12 महीने बाद भी 350 करोड़ के कारम बांध में हुए घोटाले की जांच अधूरी
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12 महीने बाद भी 350 करोड़ के कारम बांध में हुए घोटाले की जांच अधूरी
आज भी 18 गांव के सैकड़ों आदिवासी लोग शिवराज सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे
कहीं सिंधिया गुट के मंत्री सिलावट पर कार्यवाही न किए जाने का मुख्यमंत्री शिवराज पर अतिरिक्त दबाव तो नहीं?
कारम डैम पर विधायक पाँचीलाल मेड़ा ने प्रदर्शन कर शिवराज सरकार को याद दिलाए वादे
विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन
अगस्त 2022 के दूसरे सप्ताह में धार जिले का कारम बांध पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। बांध के टूटने से हजारों ग्रामीणों के घर डूब गए थे। बांध की घटना के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी तेजी दिखाते हुए बांध निर्माण एंजेसी, तत्कालीन जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और इंजीनियर को सस्पेंड कर पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन आज एक वर्ष पूरा हो जाने के बाद भी जांच तो दूर गठित समिति के सदस्यों ने कोई बैठक भी नही की। सूत्रों के अनुसार जांच समिति की बैठक न होने की प्रमुख वजह है जल संसाधन विभाग के मंत्री तुलसी सिलावट। सिलावट के पिछले कार्यकाल के दौरान तैयार हुए इस बांध में सिलावट ने जबरदस्त भ्रष्टाचार किया था। ऐसे में अब सिलावट के पैर इस मामले में बुरी तरह से फंसे हुए हैं। यही कारण है कि सिलावट ने जांच समिति की कोई बैठक करने ही नहीं दी।
जो आरोपी हैं उसे ही बना दिया था समिति का प्रमुख
धार जिले के कारम बांध के क्षतिग्रस्त होने के कारणों की जांच के लिए जल संसाधन विभाग ने चार सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति को पांच दिन में जांच प्रतिवेदन शासन को सौंपना था, लेकिन इतने दिनों में समिति ने क्या किया और क्या नहीं यह सवालों के घेरे में हैं? जल संसाधन विभाग की तरफ से विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। समिति में राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र भोपाल के वैज्ञानिक राहुल कुमार जायसवाल, जल संसाधन विभाग के ब्यूरो ऑफ डिजाइन एंड हायडल, मुख्य अभियंता दीपक सातपुते, बांध सुरक्षा बोधी भोपाल के संचालक अनिल सिंह को जांच समिति में शामिल किया था। समिति को निर्माणाधीन कारम बांध के क्षतिग्रस्त होने की परिस्थितियां, कारण एवं जिम्मेदार अधिकारियों के उत्तरदायित्व का निर्धारण करना था। लेकिन मंत्री सिलावट के दबाब में किसी ने कुछ नहीं किया।
कारम बांध निर्माण में घपलेबाजी के षड़यंत्रकर्ता हैं सिलावट
सूत्रों के मुताबिक जल संसाधन विभाग के मंत्री तुलसी सिलावट और ईएनसी एमएस डाबर की लापरवाही से कारम बांध टूट गया। बांध टूटने से हजारों ग्रामीण परिवारों को अपना घर छोड़कर कई दिनों तक दूसरे स्थान पर रहना पड़ा। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा बांध निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिये बनाई गई जांच समिति की रिपोर्ट को तुलसी सिलावट ने अपने पास दबा रखी है। सिलावट ने निर्माण कार्य करने वाली कंपनी से पहले 25 करोड़ रुपये लिये फिर शासकीय नियमों को अनदेखा करते हुए गलत ढंग से ब्लैक लिस्टेड कंपनी को कार्य का ठेका दिया। यही नहीं जांच समिति की रिपोर्ट में भी कंपनी और मंत्री सिलावट को आरोपी बताया जा रहा है। यही कारण है कि समिति के अन्य सदस्यों के निर्णय का विरोध करते हुए सिलावट ने जांच रिपोर्ट अपने पास दबाकर रख ली है।
03 हजार से अधिक का है घोटाला
ई-टेंडर घोटाला, व्यापमं घोटाला, पीएमटी घोटाला, राशन घोटाले के बाद मध्यप्रदेश में अब तक का यह सबसे बड़ा और चर्चित घोटाला रहा। इसमें अफसरों ने मंत्री तुलसी सिलावट के दबाव में आकर तीन हजार करोड़ रुपये का घपला करने का प्रयास किया। घोटाले की यह कहानी किसी से छुपी नहीं कि किस तरह से मंत्री सिलावट ने यह पूरी साजिश रची और इसमें कई ऐसे लोगों को फंसाया जिनका इस पूरे मामले से कोई लेना देना नहीं।
मंत्री अफसरों को क्यों बख्श दिया जाता है?
