कोरोना महामारी के बीच वार्षिक पुनरीक्षण में समाचार पत्रों को मिले रियायत
लाॅकडाउन के चलते कई समाचार पत्रों की प्रिंटिंग हुई प्रभावित
भोपाल। मध्यप्रदेश जनसम्पर्क संचालनालय द्वारा हर साल की तरह इस साल भी विज्ञापन सूची मे शामिल समस्त अखबारों के लिए वार्षिक पुनरीक्षण प्रपत्र जारी कर दिया गया है। जिसमें विभिन्न दस्तावेजों के साथ एक वर्ष के अखबार भी मांगे गये है। जिसकी अंतिम तिथि 15 जुलाई तय की गई है। इसके लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया है,जिनके सदस्य जमा की जाने वाली फाइलों की जांच करेंगे।
सवाल यह उठता है कि मध्यप्रदेश सहित पूरा देश पिछले डेढ़ साल से भीषणतम त्रासदी कोरोना महामारी से जूझ रहा है। जहां आम आदमी अपनी और परिवार की कोरोना से सुरक्षा के साथ ही लगाये गये लाॅकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुआ। सारे कारखाने फैक्ट्री और प्रिंटिंग मशीनें बन्द हो गई थी। इस महामारी के संकट में प्रिंट मीडिया भी चपेट में आया और कई समाचार पत्र बन्द हो गये।
1 जून से अनलाॅक होने के बाद जैसे तैसे परेशानियों से जूझ रहे पत्रकार अपने समाचार पत्रों के प्रकाशन को आरंभ कर ही रहे थे,कि मध्यप्रदेश जनसम्पर्क विभाग ने पुनरीक्षण का फरमान जारी कर दिया,जो कि इस महामारी के दौरान औचित्यहीन है। जहां केन्द्र सरकार सहित प्रदेश सरकार हर वर्ग को कुछ न कुछ रियायत के साथ मदद का हाथ बढ़ा रही है,वहीं पत्रकारों के साथ इस संकट के समय में पुनरीक्षण प्रपत्र जमा करने का आदेश जारी करना बेमानी है। प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट् एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज भारतीय ने माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा जनसम्पर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से यह मांग करते हैं कि कोरोना महामारी से जूझ रहे पत्रकारों को राहत देते हुए इस साल पुनरीक्षण की कार्रवाई को स्थगित किया जाए।
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