मप्र मंत्रिमंडल विस्तार:बदलती परिपाटी के बीच संतुलन साधने की बाजीगरी
 

संतुलन साधने की बाजीगरी
 
 

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मप्र मंत्रिमंडल विस्तार:बदलती परिपाटी के बीच संतुलन साधने की बाजीगरी

रवि अवस्थी,भोपाल। बाधाएं आती है आएं,घिरें प्रलय की घोर घटाएं। पांवों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें ज्वलाएं। निज हाथों से हंसते-हंसते,आग लगाकर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा।। पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर उनकी कविता की उक्त पंक्तियों का अनुसरण करते हुए प्रदेश के नए मुखिया डॉ.मोहन यादव ने अपने पहले मंत्रिमंडल का विस्तार किया।इसमें 'अनुभव' को तरजीह है तो 'जोश' को प्रोत्साहित करने की झलक भी है।  

अटलजी की उक्त कविता में त्याग का संदेश है तो सबको साथ लेकर चलने का मंत्र भी। इसी तरह,डॉ.यादव के नए मंत्रिमंडल विस्तार में 'स्व'का त्याग भी निहित है तो सबका साथ,सबका विश्वास भी। त्याग उन वरिष्ठ अनुभवी दिग्गजों को नवाजने का,जिनके आभा मंडल के तले कई बातों में समझौते की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। भरोसा उन नए चेहरों पर,जिन्हें सत्ता में अपनी भागी दारी की शुरुआत क,ख,ग,घ से करनी है। 

** 15 पहली बार बने मंत्री
तय मापदंड के मुताबिक,मप्र मंत्रिमंडल में अधिकतम 35 सदस्य हो सकते हैं। मुख्यमंत्री व दो डिप्टी सीएम की शपथ के 12 दिन बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार में 18 कैबिनेट व 10 राज्य मंत्री बनाए गए। बदली हुई परिपाटी के तहत पहली बार के 6 विधायक मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। पूर्व सांसद प्रहलाद सिंह पटेल, राकेश सिंह व संपतिया उइके को छोड़ दिया जाए तो नरेंद्र पटेल, प्रतिमा बागरी, व दिलीप अहिरवार उन भाग्यशाली विधायकों में शामिल हैं जिन्हें  पहले चुनाव के बाद ही सीधे मंत्रिमंडल में एंट्री मिल गई। वहीं 15 विधायक पहली बार मंत्री बने। इनमें प्रहलाद पटेल, राव उदय प्रताप, संपतिया उइके, नागर सिंह चौहान, चैतन्य कश्यप, राजेश शुक्ला, लखन पटेल, कृष्णा गौर, धर्मेंद्र लोधी, दिलीप जयसवाल, गौतम टेटवाल, नरेंद्र शिवाजी पटेल, प्रतिभा बागरी, दिलीप अहिरवार और राधा सिंह का नाम शामिल है.

** 21 जिलों को प्रतिनिधित्व,
वहीं वरिष्ठतम विधायक गोपाल भार्गव,जयंत मलैया,डॉ सीता शरण शर्मा,अजय विश्नोई, अर्चना चिटनिस को उसी तरह बाहर रखा गया,जैसे नया बीज रोपने से पहले खेत से पुरानी जड़ों को अलग किया जाता है। मंत्रिमंडल विस्तार में प्रदेश के सिर्फ 21 जिलों को प्रतिनिधित्व मिला। इनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, नरसिंहपुर,दमोह व राजगढ़ से दो-दो मंत्री बनाए गए। मुख्यमंत्री व दो डिप्टी सीएम के जिलों को शामिल किया जाए तो मंत्रिमंडल में सिर्फ 24 जिलों का प्रतिनिधित्व मिला है। मंत्रिमंडल में 5 महिलाओं को प्रतिनिधित्व का मौका मिला। इनमें प्रतिमा बागरी (35) सबसे कम उम्र तो करण सिंह वर्मा (68) सबसे उम्रदराज मंत्री हैं।    

