इस गांव में विदेशी पक्षियों को गांव वाले मानते है अपना परिवार !

गरियाबंद जिले में एक ऐसा गांव जहा प्रवासी पक्षियों को ग्रामीण अपना परिवार मानते है जिसके वजह से यहां लाखो की तादात में पक्षी आते है। गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूरी पर बसा ग्राम पंचायत लचकेरा इन दिनों प्रवासी प्रक्षियों की आवाज से गुंजायमान होने लगा है,ग्राम पंचायत लचकेरा The post इस गांव में विदेशी पक्षियों को गांव वाले मानते है अपना परिवार ! first appeared on saharasamachar.com.
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इस गांव में विदेशी पक्षियों को गांव वाले मानते है अपना परिवार !

गरियाबंद जिले में एक ऐसा गांव जहा प्रवासी पक्षियों को ग्रामीण अपना परिवार मानते है जिसके वजह से यहां लाखो की तादात में पक्षी आते है।

गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूरी पर बसा ग्राम पंचायत लचकेरा इन दिनों प्रवासी प्रक्षियों की आवाज से गुंजायमान होने लगा है,ग्राम पंचायत लचकेरा जो कि पक्षियों की शरणस्थली के रूप में विख्यात हो चुका हैं। आस पास के ग्रामीणों का यह मानना है कि इनके आते ही मानसून लग जाता है और किसान अपने कृषि कार्य मे जुट जाते है। वैसे इन पक्षियों को एशियन ओपन बिल स्ट्रोक कहते है जो साइबेरिया से लाखों मिल दूरी तय कर मानसून से पहले यहाँ पहुँच जाते है। इन पक्षियों को ग्रामीण अपना परिवार मानते है। और जो भी इन्हें नुक्शान पहुचाते है उनको दण्डित बजी करते है।

ये पक्षीय यहां प्रजनन के लिये आते है और जब अंडों से बच्चे निकल आते है और उड़ने लग जाते है तब ये पुनः वापस चले जाते है। वैसे यह पक्षी बांग्लादेश, कंबोडिय़ा, चीन, भारत, आलोस, मलेशिया, म्यामार, नेपाल,श्रीलंका, थाईलैण्ड व वियतनाम में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है।

बाइट : 01 उदय राम निषाद – सरपंच ग्राम पंचायत लचकेरा ।

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