Umaria: एसडीएम के साथ MPRDC के अधिकारियों ने की धोखाधड़ी,कूटरचना कर करोड़ो का किया मुआवजा भुगतान,SDM ने FIR दर्ज करने पुलिस को लिखा पत्र

एसडीएम के साथ MPRDC के अधिकारियों ने की धोखाधड़ी
 

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एसडीएम के साथ MPRDC के अधिकारियों ने की धोखाधड़ी,कूटरचना कर करोड़ो का किया मुआवजा भुगतान,SDM ने FIR दर्ज करने पुलिस को लिखा पत्र

उमरिया। उमरिया जिले में नित नए करनामें उजागर हो रहे हैं, फिर चाहे वह जिले में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा शराब के नशे में नंगा नाच किया जाता हो या फिर आम जनता के साथ धोखा कर उन्हें लूटा जाता हो। लेकिन हम यहां एक ऐसे मामले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें सुनकर आप चौंक जाएंगे। क्योंकि यहां धोखाधड़ी ना तो किसी आम आदमी से की गई है और ना ही योजनाओं के माध्यम से आम जनता को चूना लगाया गया है, बल्कि जिले के बांधवगढ़ तहसील के सबसे बड़े अधिकारी एसडीएम के साथ धोखाधड़ी की गई है। जिसकी जानकारी होने के बाद एसडीएम बांधवगढ़ ने मामले में धोखाधड़ी करने वाले MPRDC के अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने पुलिस को पत्र लिखा है।
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दरअसल नवनिर्मित सड़क एनएच 43 के निर्माण में भूमि अधिग्रहण के नाम मुआवजा वितरण में भारी अनियमितता के साथ कई करोड़ के हेराफेरी करने का आरोप संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (SDM) और एमपी आरडीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लगते रहे है।लेकिन इस बार बांधवगढ़ तहसील की एसडीएम रीता डेहरिया के द्वारा पुलिस को कार्यवाही करने के लिए लिखे गए पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि एमपीआरडीसी के अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा उनके साथ ही धोखाधड़ी की गई है। पत्र में उल्लेख किया कि वह इस विषय में समय रहते नहीं जान सकी क्योंकि उसके बाद लोकसभा के चुनाव होने थे जिसके चलते वह भूमि अधिग्रहण के मुआवजे वितरण में उनका ध्यान नहीं जा पाया। इसके बाद जैसे ही मुआवजा वितरण में धांधली की शिकवा शिकायत शुरू हुई तब वह पूरा मामला उनके संज्ञान में आया है।

