भारतीय राजनीति में श्रेष्ठ समाजवादी थे श्री मधुलिमये

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भारतीय राजनीति में श्रेष्ठ समाजवादी थे श्री मधुलिमये
दिल्ली। स्वर्गीय मधु लिमये का जन्म 1मई 1922 में हुआ था 72 वर्ष की आयु में 8 जनवरी 1994 में उनका स्वर्गवास हुआ था । मधू जी को क़रीब से देखने , परखने , समझने सीखने एवं उनके सम्पर्क में आने का अवसर मुझे 1974 से अनवरत प्राप्त रहा । आज जो कुछ भी हूँ उसमें ,उनका आशिर्वाद शामिल है।
श्री लिमये का जन्म शताब्दी वर्ष चल रहा है नयी पीढ़ी को जानना आवश्यक है कि कैसे थे मधू जी ? भारतीय राजनीति में श्रेष्ठ समाजवादी, मौलिक चिंतक , लोकतांत्रिक आचरण, संघर्ष और रचना, सत्याग्रह ,समाजवादी के प्रतीक थे श्री लिमये। उनकी कथनी करनी में कोई अंतर नहीं, उन्होंने लोक तांत्रिक आचरण की रचनात्मक और समाजवादी आदर्शों की मर्यादा क़ायम की थी।
गणेश मंत्री ( विराथू, विद्यासागर ) ने गोवा लिबरेशन मूवमेंट पुर्तगाली सरकार द्वारा चलाया गया मुक़दमा और निर्णय डायरी में लिखी थी कि 1955- 56 समाजवादी आंदोलन के विखराव एवं शृजन का वर्ष था । राष्ट्रवाद का उदय 1956 - महाराष्ट्र नव निर्माण आंदोलन का वर्ष था। डाक्टर लोहिया के बाद समाजवाद की मशाल की रोशनी पाया वह मधुलिमये थे जिन्होंने समाजवादी विकल्प दिखाया।
श्री मधु लिमये ने विचार , व्यवहार,आचरण चरित्र से समाज वादी आंदोलन को गति दी तथा संसद विशेषाधिकार हनन के लिए श्री मती इंदिरा गांधी को चिक मगलूर से संसद सदस्य के रूप में त्याग पत्र देने के लिए मजबूर किया था। श्री लिमये संसद में अपने काले बैग के साथ प्रवेश करते थे तो श्री मती गांधी के मंत्री गण भयभीत हो जाते थे कि न जाने आज किसके भ्रष्टा चार का पिटारा मधू जी संसद में खोलने वाले हैं ।
श्री मधु लिमये जी प्रख्यात संसद सदस्य थे और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे उन्होंने कभी कोई पेंशन नही ली मृत्यु के पश्चात उनके खाते में मात्र 33000₹था।
श्री लिमये के 102 वीं जयंती पर उनके श्री चरणों में कोटिशः नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।
जयहिंद ।
शीतला शंकर विजय मिश्र
1-05-2024