अगर हम भ्रष्टाचार को बारीकी से देखे तो इसकी जड़ मंत्रियों और अफसरों के दफ्तरों में रखी जाती हैं। वहां उच्च अफसरों के साथ मीटिंग कर तय किया जाता है कि विभाग को किस तरह से खोखला किया जा सकता है। मंत्री तुलसी सिलावट ने भी यही किया। वर्ष 2018 में जल संसाधन मंत्री रहते हुए उन्होंने यही खेल खेला और जल संसाधन विभाग को पूरी तरह से खोखला करने की साजिश रची। बड़ा सवाल यह है कि आखिर ईडी और लोकायुक्त मंत्री, अफसरों पर कार्यवाही करने के बजाय छोटे कर्मचारियों को क्यों निशाना बनाती है? आखिर बड़े बकरों के खिलाफ यह टीम क्यों कार्यवाही नहीं करती? अगर तुलसी सिलावट और ईएनसी अफसर सहित मुख्य सचिव के खिलाफ निष्पक्ष जांच हो जाये और कार्यवाही हो तो प्रदेश में एक नया महाघोटाला सामने निकलकर आयेगा।
दोबारा सक्रिय होगी ईडी
मध्यप्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में हुए नये बांध निर्माण और उनके रखरखाव में हुए भ्रष्टाचारियों को दंडित करने की जिम्मेदारी अब ईडी को सौंप दी गई है। इसमें जल संसाधन विभाग के भ्रष्टाचारी मंत्री तुलसी सिलावट सहित ईएनसी एमएस डाबर ने पिछले कुछ वर्षों में विभाग में जो भ्रष्टाचार की गंध मचाई है। अब उसका हिसाब ईडी की टीम करेगी। लगभग बीते एक वर्ष से रूकी जांच को एक बार फिर ईडी को सौंप दिया गया है और ईडी की टीम जल्द ही मंत्री सहित ईएनसी मदन सिंह डाबर के घर पर दबिश देने की तैयारी में है।
ट्रांसफर पोस्टिंग घोटाले बाज है सिलावट
मंत्री तुलसी सिलावट ईएनसी के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देने जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मंत्री ने अपने करीबियों के माध्यम से चिन्हित अफसरों के यहां खबर पहुंचा दी है कि अगर जल्दी उनके पास मोटी रकम नहीं पहुंची तो वे उन्हें ऐसी जगह ट्रांसफर करेंगे कि नौकरी के बचे हुए दिन वहीं काटना पड़ेंगे। मंत्री की इस धमकी से डरे और सहमे अफसर खुद को चारों खाने चित्त सा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि एक तरफ जहां उन्हें ईएनसी को मोटी रकम पहुंचानी है वहीं ट्रांसफर के भय से अब उन्हें मंत्री के लिये भी पैसे का इंतजाम करना होगा। कुल मिलाकर यह समझने वाली बात है कि मंत्री सिलावट और ईएनसी मदन सिंह डाबर मिलकर विभाग के अफसरों से धन लूटने की एक सोची समझी साजिश रच रहे हैं।
कारम डैम पर विधायक पाँचीलाल मेड़ा द्वारा प्रदर्शन
धार जिले के कारम डैम भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा ने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ टूट चुके कारम डेम पर तिरंगा फहराकर कर सरकार के तीन मंत्रियों को उनके वादे याद दिलाए। 16 अगस्त को कारम डेम टूटने का एक साल हो गया है। गौरतलब है कि लगभग 100 से 150 गांव डूब की जद में आ गए थे। डैमेज कंट्रोल के लिए सरकार ने यहां उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और धार जिले के प्रभारी मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी को भेजा था। 15 अगस्त 2020 पर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम ने यहां ध्वजारोहण कर ग्रामीणों और आसपास के लोगों को लेकर कई वादे किए थे।