शीतला शंकर विजय मिश्र (लोकतंत्र रक्षक सेनानी एवं एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट)

कहीं व्यक्तिवादी सोच भाजपा की दुर्दशा का कारण न बन जाय-
 
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शीतला शंकर विजय मिश्र (लोकतंत्र रक्षक सेनानी एवं एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट)

दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी का कल 45वाँ स्थापना दिवस मनाया गया लेकिन आम कार्यकर्ताओं में कोई जोश एवं उत्साह नज़र नहीं आया। अपने स्थापना काल से विगत वर्षों में भारतीय जनता पार्टी ने अब तक तीन वैचारिक लाइन लिया है। 

प्रथम गांधी वादी समाजवाद जिसे 1985 में त्याग दिया और एकात्मवाद को अपनाया इसके बाद 1987 में वह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लाइन को अपनाया जो बहुत लम्बी चली लेकिन भाजपा की समस्या भी इसी से प्रारम्भ हुई। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को वह ऐसे ठोस नारे में नहीं बदल सकी थी जो लोगों के गले उतरती । इसके लिए जिस तरह की सैद्धांतिक समझ और चारित्रिक दृढ़ता चाहिए वह न तो भाजपा में है और न ही उसके थिंक टैंक संघ में है भाजपा के संक्रमण का एक यह भी है कि उसकी भावी पीढ़ी में भाई नरेंद्र मोदी के बाद कोई भी सर्व स्वीकार चेहरा नज़र नहीं आता है। 

नई मौजूदा चुनौतियों के संदर्भ में भाई नरेंद्र मोदी के साथ ही भविष्य के लिए सर्व स्वीकार चेहरा बहुत ज़रूरी है इसके साथ ही सैद्धांतिक आधारभूमि भी तलाशनी होगी, व्यक्तिवादी पूजा को त्यागना होगा ,जिससे पार्टी ऊर्जा ग्रहण कर एक राजनीतिक दल के रूप में सार्थक हो सके और समर्पित कार्यकर्ताओं  एवं समर्थकों को इतना वेगवान बना सके कि भविष्य में राजनीतिक शून्यता की स्थिति उत्पन्न न होने पाए यदि किन्ही कारणों से शून्यता की स्थिति उत्पन्न हो जाय तो वो राजनीतिक शून्यता को भरने में समर्थ हो जाय।
शीतला शंकर विजय मिश्र