छत्तीसगढ़ में पंचगव्य में शामिल गोबर,मौली धागा से वैदिक राखी,,,

राजनांदगांव छत्तीसगढ़ राजनांदगांव जिले के ग्राम लिटिया की महिलाए गोबर से वैदिक राखी का निर्माण कर रही है। जिससे इस लाॅक डाउन में उन्हें रोजगार का साधन मिल रहा है। वहीं इस वर्ष चायनीज़ राखी नहीं मिलने से गोबर से निर्मित राखी अन्य राखियों से विशेष नज़र आ रही है। कोरोना वायरस की वजह से The post छत्तीसगढ़ में पंचगव्य में शामिल गोबर,मौली धागा से वैदिक राखी,,, first appeared on saharasamachar.com.
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छत्तीसगढ़ में पंचगव्य में शामिल गोबर,मौली धागा से वैदिक राखी,,,

राजनांदगांव छत्तीसगढ़

राजनांदगांव जिले के ग्राम लिटिया की महिलाए गोबर से वैदिक राखी का निर्माण कर रही है। जिससे इस लाॅक डाउन में उन्हें रोजगार का साधन मिल रहा है। वहीं इस वर्ष चायनीज़ राखी नहीं मिलने से गोबर से निर्मित राखी अन्य राखियों से विशेष नज़र आ रही है।

छत्तीसगढ़ में पंचगव्य में शामिल गोबर,मौली धागा से वैदिक राखी,,,

कोरोना वायरस की वजह से इस वर्ष बाजार में चयनीज़ राखी नहीं पहुंची है। वहीं इस आपदा को अवसर में बदलने की ताकत छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने दिखाई है। इस वर्ष कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन में रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए ग्राम लिटिया की महिलाएं स्थानीय स्तर पर राखियों की आपूर्ति कर रही हैं। इन राखियों में छत्तीसगढ़ की माटी की महक तो है ही, साथ ही दर्जनों महिलाओं को घर बैठे काम भी मिला है। महिलाएं भाईयों के लिए गोबर से वैदिक राखियां बनाने के काम मे जुटी हुई है। इसके लिए महिलाओं को पंचगव्य में शामिल गोबर और मौली धागा से राखियाँ बनाने का प्रशिक्षण दिया है।

गोबर, चंदन, कुमकुम, हल्दी जैसे शुभ सामग्रियों से बनने के कारण इसे वैदिक राखी का नाम दिया गया है। संस्था के एक सदस्य का कहना है कि यह सँस्था वैदिक राखी के निर्माण कार्य मे लगी हुई है और स्थानीय महिलाओ को रोजगार उपलब्ध करा रही है। उन्होने कहा कि संस्था ने अभी तक लगभगा पचास हजार से अधिक गोबर से वैदिक राखी का निर्माण किया है। इन राखीयो की मांग छत्तीसगढ ही नही अपितु देश के विभिन्न राज्यो में भी है।जिसकी आपूर्ति करने मे संस्था जुटी हुई है।

आर्य प्रमोद, सदस्य वैदिक राखी निर्माण से परंपराओं को सहेजने की पहल और स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ ही महिलाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। वहीं गोबर से वैदिक राखी बनाने वाली इन महिलाओं का मानना हैं कि हाथों से बनी राखी जब भाईयों की कलाई में सजेगी तो उसकी अलग ही अनुभूति मिलेगी।

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