ही नहीं बल्कि समरसता में भरोसा करने वाले,संविधान का सम्मान करने वाले करोड़ों लोग चिंतित हैं ,कि आखिर देश किस दिशा में जा रहा है ? रामलला बोले-पागल हो तुम और तुम्हारे जैसे लोग ! अरे बाबा जिस देश को मेरे परम भक्त महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों से लड़कर आजाद कराया हो ,उस देश को मैं इस तरह से बर्बाद होने दूंगा ? मै भी तमाशा देख रहा हूँ खड़ा- खड़ा। मेरी आँखों पर हालाँकि पट्टी बाँधी गयी है किन्तु मुझे सब कुछ साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा है 'उन्होंने मुझे आश्वस्त किया।

'तुम्हे पता है कि अयोध्या में दुनिया को जो दिखाया जा रहा है वैसा कुछ है नहीं। अयोध्या में सब कुछ पहले जैसा है । और तो और मेरे मंदिर क्षेत्र का पार्षद भी गैर भाजपाई है। अयोध्या का 'फैज' जैसा पहले था वैसा ही आज भी है ,भले ही जिले का नाम अब फैजाबाद नहीं है। यहां आज भी समरसता है । यहां आज भी आचार्य नरेंद्र देव् के नाम का रेलवे स्टेशन है। नया टेशन तो आप लोगों को टेंशन देने के लिए बनाया गया है। नया हवाई अड्डा भी शायद इसीलिए बनाया गया है अन्यथा मेरे दर्शन करने वालों में कितने हैं जो हवाई किराया खर्च कर सकते हैं। उनके लिए तो रेलों का जनता क्लास ही ठीक था। ' रामलला ने एक ही सांस में सब कुछ कह दिया। 'ये तो ठीक है ,लेकिन आप किसी को रोक भी तो नहीं रहे !' मैंने प्रतिप्रश्न किया। ' देखते जाओ ! सब मन का धन कर रहे हैं,कर लेने दो। जो ये सब कर रहे हैं वे मेरे नाम से सत्ता में आना चाहते हैं ,लेकिन मै ऐसा होने नहीं दूंगा । मैंने राजीव गांधी को भी अपने नाम का लाभ नहीं लेने दिय। मैंने 1993 में भी मस्जिद गिराने वाले अपने उपद्रवी भक्तों को उत्तर प्रदेश की सत्ता तक नहीं पहुंचाया। मै गलत होने ही नहीं देता । ' रामलला ने सफाई दी। मेरी झक्की खुली ।  मुझे लगा बंदा कह तो सही रहा  है। यानि मुझसे बात करने वाला कोई सिरफिरा नहीं बल्कि असली रामलला है।

बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए मैंने सवाल किया '-अयोध्यानाथ ! ये तो बताइये की आपको इतनी लकझक देखकर ख़ुशी नहीं होती ?' ' बिलकुल नहीं ' एक सपाट सा उत्तर मिला सामने से। अयोध्या नाथ बोले-' तुम देख रहे हो मेरी अयोध्या का क्या हाल कर दिया है ,,,पूरी अयोध्या नगरी क‍िले में तब्दील हो गई है। ब्लैककैट कमांडो, बख्तरबंद गाड़‍ियां, एंटी ड्रोन सिस्टम, एआई से लैस कमांड कंट्रोल सिस्टम के साथ हजारों जवान और अफसर सुरक्षा व्यवस्था में लगाए गए हैं। आखिर  मेरे अपने घर में मुझे किससे खतरा है ? और जिन्हें खतरा है वे यहां आ ही क्यों रहे हैं रंग में भंग करने ! क्या मेरे ये भक्त नहीं जानते की जिसका मुझमें भरोसा है वो असुरक्षित हो ही नहीं सकता ?' रामलला का सवाल और गुस्सा जायज था ,लेकिन मै अकिंचन क्या जबाब देत। मैंने कहा- मुमकिन है वे आपके लिए चिंतित हों ,इसलिए इतना तामझाम किया गया ह। आखिर आप यहां के राजा हैं !'

मेरी बात सुनकर रामलला बिदक गए । कहने लगे-' तुम भी मेरा मजाक उड़ा रहे हों ! मेरी  अयोध्या 21-22 जनवरी को आम जनता के लिए बंद रहेगी. 22 जनवरी को बिना निमंत्रण वाले लोगों को भारी परेशानी हो सकती है। सुरक्षा में सीआरपीएफ से लेकर यूपी पुलिस की तैनाती की गई है। भारी वाहनों की आवाजाही पर इस दिन रोक रहेगी। पूरे शहर में 10 हजार सीसीटीवी कैमरे हर हलचल पर नजर रखेंगे। पहली बार यहां चेहरे की पहचान करने वाले एआई कैमरे लगाए गए हैं।' ये अफसोस जनक है ,क्या मै अपने भक्तों से ही असुरक्षित हो गया हूँ ? क्या मै अपने भक्तों के चेहरे नहीं पहचानता ?' रामलला ने मुझे से प्रतिप्रश्न किया।

मेरे मोबाइल की बैटरी इस गर्मागर्म संवाद को सुनकर गर्म होने लगी थी । मुझे लगा कि  कहीँ बैटरी हाथ में ही फट न जाये। मैंने कहा '-मालिक मै तो  प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना आपका नया मंदिर देखने अभी आ नहीं सकता । बहुत सर्दी है। मौक़ा मिला तो आम चुनाव के बाद आऊंगा। अभी तो भाजपा वाले ही साढ़े तीन करोड़ लोगों को लेकर आपकी आयोध्या आने वाले हैं। '
मेरी बात सुनकर रामलला हँसे। कहने लगे -' बड़े विनोदी हो तुम ,जब मौका मिले तब आ जाना,न आ सको तो मै खुद तुम्हारे पास प्रकट हो जाऊँगा। मै व्यापक सर्वत्र समाना,'' मेरा दिल खुश हो गया ,लेकिन बातचीत का सिलसिला आगे नहीं बढ़ पाया । मेरे मोबाइल की बैटरी अचानक जबाब दे गय। मै कभी मोबाइल की बैटरी को कोस रहा था और कभी अपने नसीब को। जय सियाराम।
@ राकेश अचल
achalraakesh1959gmail.coma