BJP नेताओं को बस्तर के युवाओं और कामगारों की नही बल्कि वोटबैंक की फ़िक्र है – अरुण पाण्डेय

कामगारों के संघर्ष में शुरू से ही शिवसेना कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है जगदलपुर छत्तीसगढ़ कामगारों के साथ शिवसेना कंधे से कंधा मिलाकर लगातार उनके आंदोलन में साथ खड़ी हुई है। सर्वदलीय बैठक के दिन से ही शिवसेना के पदाधिकारी नगरनारस्टील प्लांट के निजीकरण / डी मर्ज़र के निर्णय के विरोध में स्थानीय कामगारों The post BJP नेताओं को बस्तर के युवाओं और कामगारों की नही बल्कि वोटबैंक की फ़िक्र है – अरुण पाण्डेय first appeared on saharasamachar.com.
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BJP नेताओं को बस्तर के युवाओं और कामगारों की नही बल्कि वोटबैंक की फ़िक्र है – अरुण पाण्डेय

कामगारों के संघर्ष में शुरू से ही शिवसेना कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है

जगदलपुर छत्तीसगढ़

कामगारों के साथ शिवसेना कंधे से कंधा मिलाकर लगातार उनके आंदोलन में साथ खड़ी हुई है। सर्वदलीय बैठक के दिन से ही शिवसेना के पदाधिकारी नगरनारस्टील प्लांट के निजीकरण / डी मर्ज़र के निर्णय के विरोध में स्थानीय कामगारों के साथ उनके हर एक कदम पर उनके साथ बनी हुई है। बीते दिनों शिवसेना छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष धन्नजय सिंह परिहार के नेतृत्व में राजधानी से लगभग 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक विशाल रैली निकाली गई थी।

BJP नेताओं को बस्तर के युवाओं और कामगारों की नही बल्कि वोटबैंक की फ़िक्र है – अरुण पाण्डेय

रैली के माध्यम से शिवसैनिकों ने राजधानी से ही नगरनार स्टील प्लांट के डी मर्ज़र के निर्णय को वापस लेने व इस्पात संयंत्र में स्थानीय युवाओं को रोज़गार में प्राथमिकता की मांग लेकर मुखरता से अपना विरोध दर्ज़ कराया है।

शिवसेना की यह रैली रायपुर से अभनपुर, कुरूद, धमतरी, चारामा, कांकेर, केशकाल, फरसगांव, कोंडागांव, बनियागांव, भानपुरी, बस्तर होते हुए नगरनार पहुंची थी। इस रास्ते में शिवसैनिकों ने उक्त मांग के साथ पर्चा वितरण करते हुए आम नागरिकों को बस्तर के हक़ की लड़ाई में शामिल होने की अपील भी किया था।

BJP नेताओं को बस्तर के युवाओं और कामगारों की नही बल्कि वोटबैंक की फ़िक्र है – अरुण पाण्डेय

शिवसेना की विशाल रैली के बाद केंद्रीय इस्पात राज्य मन्त्री का बस्तर प्रवास पर आना और भाजपा ने स्थानीय नेताओं द्वारा अपने घटते जनाधार पर चिंता व्यक्त करना कामगारों व शिवसेना के जीत की पहली निशानी है।

शिवसेना के जिलाध्यक्ष डॉ. अरुण पाण्डेय् का कहना हैकि स्थानीय भाजपा नेता नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के निर्णय पर घड़ियाली आंसू बहाने के लिए दिल्ली जाने की बात कर रहे हैं। दरअसल उन्हें बस्तर के स्थानीय युवाओं व कामगारों की नही बल्कि स्वयं के संगठन के घटते जनाधार की फिक्र सता रही है।

BJP नेताओं को बस्तर के युवाओं और कामगारों की नही बल्कि वोटबैंक की फ़िक्र है – अरुण पाण्डेय

इधर शिवसैनिकों व कामगारों ने बाहर के आए लोगों को प्लांट में घुसने नही दिया, प्लांट का काम बंद करवा दिया गया और अब प्लांट के मुख्य द्वार द्वार पर पिछले सप्ताह भर से कामगार परिवार के साथ धरना पर बैठे हुए हैं। इस तमाम गतिविधियों में शिवसेना के पदाधिकारियों का कामगारों को कंधे से कंधा मिलाकर समर्थन व सहयोग मिल रहा है।

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