पुस्तक समीक्षा
Jun 25, 2024, 20:42 IST
मेरा ठेला खटारा :अनूठी लघुकथाओं का गुलदस्ता
*****************पूरे 85 वर्ष के हो चुके तेजनारायण की जिजीविषा लाजबाब है । स्वभाव से घुमंतू तेजनारायण ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सरकारी सेवक के रूप में गुजारा लेकिन उनकी मानवीय संवेदनाओं की सूक्ष्म दृष्टि ने जो देखा -समझा उसे लघु कथाओं की शक्ल दे दी । तेजनारायण का नया लघुकथा संग्रह '' मेरा ठेला खटारा ' चुटीली लघुकथाओं का ऐसा ही गुलदस्ता है
मेरा ठेला खटारा की हर लघु कथा अपने आप में सम्पूर्ण है। लघुकथाओं की भाषा सरल लेकिन भावर्थ लिए हुए है। संग्रह की पहली कहानी ' पाठशाला का पहला दिन' हो या ' जब जैक ने दंगा किया। ' जब क्रेक बॉक्सिंग लाईड ' हो या जीवन का उदेश्य' अपने आपमें अनूठी कहानियां है । हर कहानी की भाषा की बुनावट काबिले तारीफ है। तेजनारायण जी की लघुकथाओं की भाषा बेहद चुटीली हैं उनमें हास्य भी है और व्यंग्य भी ये लघुकथाएं हमारी आधुनिक जीवन शैली की विद्रूपताओं को बड़े ही चुटीले ढंग से अपने पाठक के सामने प्रकट करती है।
तेज नारायण जी के पास जो हास्य बोध है उसका तो कहना ही क्या ? अनेक कहानियों का संदर्भ पकड़ने के लिए पाठक को काफी मेहनत भी करना पड़ती है। वे एक तरफ आपको गुदगुदाते हैं तो दूसरी तरफ सोचने केलिए भी विवश करते है। प्रकाशक ने यदि तेज नारायण की तरह ही यदि पुस्तक के प्रूफ पढ़ने में भी मेहनत की होती तो अशुद्धियों को कम किया जा सकता था । पढ़ते वक्त ये त्रुटियां अखरती हैं।'मेरा ठेला खटारा संग्रह की कहानियों की भाषा बेहद सपाट और जानी-पहचनी सी लगती है। उसमें अंग्रजी शब्दों की भी भरमार है। उनसे कोई परहेज नहीं किया गया । अंग्रजी शब्दों का प्रयोग सुन्दर बन पड़ा है
तेज नारायण जी अनेक संस्थानिक पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे हैं इसलिए उनकी भाषा प्रांजल भी है । वे नौकरी में रहते हुए भी लगातार लिख रहे हैं। उन्होंने अनेक यात्रा वृत्तांत भी लिखे हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है । बुक क्लिनिक द्वारा प्रकशित ये लघु कथा संग्रह आमजन पर उपलब्ध है । संग्रह की कीमत मात्र 250 रूपये रखी गयी है ।
समीक्षक -राकेश अचल ।
*****************पूरे 85 वर्ष के हो चुके तेजनारायण की जिजीविषा लाजबाब है । स्वभाव से घुमंतू तेजनारायण ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सरकारी सेवक के रूप में गुजारा लेकिन उनकी मानवीय संवेदनाओं की सूक्ष्म दृष्टि ने जो देखा -समझा उसे लघु कथाओं की शक्ल दे दी । तेजनारायण का नया लघुकथा संग्रह '' मेरा ठेला खटारा ' चुटीली लघुकथाओं का ऐसा ही गुलदस्ता है
मेरा ठेला खटारा की हर लघु कथा अपने आप में सम्पूर्ण है। लघुकथाओं की भाषा सरल लेकिन भावर्थ लिए हुए है। संग्रह की पहली कहानी ' पाठशाला का पहला दिन' हो या ' जब जैक ने दंगा किया। ' जब क्रेक बॉक्सिंग लाईड ' हो या जीवन का उदेश्य' अपने आपमें अनूठी कहानियां है । हर कहानी की भाषा की बुनावट काबिले तारीफ है। तेजनारायण जी की लघुकथाओं की भाषा बेहद चुटीली हैं उनमें हास्य भी है और व्यंग्य भी ये लघुकथाएं हमारी आधुनिक जीवन शैली की विद्रूपताओं को बड़े ही चुटीले ढंग से अपने पाठक के सामने प्रकट करती है।
तेज नारायण जी के पास जो हास्य बोध है उसका तो कहना ही क्या ? अनेक कहानियों का संदर्भ पकड़ने के लिए पाठक को काफी मेहनत भी करना पड़ती है। वे एक तरफ आपको गुदगुदाते हैं तो दूसरी तरफ सोचने केलिए भी विवश करते है। प्रकाशक ने यदि तेज नारायण की तरह ही यदि पुस्तक के प्रूफ पढ़ने में भी मेहनत की होती तो अशुद्धियों को कम किया जा सकता था । पढ़ते वक्त ये त्रुटियां अखरती हैं।'मेरा ठेला खटारा संग्रह की कहानियों की भाषा बेहद सपाट और जानी-पहचनी सी लगती है। उसमें अंग्रजी शब्दों की भी भरमार है। उनसे कोई परहेज नहीं किया गया । अंग्रजी शब्दों का प्रयोग सुन्दर बन पड़ा है
तेज नारायण जी अनेक संस्थानिक पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे हैं इसलिए उनकी भाषा प्रांजल भी है । वे नौकरी में रहते हुए भी लगातार लिख रहे हैं। उन्होंने अनेक यात्रा वृत्तांत भी लिखे हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है । बुक क्लिनिक द्वारा प्रकशित ये लघु कथा संग्रह आमजन पर उपलब्ध है । संग्रह की कीमत मात्र 250 रूपये रखी गयी है ।
समीक्षक -राकेश अचल ।