अपने आपको राहुल गांधी से भी उपर मानते हैं भूपेश बघेल ?

छत्तीसगढ में कोरोना से हुई मौतों को जानबूझकर छुपाया क्या सुपर सीएम (महिला अधिकारी) की कठपुतली हैं भूपेश बघेल ? बहुचर्चित लेमरू खदान अडानी को दे रहे हैं भूपेश बघेल विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन विवादों में बना रहना छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नियति बन गई है। वह हर दिन कुछ न कुछ ऐसी हठधर्मिता कर देते हैं The post अपने आपको राहुल गांधी से भी उपर मानते हैं भूपेश बघेल ? first appeared on saharasamachar.com.
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अपने आपको राहुल गांधी से भी उपर मानते हैं भूपेश बघेल ?

छत्‍तीसगढ में कोरोना से हुई मौतों को जानबूझकर छुपाया

क्‍या सुपर सीएम (महिला अधिकारी) की कठपुतली हैं भूपेश बघेल ?

बहुचर्चित लेमरू खदान अडानी को दे रहे हैं भूपेश बघेल

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन
 
विवादों में बना रहना छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल की नियति बन गई है। वह हर दिन कुछ न कुछ ऐसी हठधर्मिता कर देते हैं उनके साथ विवाद जुड़ जाता है। कहा जा सकता है कि उनका विवादों से चोली दामन का साथ हो गया है। ताजा मामला छत्‍तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण से हुई मौतों को लेकर तूल पकड़ा जाना है। भूपेश सरकार ने अपने सरकारी आंकड़े में 13,317 लोगों की मृत्‍यु होना दिखाया है। जबकि दिनांक 21 मई 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी विश्व स्वास्थ्य आंकड़े की वार्षिक रिपोर्ट-2021 (https://www.who.int/data/gho/publications/world-health-statistics) दी थी, इस रिपोर्ट में अंकित किया गया था कि महामारी से विश्व के कुल संक्रमितों की संख्या 166,466,762 (https://www.worldometers.info/coronavirus/) में से भारत में संक्रमितों की संख्या 26,285,069 है, जो कि विश्व का 16% है। रिपोर्ट-2021 के 80 लाख मृत्यु के 16% के हिसाब से भारत में करीब 13 लाख लोगों की मृत्यु कोरोना महामारी से हुई है। देश की कुल आबादी जो कि 135 करोड़ है, उसमें छत्‍तीसगढ़ की कुल आबादी 2.94 करोड़ है। जिसका अनुपात प्रतिशत 2.17% है। उसमें आबादी प्रतिशत के आधार से छत्‍तीसगढ़ में करीब 28,210 लोगों की मृत्‍यु हुई है। इस रिपोर्ट में प्रदेश के गांवों में हुई मृत्‍यु को नहीं जोड़ा गया है। यदि गांवों में हुईं मृत्‍यु को जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 50,000 के पार हो जाएगा। जबकि भूपेश सरकार ने अपना सरकारी आंकड़ा सिर्फ 13,317 लोगों की मृत्‍यु होना दिखाया है। इससे तो यही संदेश जाता है कि भूपेश बघेल किसी की भी नहीं सुनते हैं और अपनी मर्जी के मालिक बने बैठे हैं। हम अंदाजा लगा सकते हैं कि जब वही हाईकमान की बात नही मान रहे हैं तो प्रदेश के अंदर किसकी बात सुनते होंगे। यह भी बताया जा रहा है उनकी हठधर्मिता प्रदेश की एक महिला अधिकारी के कारण भी प्रबल हो रही है। क्‍योंकि वर्तमान में भूपेश बघेल इस महिला अधिकारी की कठपुतली बने हुए हैं। इस महिला अधिकारी के कहने पर ही वह सारे फैसले लेते हैं। अब वह चाहे गलत हो या सही। सभी जानते हैं कि यह महिला अधिकारी भूपेश बघेल के काफी करीब है।

वहीं कांग्रेस की पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेंस में स्‍पष्‍ट तौर पर कहा था कि कांग्रेस के शासन वाली राज्‍य सरकारें कोरोना संक्रमण से हुई मौतों को छुपाएगी नहीं। राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि उन्‍होंने कांग्रेस शासित राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों को स्‍पष्‍ट निर्देश दिए गए हैं कि वह मौत के आंकड़ों को सही-सही बताएं। बावजूद इसके मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल गांधी के आदेशों की अवहेलना करते हुए कोरोना से हुई मौतों को गलत बताया है। इससे स्‍पष्‍ट होता है कि भूपेश बघेल अपने आपको राहुल गांधी से भी उपर मान रहे हैं जब तो कांग्रेस हाईकमान के आदेशों को भी नहीं मान रहे हैं। हालांकि यह पहला मौका भी नहीं है जब भूपेश बघेल ने कांग्रेस हाईकमान की बात नहीं मानी हो, इससे पहले भी वह कई बार ऐसे आदेशों की अवहेलना कर चुके हैं। आपको बता दें कि बिहार की नीतीश सरकार ने भी सरकारी आंकड़े जारी होने के बाद भी दूसरी बार में सही-सही आंकड़े जारी कर कोरोना से हुई मौतों की जानकारी दी थी।  

लेमरू खदान अडानी को देने का राहुल गांधी ने भी किया था विरोध
 
मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल बहुचर्चित लेमरू खदान अडानी को देने जा रहे हैं। यह वहीं खदान है जिसे हाथियों के लिए रिजर्व रखा गया था। इसके अलावा पूर्व बीजेपी सरकार ने जब इसी लेमरू को अडानी को देने का फैसला किया था उस समय पूरी कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया था और तो और स्वयं राहुल गांधी दो दिन के प्रवास पर छत्तीसगढ़ में आकर रुककर इसका विरोध किया था। आज उसी लेमरू खदान को भूपेश बघेल अडानी को देने जा रहे हैं। इसका मतलब साफ है भूपेश बघेल भी राहुल गांधी को और पूरी कांग्रेस पार्टी को दरकिनार कर अपनी मनमर्ज़ी करने पर उतारू हो गये हैं। इससे साफ है भूपेश बघेल और राहुल गांधी के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है या फिर ढाई साल का फार्मूला सही है जाते जाते जो भी मिले दोनों हाथों से बटोरने की पूरी तैयारी में है। इसलिए उसे किसी की परवाह नहीं है।

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