250 टन की मूर्ति, न आंधी में हिलेगी न भूकंप में डोलेगी

250 टन की मूर्ति, न आंधी में हिलेगी न भूकंप में डोलेगी
 

Photo by google

250 टन की मूर्ति, न आंधी में हिलेगी न भूकंप में डोलेगी

भोपाल । ओंकारेश्वर के एकात्मधाम में दुनिया की पहली चलायमान स्थिति वाली 108 फीट की मूर्ति बनी है। आदि शंकराचार्य की इस मूर्ति को तैयार करने में इंजीनियरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ओंकारेश्वर की कई टन वजनी यह मूर्ति भयंकर आंधी तूफान में भी जरा नहीं हिलेगी डुलेगी। इतना ही नहीं, भूकंप में भी इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। एकात्मधाम की इस मूर्ति को बनाने के लिए 250 टन स्टील का उपयोग किया गया है। यह मूर्ति सतह से 199 फीट ऊंची है। इसमें पेडस्टल 75, कमल 16 और प्रतिमा 108 फीट की है। मूर्ति में 250 टन स्टील का प्रयोग किया जबकि 16 फीट ऊंचा कमल बनाने में 8500 क्यूबिक फीट पत्थर लगे।

इंजीनियरों का दावा है कि यह 108 फीट ऊंचाई की विश्व की पहली ऐसी मूर्ति है, जो चलायमान स्थिति में है। यह 170 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा का दबाव और 7 से अधिक तीव्रता का भूकंप भी सह सकती है। इस मूर्ति में उसी मटेरियल का उपयोग किया गया है, जो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में है। मेंटेनेंस करने के लिए इसके अंदर सीढिय़ां हैं। यहां हुक भी हैं, ताकि सफाई में आसानी हो। नर्मदा घाट से इसकी ऊंचाई करीब 300 फीट है।

संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला के अनुसार मूर्ति के हाथ में 101 फीट का दंड है। इसे कंधे और हाथ से सपोर्ट दिया गया। मूर्ति लोकार्पण कार्यक्रम की तेजी से तैयारियों की जा रहीं हैं। 21 सितंबर को शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण भव्यता व दिव्यता के साथ किया जाएगा।

– एक नजर में आदि शंकराचार्य की मूर्ति

मूर्ति में 250 टन स्टील लगा

108 फीट ऊंचाई की मूर्ति

170 किमी प्रति घंटा की आंधी सह सकेगी

7 तीव्रता के भूकंप की सहनशक्ति

नर्मदा घाट से 300 फीट ऊंचाई |prajaparkhi