[ad_1]
सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। एक ऑडियो बयान के जरिए उन्होंने कहा कि संगठन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैं इस्तीफा दे रहा हूं। ऑडियो संदेश में गिलानी ने कहा है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंने हर तरह से अलग होने का फैसला लिया है। फैसले के बारे में हुर्रियत के सभी लोगों को चिट्ठी लिखकर कर सूचना दे दी गई है।
मालूम हो कि 90 साल के हुर्रियत नेता गिलानी की तबीयत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं है। इसी साल फरवरी महीने में वो अस्पताल में भर्ती हुए थे। कई बार उनकी सेहत को लेकर अफवाहें भी उड़ चुकी हैं।
कौन हैं गिलानी?
गिलानी को देश भर में पाकिस्तानपरस्त अलगाववादी नेता के तौर पर जाना जाता है। दरअसल कई बार कश्मीर में अशांति फैलाने और व्यवस्था में अवरोध पैदा करने के आरोप में वह जेल की हवा खा चुके हैं। 1989 में कश्मीर में आपातकाल के शुरुआती दौर में ही उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से वो अलगाववादी नेता के तौर पर उभरे।
1962 में गिलानी पहली बार 13 महीने के लिए हवालात गए थे। इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी और वो घर भी नहीं जा पाए थे। इसके बाद से अब तक गिलानी कई बार जेल जा चुके हैं।
2010 में उनपर देशद्रोह का मुकदमा भी लग चुका है। वो पाकिस्तान से अवैध फंडिंग के सिलसिले में नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी (एनआईए) की जांच के दायरे में भी रहे हैं।
सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। एक ऑडियो बयान के जरिए उन्होंने कहा कि संगठन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैं इस्तीफा दे रहा हूं। ऑडियो संदेश में गिलानी ने कहा है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंने हर तरह से अलग होने का फैसला लिया है। फैसले के बारे में हुर्रियत के सभी लोगों को चिट्ठी लिखकर कर सूचना दे दी गई है।
मालूम हो कि 90 साल के हुर्रियत नेता गिलानी की तबीयत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं है। इसी साल फरवरी महीने में वो अस्पताल में भर्ती हुए थे। कई बार उनकी सेहत को लेकर अफवाहें भी उड़ चुकी हैं।
कौन हैं गिलानी?
गिलानी को देश भर में पाकिस्तानपरस्त अलगाववादी नेता के तौर पर जाना जाता है। दरअसल कई बार कश्मीर में अशांति फैलाने और व्यवस्था में अवरोध पैदा करने के आरोप में वह जेल की हवा खा चुके हैं। 1989 में कश्मीर में आपातकाल के शुरुआती दौर में ही उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से वो अलगाववादी नेता के तौर पर उभरे।
1962 में गिलानी पहली बार 13 महीने के लिए हवालात गए थे। इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी और वो घर भी नहीं जा पाए थे। इसके बाद से अब तक गिलानी कई बार जेल जा चुके हैं।
2010 में उनपर देशद्रोह का मुकदमा भी लग चुका है। वो पाकिस्तान से अवैध फंडिंग के सिलसिले में नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी (एनआईए) की जांच के दायरे में भी रहे हैं।
[ad_2]
Source link
The post जम्मू-कश्मीरः सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से दिया इस्तीफा first appeared on saharasamachar.com.