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एसडीएम रीता डेहरिया के द्वारा लिखे गए पत्र में बताया गया कि मुआवजा वितरण को लेकर नियम विरुद्ध हुए भुगतान पर उनके द्वारा एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा गया है, जिसमें उल्लेख है कि 4 अप्रैल 2024 को एमपी आरडीसी के सहायक महाप्रबंधक विनोद कुमार तंतुवाए, सहायक कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर कीर्ति मिश्रा अपना लैपटॉप लेकर उनके पास कार्यालय में पहुंचे और मेरे कार्यालय के ऑपरेटर से डिजिटल सिग्नेचर यह कहकर मांगा की भूमि राशि पोर्टल पर भू अर्जन की अवार्ड राशि के भुगतान के लिए भू अर्जन अधिकारी का डिजिटल सिग्नेचर रजिस्टर्ड करना है। इसके बाद मेरे ऑपरेटर के द्वारा मेरे डिजिटल सिग्नेचर एमपीआरडीसी के विनोद कुमार तंतुवाए के ऑपरेटर कीर्ति मिश्रा को दिया गया।
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उनके द्वारा यह भी कहा गया कि जैसे ही डिजिटल सिग्नेचर रजिस्टर्ड हो जाएगा वह उन्हें अवगत कराएंगे। इस तरह से उनके द्वारा मेरे डिजिटल सिग्नेचर को रजिस्टर्ड कराए जाने या उसका उपयोग अन्य ट्रांजैक्शन किये जाने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 4 अप्रैल 2024 को पोर्टल पर डिजिटल सिग्नेचर रजिस्टर्ड हुआ या नहीं इसके बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता। उन्होंने बताया कर इसी दिन वह लोकसभा चुनाव में बांधवगढ़ विधानसभा की ARO होने के कारण वह चुनाव संबंधित ट्रेनिंग कार्य में व्यस्त रही है। जबकि 4 अप्रैल 2024 को ही एमपी आरडीसी के विनोद कुमार तंतु वे के पास पूर्व से ही भू अर्जन अधिकारी बांधवगढ़ की जीमेल आईडी उनके पास मौजूद रही है,जिसका उपयोग करके उन्होंने ओटीपी प्राप्त कर डिजिटल सिग्नेचर रजिस्टर्ड किया और उसके बाद ईमेल पर लगातार ओटीपी प्राप्त कर मेरे बगैर जानकारी के उसे इस्तेमाल करके बगैर सक्षम अधिकारी भू अर्जन की अनुमति के बिना ही राष्ट्रीय कोषालय में सेंध लगाकर धोखाधड़ी करते हुए 4 करोड़ 9 लाख 55 हजार 311 रुपए का भुगतान कर दिया।
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एसडीएम रीता डेहरिया ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि उनके बगैर जानकारी और धोखाधड़ी करके उनके डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर एमपी आरडीसी के सहायक महाप्रबंधक विनोद कुमार तंतु बाय और उनके कंप्यूटर ऑपरेटर के द्वारा इस कदर धोखाधड़ी करते हुए करोड़ों रुपए का सेंध लगाया है। इसके बारे में उन्हें लगभग 2 महीने बाद तब पता चला जब उक्त भुगतान पाने वाले हितग्राही के संबंध में शिकवा शिकायत शुरू हुई, तब उनके द्वारा शिकायत की जांच के दौरान उन्हें पूरे मामले की जानकारी लगी है। एसडीएम को पूरे मामले की जानकारी होने और मामले में एमपीआरडीसी के अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा उनके साथ धोखाधड़ी कर उनके बगैर जानकारी के उनके डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग किया गया है।
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मामले की जानकारी के बाद एसडीएम बांधवगढ़ और भू अर्जन अधिकारी रीता डेहरिया के द्वारा सबसे पहले उनकी अनुमति के बगैर डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कर करोड़ों की राशि का ट्रांजैक्शन जिन हितग्राहियों के खातों में किया गया है उन पर तत्काल रोक लगा दी गई है वहीं हितग्राहियों के खातों को भी सील कर दिया गया है। इसके बाद उन्होंने इस पूरे मामले पुलिस कार्यवाही के लिए उमरिया कोतवाली को पत्र लिखा है जिसमें साफ उल्लेख है कि एमपीआरडीसी के सहायक महाप्रबंधक विनोद कुमार तंतुवाये और उनके कंप्यूटर ऑपरेटर कीर्ति मिश्रा के द्वारा उनके बिना अनुमति या उनके बगैर जानकारी में उनके डिजिटल सिग्नेचर और ईमेल का उपयोग धोखाधड़ी पूर्वक किया गया है।
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हालांकि इस मामले में एक और सबसे बड़ा सवाल यह कि करोड़ों रुपए के भुगतान मामले में एसडीएम रीता डेहरिया के द्वारा हितग्राहियों के खातों को सील करने के साथ पुलिस को कार्यवाही के लिए लिखे गए पत्र के बाद वह स्वयं अवकाश लेकर यहां से जा चुकी है। इसके अलावा जिस तरीके से उन्होंने पत्र में एमपीआरडीसी के अधिकारियों के द्वारा उनके साथ धोखाधड़ी और कूटरचना कर उनके बगैर जानकारी में करोड़ों के मुआवजा का ट्रांजैक्शन हितग्राहियों के खाते में किया गया है। यह बात गले से उतरने वाली नहीं है क्योंकि एक एसडीएम और भू अर्जन अधिकारी के साथ एमपीआरडीसी के अधिकारियों के द्वारा ऐसा किया जाना संभव नहीं प्रतीत होता.? हालांकि मामले में अब पुलिस जांच कर रही है जांच के बाद ही तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी कि आखिर माजरा क्या है.?panchayatisamvad