** 39 फीसद ओबीसी,हाशिए पर ब्राह्मण,जातिगत आधार पर आकलन करें तो जिन 28 विधायकों को मंत्री बनाया गया,उनमें 7 सामान्य ,11 ओबीसी, 6 एससी व 4 एसटी वर्ग से हैं। सर्वाधिक चौंकाने वाला फैसला सीधी से निर्वाचित विधायक रीति पाठक का है। रीति भी उन पांच सांसदों की तरह सांसदी छोड़ पहली बार विधायक बनीं। चार को तो मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के तौर पर जगह मिली,लेकिन रीति को छोड़ दिया गया। मंत्रिमंडल में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल व मेहगांव से विधायक राकेश शुक्ला,सिर्फ दो ब्राह्मण चेहरे हैं व जैन सिर्फ एक, चैतन्य काश्यप। इस तरह सामान्य वर्ग में ज्यादातर ब्राह्मण विधायक जहां हाशिए पर रहे,वहीं सिख समाज से इकलौते व सिंधी समाज के मात्र दो विधायक होने के बावजूद क्रमश:डंग व भगवान सबनानी तथा रोहाणी को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।अलबत्ता आठ बार के विधायक करण सिंह वर्मा को कैबिनेट मंत्री बनाकर सीहोर अंचल के ओबीसी वर्ग को साधने का जतन हुआ।
   
** छह मंत्रियों की वापसी
यादव मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया अपने तीन समर्थक विधायक तुलसी सिलावट,गोविंद सिंह राजपूत व प्रधुम्न सिंह तोमर को पुन: मंत्री बनवाने में सफल रहे। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के छह सदस्यों को पुन: मंत्री बनाया गया,लेकिन इनमें भी विश्वास सारंग को केंद्रीय नेतृत्व से अपने संपर्कों का व इंदर सिंह परमार को संघ की पसंद होने का लाभ मिला। जबकि निमाड़ में आदिवासी वर्ग को साधने,विजय शाह एक बार फिर पार्टी नेतृत्व की पसंद बने। वहीं जबेरा से धर्मेंद्र लोधी व पथरिया से लखन पटेल कैबिनेट मंत्री बने प्रह्लाद पटेल, चांदला विधायक दिलीप अहिरवार,उदयपुरा के नरेंद्र शिवाजी पटेल बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की पसंद बताए जाते हैं, लेकिन पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह मंत्री नहीं बन सके। कैलाश विजयवर्गीय ने स्वयं को दखलंदाजी से दूर रखा। 

** मालवा का दबदबा
अंचलवार देखा जाए तो नए मंत्रिमंडल में मालवा-निमाड़ का दबदबा रहा। इस अंचल से 9 विधायक मंत्री बनाए गए। इनमें कैलाश विजयवर्गीय,तुलसी सिलावट,विजय शाह,इंदर सिंह परमार,चैतन्य काश्यप,निर्मला भूरिया,नागर सिंह चौहान, नारायण सिंह पंवार व गौतम टैटवाल शामिल हैं। इस तरह, यादव कैबिनेट में सीएम व डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा समेत मालवा से 11 यानी करीब 33 फीसद सदस्य होंगे। जबकि मध्य से 4 विधायक (विश्वास सारंग, करण सिंह वर्मा,कृष्णा गौर व नरेंद्र शिवाजी पटेल) को जगह मिली। 

** शेष अंचलों की भी भागीदारी 4- 4 सदस्यों की रही। इनमें, ग्वालियर-चंबल से प्रधुम्न तोमर,नारायण सिंह कुशवाह, एदल सिंह कंसाना व राकेश शुक्ला,बुंदेलखंड से गोविंद सिंह राजपूत,धर्मेंद्र लोधी,दिलीप अहिरवार व लखन पटेल,विंध्य में रीवा से राजेंद्र शुक्ला,चितरंगी से राधा सिंह,कोतमा से दिलीप जायसवाल व रैगांव से प्रतिभा बागरी तथा महाकौशल में मंडला से संपतिया उइके, नरसिंहपुर से प्रहलाद पटेल,जबलपुर से राकेश सिंह व गाडरवारा से राव उदय प्रताप शामिल हैं।  

** सबको साधने की बाजीगरी 
मंत्रिमंडल गठन में जातीय व क्षेत्रीय संतुलन साधने की कला पहले भी कई मुख्यमंत्रियों ने अपनाई,लेकिन इन विधाओं के साथ दिग्गजों को भी साधने की बाजीगरी केवल डॉ यादव के खाते में रही। अपने पद की शपथ में कहे गए ये शब्द..'सभी को साथ लेकर चलूंगा और सुशासन सुनिश्चित करूंगा'...का पालन करते हुए डॉ यादव सधे कदमों से आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन  सरकार के दैनिक कामकाज में वरिष्ठों से तालमेल,समकालीन पर नियंत्रण व कनिष्ठों को आगे बढ़ाने की चुनौती उनके सामने बनी रहेगी।