कोरोना के समय में विमला आदिवासी साबुन बेचकर पकड रही है तरक्की की रफ्त्तार

श्योपुर, 02 नवंबर 2020 नोबल कोरोना वायरस कोविड-19 के समय में जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी आमजनो को हाथ धोने का साबुन बेचकर तरक्की की रफ्तार पकडने मे सहायक बन रही है। साथ ही समाज में अपना नाम रोशन कर परिवार का पालन पोषण करने में भी The post कोरोना के समय में विमला आदिवासी साबुन बेचकर पकड रही है तरक्की की रफ्त्तार first appeared on saharasamachar.com.
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कोरोना के समय में विमला आदिवासी साबुन बेचकर पकड रही है तरक्की की रफ्त्तार

श्योपुर, 02 नवंबर 2020

नोबल कोरोना वायरस कोविड-19 के समय में जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी आमजनो को हाथ धोने का साबुन बेचकर तरक्की की रफ्तार पकडने मे सहायक बन रही है। साथ ही समाज में अपना नाम रोशन कर परिवार का पालन पोषण करने में भी अग्रसर हो रही है।

जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी अपने परिवार की आजीविकास चलाने में असहाय महसूस कर रही थी। तभी ही उनके गांव में म.प्र.डे.रा.ग्रा. आजीविका मिशन के परियोजनाकर्मी पहंुंचे। तब गांव की चैपाल पर बताया कि आप समूह का गठन कर उसके माध्यम से साबुन बनाकर कोरोना समय में बेचने का काम कर सकती है। तब उसने अपना मालीपुरा स्वसहायता समूह का गठन किया। इस समूह से अन्य 10 महिलाओ को भी जोडा गया। इसके बाद ग्लिसरिन युक्त साबुन तैयार कर बेचने का व्यवसाय प्रारंभ किया। इसके साथ ही समूह की महिलाओ ने ग्लिसरिन, मास्क बनाकर कोरोना के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए भी कारोबार प्रारंभ किया। जिससे समूह तरक्की की रफ्तार पकडने लगा।

कराहल विकासखण्ड के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी ने ग्लिसरिन युक्त साबुन बनाने का कार्य प्रारंभ किया। साथ ही समूह की महिला और आदिवासी परिवारों को साबुन के उपयोग से स्वच्छता तथा सफाई से रहने की भी प्रेरणा दी। श्रीमती विमला आदिवासी ने बताया कि ग्लिसरिन साबुन त्वचा को हर समय माॅइस्चराइज रखता है। जिसके कारण त्वचा को झुर्रीयों और खिंचाव दूर करने में ग्लिसरिन साबुन काफी उपयोगी होता है। इसी प्रकार सूखी एवं संवेदनशील त्वचा वाले लोगो के लिये ग्लिसरीन साबुन अच्छा विकल्प भी है।

कराहल विकासखण्ड के ग्राम मालीपुरा निवासी श्रीमती विमला आदिवासी ने कहा कि एनआरएलएम के माध्यम से स्वसहायता समूहों को आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में आदिवासी महिलाओं को विभिन्न प्रकार की सामग्रियां तैयार करने में मदद मिल रही है। ग्लिसरिन साबुन बनाने से मेरा मालीपुरा स्वसहायता समूह प्रगति की रफ्तार पकड़ रहा है। यह सब करिश्मा जिला प्रशासन और म.प्र.डे.रा.ग्रा. आजीविका मिशन के माध्यम से परिलक्षित हुआ है।

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