BREAKING : कलेक्टर अनुराग वर्मा का सराहनीय प्रयास, 157 बच्चों को मिली निजी स्पॉन्सरशिप छाया

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कलेक्टर अनुराग वर्मा का सराहनीय प्रयास, 157 बच्चों को मिली निजी स्पॉन्सरशिप छाया
सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा की विशेष पहल पर कोरोना काल में माता-पिता एकल अभिभावक या दोनों को खोने वाले जिले के बेसहारा 157 बच्चों को निजी स्पॉन्सरशिप योजना की छाया मिली है।
जिले के प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठान, संगठन, शैक्षणिक संस्थानों एवं समाजसेवी दानदाताओं ने कलेक्टर की अपील पर ऐसे बच्चों को गोद लेकर पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाई है। ऐसे बालकों की सहायता के लिए निजी स्पॉन्सरशिप योजना के तहत 25 लाख रुपए की राशि संग्रहित हो चुकी है। जिसमें प्रति बालक प्रतिमाह 2 हजार रुपए की राशि दी जाती है।
कलेक्टर अनुराग वर्मा द्वारा निजी स्पॉन्सरशिप योजना के तहत ली गई बैठक में अपील अनुसार प्रिज्म जॉनसन सीमेंट लिमिटेड मनकहरी द्वारा 31 बच्चे, एमपी बिरला आरसीसीपीएल लिमिटेड द्वारा 33 बच्चे, अल्ट्राटेक सीमेंट सरलानगर मैहर द्वारा 29 बच्चे, बिरला सीमेंट कार्पोरेशन रघुराजनगर सतना द्वारा 20 बच्चे, मेहरोत्रा बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 10 बच्चे, केजेएस सीमेंट द्वारा 10 बच्चे, रामा कृष्णा ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन सतना द्वारा 10 बच्चे,
रामा पैनल्स प्राइवेट लिमिटेड सतना द्वारा 5 बच्चे, लायंस हेल्पिंग हैंड्स क्लब द्वारा 3 बच्चे, सार्थक वेलफेयर सोसायटी द्वारा 2 बच्चे और जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास सौरभ सिंह, सहायक संचालक श्याम किशोर द्विवेदी, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष राधा मिश्रा और सतना के दंत चिकित्सक डॉ विकास वाधवानी ने एक-एक बच्चे को निजी स्पॉन्सरशिप योजना में गोद लेकर उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी ली है। सभी संस्थाओं एवं समाजसेवी दानदाताओं ने गोद लिए हुए बच्चों की संख्या के मान से 2 हजार रुपये प्रति माह की दर से छमाही, त्रैमासिक और मासिक आधार पर सहायता राशि कलेक्टर द्वारा संधारित खाते में जमा कराई है। अब तक इन 157 बच्चों को गोद लिया गया है। इनके लिए 25 लाख रुपए की राशि संग्रहित की गई है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास सौरभ सिंह बताते हैं कि जिले में कोरोना काल के दौरान माता-पिता एकल अथवा दोनों को खो चुके ऐसे बच्चो को महिला बाल विकास, बाल संरक्षण और बाल कल्याण समिति की टीम द्वारा सर्वे कर चिन्हांकित किया गया है। कलेक्टर अनुराग वर्मा के विशेष प्रयास से इन सभी ऐसे बच्चों की सहायता के लिए प्रतिष्ठान और संस्थाएं बढ़ चढ़कर आगे आई हैं। राज्य शासन की योजना के अलावा जिला स्तर पर जिला प्रशासन की ओर से इन बच्चों को त्यौहार, होली, दिवाली इत्यादि को अधिकारियों के साथ मनाकर उन्हें अभिभावक की पूर्ति का प्रयास और अहसास भी समय-समय पर किया जा रहा है।