मध्य प्रदेश के मौसम में बदलाव, तापमान में गिरावट, कड़ाके की ठंड के लिए करना होगा इंतजार, नवंबर अंत में बूंदाबादी के संकेत
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आज शनिवार को मौसम में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन भोपाल समेत कुछ शहरों में धुंध बनी रह सकती है। यहां अधिकतम तापमान 32 डिसे और न्यूनतम 16 डिसे रहने का अनुमान है।
MP Weather Update: नवंबर का महीना जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे मध्यप्रदेश का मौसम बदल रहा है। सुबह शाम ठंडक बनी हुई है लेकिन कड़ाके की ठंड के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। प्रदेश के तापमान में अभी कोई खास बदलाव होने की संभावना नहीं है। 15 नवंबर से उत्तरी हवाओं के चलते 4 डिग्री तक तापमान में गिरावट आएगी और ठिठुरन बढ़ेगी।
आज शनिवार को मौसम में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन भोपाल समेत कुछ शहरों में धुंध बनी रह सकती है। यहां अधिकतम तापमान 32 डिसे और न्यूनतम 16 डिसे रहने का अनुमान है। अगले 48 घंटे के दौरान बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन नवंबर माह के आखिरी सप्ताह में एमपी के ग्वालियर-चंबल संभाग में बादल छा सकते है, हल्की बारिश हो सकती है।
तापमान में आ रही गिरावट
फिलहाल प्रदेश में जहां अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस तो न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के नीचे बना हुआ है। सबसे कम तापमान पचमढ़ी में दर्ज किया गया है, भोपाल, ग्वालियर, इंदौर जैसे प्रमुख शहरों में भी तापमान में गिरावट देखने को मिल रही है, वही कई शहरों में कोहरे की स्थिति बनी हुई है, जिससे विजिबिलिटी कम हो गई है।पिछले 24 घंटे के दौरान प्रदेश में मौसम मुख्यतः शुष्क रहा। उज्जैन, रीवा, इंदौर, सागर, जबलपुर, ग्वालियर संभाग के जिलों में तापमान सामान्य से अधिक रहे।
पिछले 24 घंटे के मौसम का हाल
- प्रदेश में सबसे कम तापमान पचमढ़ी में 11.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ।
- बालाघाट में 15.1, रीवा में 17.5, नौगांव में 16.6, मंडला में 15, जबलपुर में 17.4, उज्जैन में 18, इंदौर में 18.4, ग्वालियर में 18.4, भोपाल में 16.4 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज हुआ।
- भोपाल में 31.5, ग्वालियर में 32.6, इंदौर में 32.6, रायसेन में 30, उज्जैन में 33.8, रतलाम में 34.2 डिग्री सेल्सियस, जबलपुर में 30.6 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज हुआ।
- भोपाल ग्वालियर में 1 से 2, इंदौर में दो से चार, उज्जैन में दो से चार, जबलपुर में भी दृश्यता दो से चार किलोमीटर के बीच रही।