लॉकडाउन के चलते छोटे कर्मचारी व कामगार मजदूर भूखों मरने के कगार पर- सुरेश गुप्ता

हनुमना रीवा भले ही मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान घोषणा कर चुके हैं कि गरीबों को बिना खाद्यान्न पर्ची ही 10 किलो खाद्यान्न दिया जाएगा लेकिन हनुमाना में न तो विपणन सहकारी समित न ही सेवा सहकारी समितियों में बिना नीले व पीले राशन कार्ड के किसी को कुछ भी दिया जा The post लॉकडाउन के चलते छोटे कर्मचारी व कामगार मजदूर भूखों मरने के कगार पर- सुरेश गुप्ता first appeared on saharasamachar.com.
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लॉकडाउन के चलते छोटे कर्मचारी व कामगार मजदूर भूखों मरने के कगार पर- सुरेश गुप्ता

हनुमना रीवा

भले ही मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान घोषणा कर चुके हैं कि गरीबों को बिना खाद्यान्न पर्ची ही 10 किलो खाद्यान्न दिया जाएगा लेकिन हनुमाना में न तो विपणन सहकारी समित न ही सेवा सहकारी समितियों में बिना नीले व पीले राशन कार्ड के किसी को कुछ भी दिया जा रहा है ऐसी स्थिति में वाहनों में काम करने वाले चालकों परिचालकों तथा क्लीनरों के साथ ही अनेक छोटे कामगार मजदूर बेचारे गरीबी रेखा में नाम ना होने के कारण भूखों मरने की कगार पर पहुंच गए हैं।

उपरोक्त आरोप लगाते हुए वाहन कर्मचारी संघ हनुमना के अध्यक्ष सुरेश कुमार गुप्ता ने कहां है कि लॉकडाउन के चलते घरों से बाहर निकलते ही बेचारे गरीब मजदूरों को पुलिस के झंडे का शिकार होने के साथ ही चालान अलग से भरना होता है इसके बावजूद कितने ही परिवारों को भूखों सोना पड़ता है वही गरीबी रेखा में खासकर हनुमना नगर परिषद एरिया में जोड़े गए नामों में 75% अपात्रों के नाम जोड़े गए हैं जबकि वास्तविक गरीबों के नाम जोड़े ही नहीं गए।

श्री गुप्त ने अपने वार्ड क्रमांक 12 के अनुसूया सोनी तथा अजय कुमार गुप्ता आदि के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे परिवार है जिनके कच्चे मकान को देख ले तो शायद किसी को भी तरस आ सकती है कि किस प्रकार से परिवार उसमें गुजर-बसर करता होगा कब धराशाई हो जाए भगवान ही मालिक है इसके बावजूद इन परिवारों के न तो गरीबी रेखा के राशन कार्ड बनाए गए ,न ही इन्हें शौचालय का लाभ दिया गया जिससे पूरा का पूरा परिवार आज भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर है इन परिवारों को पीएम आवास का भी लाभ आज तक नहीं दिया गया।

जबकि अनेक ऐसे परिवारों को जिनके घरों में शौचालय है वर्षों से पक्के मकान है उन्हें पीएम आवास शौचालय ही नहीं गरीबी रेखा अति गरीबी रेखा के राशन कार्ड भी बना कर दिए गए हैं कई परिवार तो गरीबी रेखा के राशन कार्ड के लाभ से सर्विस भी कर रहे हैं और तो और अनेक ऐसे गरीबी रेखा राशन कार्ड धारक है जो 10 – 20 ही नहीं 50 – 50 एकड़ के काश्तकार तक हैं और आज भी गरीब बन कर प्रतिमाह शासन की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं कहना अतिशयोक्ति न होगी कि अनेक ऐसे काश्तकार जो प्रतिमा शासन का राशन उठाकर सीधे दुकानदारों को ऊंचे दामों में बेचकर पैसा जेब में डाल चलते बनते हैं क्योंकि उनके घरों में इतना अनाज खुद ही खेती का आ रहा है।कि वे उसे भी काफी मात्रा में बेचते हैं। लेकिन लानत है ऐसे जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासन में बैठे आला अधिकारियों को जिन्होंने वास्तविक गरीबों का ना तो राशन कार्ड बनाया नाही पात्रता पर्ची दी यहां तक की किसी कदर बाहर निकल कर अपने बच्चों के उदर पोषण के लिए जुगाड़ बनाना चाहता है तो पुलिस के डंडे और चालानी कार्यवाही से गुजरना पड़ता है।

श्री गुप्त ने कलेक्टर रीवा एवं एसडीएम हनुमना का ध्यान आकृष्ट कराते हुए तत्काल ऐसे गरीब परिवारों को गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनाने तथा जब तक कार्ड नहीं बन जाता उन्हें राशन उपलब्ध कराने साथ ही वास्तविक गरीबो के नाम जोड़ने के शीघ्र आदेश करने तथा वाहनों को प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध कराने की मांग की है

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