राजसी ठाट-बाट के साथ धूमधाम से निकली शाही सवारी

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राजसी ठाट-बाट के साथ धूमधाम से निकली शाही सवारी
उज्जैन । भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में सातवें सोमवार को सायं 04 बजे परम्परानुसार श्री महाकालेश्वर भगवान की शाही सवारी धूमधाम से निकली। शाही सवारी में भगवान श्रीमहाकालेश्वर ने 7 विभिन्न स्वरूपों में अपनें भक्तों को दर्शन दिये। जिसमें रजत पालकी में श्रीचन्द्रमोलीश्वर, हाथी पर रजत के सिंहासन में विराजित श्री मनमहेश साथ ही श्री शिव-तांडव, श्री उमा-महेश, श्री घटाटोप, श्री सप्तधान मुखारविन्द व श्री होल्कर स्टेट का मुखारविन्द एक रथ पर विराजित होकर भक्तों को दर्शन दिये।
सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में सभी परम्पराओं को समेटे भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर का पूजन-अर्चन करने के बाद निर्धारित समय पर भगवान श्री महाकाल की पालकी को नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया। पूजन-अर्चन मुख्य पुजारी पं.घनश्याम शर्मा व श्री आशीष पुजारी द्वारा सम्पन्न करवाया गया। सभामंडप में पालकी का पूजन उज्जैन संभागायुक्त संदीप यादव, नवागत पुलिस महा निरीक्षक संतोष कुमार सिंह ने सहपरिवार किया। पूजन के पश्चात सभी गणमान्यों ने पालकी को नगर भ्रमण की ओर रवाना किया। इस दौरान श्री महा कालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर आशीष सिंह एवं पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार, महंत विनीत गिरी, मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक पूर्णिमा सिंगी, मूलचंद जूनवाल, प्रतीक द्विवेदी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आर.पी.गहलोत, आर.के.तिवारी आदि उपस्थित थे।
भ्रमण पर निकलने से पूर्व मंदिर प्रांगण में हर ने की हरि से भेंट, साथ ही मिले पुत्र श्री गणेश से
भगवान की सवारी जैसे ही पालकी द्वार से श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में पहुंची, नगर भ्रमण पर निकलने से पूर्व पालकी में विराजित श्री चन्द्रामौलीश्वर ने भगवान श्री साक्षी गोपाल से भेंट की और वस्त्र व मिष्ठान इत्यादि सामग्री भेंट की। हरि से हर के मिलन का सुखद संयोग देखते ही बन रहा था।
श्री साक्षी गोपाल से भेंट के पश्चात भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर परिसर स्थित श्री सिद्धी विनायक मंदिर पर अपने पुत्र से मिले व श्री सिद्धी विनायक को पोशाक व मिष्ठान आदि भेंट किया। श्री सिद्धी विनायक मंदिर पर बाबा श्री चन्द्रमौलीश्वर की आरती के बाद पालकी नगर भ्रमण की ओर रवाना हुई। पालकी जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंची, वहॉ पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को सलामी दी गयी। सम्पूर्ण मंदिर परिसर व मुख्य द्वार पर फूलों की सजावट, रंगबिरंगी अतिशबाजी व पुष्प वर्षा के वातावरण से श्रद्धालु बाबा श्री महाकालेश्वर के दर्शन कर उनकी भक्ति में लीन दिखायी दे रहे थें। पालकी के आगे घुडसवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थीं राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर की सवारी में भक्त भगवान शिव का गुणगान करते हुए तथा झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए चल रहे थे।
रामघाट पर मॉ क्षिप्रा के जल से हुआ भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर श्री मनमहेश का अभिषेक, केन्द्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने रामघाट पर किया पालकी का पूजन
भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर की पालकी श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार से बडा गणेश मंदिर के सामने, रूद्रसागर, हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्धआश्रम के सामने से होते हुए क्षिप्रातट रामघाट पहुंची। रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा श्री चन्द्रमौलीश्वर का अभिषेक-पूजन किया गया।
जहॉ राज्य सभा सदस्य व केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनकी वंश परंपरानुसार पालकी में विराजित श्री चन्द्रचमोलेश्वर का पूजन-अर्चन किया।
इस अवसर पर म.प्र.शासन के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्यप्रदेश शासन के जल संसाधन, मछुआ कल्यारण एवं मत्स्य विकास मंत्री श्री तुलसी सिलावट, पूर्व विधायक श्री राजेन्द्र भारती,आदि उपस्थित थें।
मॉ क्षिप्रा के जल से अभिषेक-पूजन व आरती के पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने पहुंची।
शाही सवारी में नगर भ्रमण के दौरान शिव ने की शक्ति से भेंट
नगर भ्रमण के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर जैसे ही मॉ हरसिद्धी मंदिर के द्वार पर भेंट करने पहुंचे, माता शक्ति एवं बाबा सर्व शक्तिमान के जयकारों की गूंज से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय बन गया। पालकी में विराजित श्री चन्द्रमौलीश्वर की ओर से मॉ हरसिद्धी को साडी व सौभग्य सामग्री आदि भेंट की गयी।
मॉ हरसिद्धी के द्वार पर बाबा श्री महाकालेश्वर व मॉ की आरती के समय वातावरण मोहक बनाने के लिए आकर्षक आतिशबाजी व पुष्प वर्षा की गयी। मॉ और बाबा श्री महाकालेश्वर के भेंट के दृश्य को देखकर वहॉ उपस्थित सभी अत्यंत भाव-विभोर हो रहे थे। आरती के पश्चात सवारी बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में वापस आयी। जहॉ सभामण्डप में पुन:पूजन के बाद सवारी का विश्राम हुआ।